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बीएचयू के प्रोफेसर का दावा, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में शहरी पार्कों की भूमिका अहम

बीएचयू के प्रोफेसर ने एक नवीनत शोध के माध्यम से बताया कि दुनिया भर के अधिकांश शहरों में हरियाली ही गर्मी को कम कर सकती है.

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Published : Apr 1, 2023, 10:29 PM IST

वाराणसी: शहर के हरित क्षेत्रों का एक मूलभूत हिस्सा पार्क है. हरित स्थान लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भीषण गर्मी से बचने के लिए असंख्य पारिस्थितिकी तंत्र जैसी सेवाएं लोगों को प्रदान करते हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर द्वारा किए गए एक शोध में बातें पता चली हैं.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पर्यावरण और सतत विकास संस्थान में वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर डॉ. जय प्रकाश वर्मा कार्यरत हैं. डॉक्टर दुर्गेश कुमार जायसवाल ने अपना शोध डॉ. वर्मा की ही देखरेख में पूरी की है. डॉ. जय प्रकाश वर्मा और उनके छात्र डॉ. दुर्गेश कुमार जायसवाल सहित शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा इस पर एक अध्ययन किया गया कि शहरी हरित स्थान लोगों के जीवन में क्या भूमिका निभाते हैं.

नेचर क्लाइमेट चेंज पत्रिका में प्रकाशित हुआ शोधः डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने बताया कि एक अध्ययन के निष्कर्ष पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका "नेचर क्लाइमेट चेंज" में प्रकाशित हुए हैं. इस शोध में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी), भारत सरकार और इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस इनिशिएटिव, काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा वित्त पोषित किया गया था.

56 शहरों के नमूने शामिलः डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने बताया कि इस शोध में विश्व के सभी महाद्वीपों के 56 शहरों के नमूने शामिल हैं. शोध में कार्बन जलाशयों के रूप में शहरी हरित स्थानों की मूलभूत भूमिका पर प्रकाश डाला गया है. अध्ययन से यह भी पता चलता है कि शहरों और प्राकृतिक क्षेत्रों में कार्बन को विभिन्न जैविक कारकों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. प्राकृतिक क्षेत्रों का कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र की प्राथमिक उत्पादकता से निकटता से संबंधित है.

कार्बन पृथक्करण में निभाते हैं महत्वपूर्ण भूमिकाः डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने बताया कि शहरी हरित स्थान वैश्विक कार्बन पृथक्करण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यह कार्बनडाईआक्साइड उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवा है. यहां पार्कों में संग्रहित कार्बन भी मिट्टी की जैव विविधता के रख रखाव में अपना योगदान देता है. पार्कों की स्थिरता को सुगम बनाता है. जिसका अर्थ है कि सार्वजनिक संसाधनों पर कम बोझ पड़ता है.

गर्म शहरों में मिट्टी में कार्बन की मात्रा कमः डॉ. वर्मा ने कहा कि दुनिया भर के हरे भरे स्थानों में शहरी पार्कों में हमारे शहरों के पास प्राकृतिक क्षेत्रों की मिट्टी में कार्बन की बराबर मात्रा है. प्राकृतिक क्षेत्रों और शहरी पार्कों में संग्रहित कार्बन को समान जलवायु कारकों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. गर्म शहरों में शहरी पार्कों और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों में मिट्टी में कार्बन की मात्रा कम होती है. जो एक गर्म दुनिया में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी लड़ाई में अच्छी खबर नहीं है.


डॉ. वर्मा ने ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के जवाब में माइक्रोबियल श्वसन के माध्यम से पार्क और बगीचे की मिट्टी में कार्बन नुकसान के प्रति अधिक संवेदनशील है. हमारा अध्ययन एक शहरी दुनिया में कार्बन जलाशयों के रूप में पार्कों के महत्व को प्रदर्शित करता है. जहां 2050 तक 10 में से 7 लोग शहरों में रहेंगे. भविष्य के पार्कों और शहरी नीतियों को मिट्टी के कार्बन को बनाए रखने और उसकी क्षमता को ध्यान में रखना चाहिए.

यह भी पढ़ें- बनारस में G-20 सम्मेलन के विदेशी मेहमानों का स्वागत करेंगे खास एलईडी स्क्रीन

वाराणसी: शहर के हरित क्षेत्रों का एक मूलभूत हिस्सा पार्क है. हरित स्थान लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भीषण गर्मी से बचने के लिए असंख्य पारिस्थितिकी तंत्र जैसी सेवाएं लोगों को प्रदान करते हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर द्वारा किए गए एक शोध में बातें पता चली हैं.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पर्यावरण और सतत विकास संस्थान में वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर डॉ. जय प्रकाश वर्मा कार्यरत हैं. डॉक्टर दुर्गेश कुमार जायसवाल ने अपना शोध डॉ. वर्मा की ही देखरेख में पूरी की है. डॉ. जय प्रकाश वर्मा और उनके छात्र डॉ. दुर्गेश कुमार जायसवाल सहित शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा इस पर एक अध्ययन किया गया कि शहरी हरित स्थान लोगों के जीवन में क्या भूमिका निभाते हैं.

नेचर क्लाइमेट चेंज पत्रिका में प्रकाशित हुआ शोधः डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने बताया कि एक अध्ययन के निष्कर्ष पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका "नेचर क्लाइमेट चेंज" में प्रकाशित हुए हैं. इस शोध में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी), भारत सरकार और इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस इनिशिएटिव, काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा वित्त पोषित किया गया था.

56 शहरों के नमूने शामिलः डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने बताया कि इस शोध में विश्व के सभी महाद्वीपों के 56 शहरों के नमूने शामिल हैं. शोध में कार्बन जलाशयों के रूप में शहरी हरित स्थानों की मूलभूत भूमिका पर प्रकाश डाला गया है. अध्ययन से यह भी पता चलता है कि शहरों और प्राकृतिक क्षेत्रों में कार्बन को विभिन्न जैविक कारकों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. प्राकृतिक क्षेत्रों का कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र की प्राथमिक उत्पादकता से निकटता से संबंधित है.

कार्बन पृथक्करण में निभाते हैं महत्वपूर्ण भूमिकाः डॉ. जय प्रकाश वर्मा ने बताया कि शहरी हरित स्थान वैश्विक कार्बन पृथक्करण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यह कार्बनडाईआक्साइड उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवा है. यहां पार्कों में संग्रहित कार्बन भी मिट्टी की जैव विविधता के रख रखाव में अपना योगदान देता है. पार्कों की स्थिरता को सुगम बनाता है. जिसका अर्थ है कि सार्वजनिक संसाधनों पर कम बोझ पड़ता है.

गर्म शहरों में मिट्टी में कार्बन की मात्रा कमः डॉ. वर्मा ने कहा कि दुनिया भर के हरे भरे स्थानों में शहरी पार्कों में हमारे शहरों के पास प्राकृतिक क्षेत्रों की मिट्टी में कार्बन की बराबर मात्रा है. प्राकृतिक क्षेत्रों और शहरी पार्कों में संग्रहित कार्बन को समान जलवायु कारकों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. गर्म शहरों में शहरी पार्कों और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों में मिट्टी में कार्बन की मात्रा कम होती है. जो एक गर्म दुनिया में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी लड़ाई में अच्छी खबर नहीं है.


डॉ. वर्मा ने ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के जवाब में माइक्रोबियल श्वसन के माध्यम से पार्क और बगीचे की मिट्टी में कार्बन नुकसान के प्रति अधिक संवेदनशील है. हमारा अध्ययन एक शहरी दुनिया में कार्बन जलाशयों के रूप में पार्कों के महत्व को प्रदर्शित करता है. जहां 2050 तक 10 में से 7 लोग शहरों में रहेंगे. भविष्य के पार्कों और शहरी नीतियों को मिट्टी के कार्बन को बनाए रखने और उसकी क्षमता को ध्यान में रखना चाहिए.

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