वाराणसी: मोक्ष की नगरी काशी में आज लावारिस लाशों को भी मोक्ष का अधिकार मिला. लावारिस लाशों का वर्ष भर अंतिम संस्कार करने वाली काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के द्वारा प्रसिद्ध हरिश्चंद्र महा श्मशान घाट पर पूरे वैदिक रीति रिवाज के साथ मृतकों की आत्माओं की शांति के लिए पिंडदान किया गया. इसके साथ ही कोरोना से मृत आत्माओं की शांति के लिए हवन पूजन भी किया गया.
11 ब्राह्मणों ने कराया पिंडदान
आज लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं. ऐसे में काशी में भारतीय सभ्यता व धर्म के अनुसार लावारिस आत्माओं की शांति के लिए 11 ब्राह्मणों द्वारा पूरे विधि विधान के साथ पिंडदान किया गया. उसके साथ ही लगातार देश की तरफ गंदी निगाहों से देख रहे पड़ोसी देश चीन की नापाक हरकतों का भी पिंडदान किया गया.
ये भी पढ़ें: वाराणसी: बिना हेलमेट बाइक चलाने पर सिख का कटा चालान, विभाग ने मानी गलती
काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के संरक्षक निधि देव अग्रवाल ने बताया कि कई वर्षों से हरिश्चंद्र घाट पर मृतकों की आत्माओं की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है. यह वह लावारिस शव हैं, जिनका कोई नहीं होता है. आज महालय के दिन लावारिस शव के आत्मा की शांति के लिए और उनको शिवलोक प्राप्त हो, इसके लिए पूरे विधि विधान से उनका पिंडदान किया गया.
निधि देव अग्रवाल ने बताया कि इस बार हम लोगों ने चीन की नापाक हरकतों का पिंडदान किया है, जो हमारे भारत देश की सीमा पर कूटनीति की चाल चल रहा है.