वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में विविध आयोजन धर्म से जुड़े मसले पर होते रहते हैं, लेकिन वाराणसी वह पवित्र स्थान दिया जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था. काशी के सारनाथ में भगवान बुद्ध की पहली उपदेश स्थली मानी जाती है और इसलिए बौद्ध धर्म से जुड़े देशों और दूर-दूर से बौद्ध अनुयायियों के यहां आने का सिलसिला जारी रहता है. कार्तिक महीने के अंतिम 3 दिनों तक यहां पर मौजूद भगवान बुद्ध के अस्थि कलश के दर्शन कराए जाते हैं. मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा(Kartik Purnima) के मौके पर अंतिम दिन यह दर्शन किए. बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म से जुड़े देशों से अनुयायी यहां पहुंचे और दर्शन पूजन का सिलसिला जारी रहा.
कार्तिक पूर्णिमा(Kartik Purnima) का दिन भगवान बुद्ध के अस्थि कलश के दर्शन का अंतिम दिन होता है. यहां मूलगंध कुटी विहार सोसायटी (Moolgandha Kuti Vihar Society) की तरफ से भगवान बुद्ध के अस्थि कलश के दर्शन की व्यवस्था हर वर्ष की जाती है. यही वजह है कि इस मौके पर वियतनाम, थाईलैंड, श्रीलंका, जापान, कम्बोडिया, नेपाल, भूटान, बंगलादेश व हिमालयीय क्षेत्र के हजारों की संख्या में बौद्ध अनुयायियों ने अस्थि अवशेष का दर्शन करने पहुंचते हैं.
मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर (Moolgandha Kuti Buddhist Temple) के संस्थापक स्व. अनागरिक धर्मपाल ने अस्थि अवशेष लेन के लिये काफी मेहनत की थी. इनकी मेहनत को देखते हुए तत्कालीन ब्रिटिश गर्वनर ने धर्मपाल को मंदिर बनाने के आश्वासन पर अस्थि पात्र प्रदान किया था. धर्मपाल ने सारनाथ में 1928 से 31 तक मंदिर का निर्माण कराया और उस अस्थि पात्र को मंदिर के नीचे बने तहखाने में रखा गया है. यह अस्थि अवशेष वर्ष 1913 व 14 में पुरातत्व विद सर जॉन मार्शल (Archaeologist Sir John) Marshall को तक्षशिला में स्थापित धर्मराजिका स्तूप की खोदाई के दौरान मिला था. सारनाथ में कार्तिक पूर्णिमा(Kartik Purnima in Sarnath) के मौके पर दर्शन पूजन का सिलसिला काफी समय से चलता आ रहा है और दीपदान का आयोजन भी शाम के वक्त किया जाता है. इसमें बौद्ध धर्म से जुड़े अन्याय बड़ी संख्या में सारनाथ परिसर में दीपदान करते हैं.
उन्नाव में कार्तिक पूर्णिमा पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा तट पर गंगा स्नान के लिए पहुंचे. यहां हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. भोर पहर से शुरू हुआ स्नान देर शाम तक चलता रहेगा. दूर-दराज के इलाकों से चलकर आने वाले श्रद्धालुओं का दिन भर तांता लगा रहा. स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने तट पर बैठे पंडों को दान-दक्षिणा दी. इसके अलावा तमाम श्रद्धालुओ ने गंगा तट पर भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण किया. दोपहर तक गंगास्नान के लिए लोगों के आने का सिलसिला जारी रहा. कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए जिला प्रशासन ने भी पर्याप्त व्यवस्थाएं की.
आजमगढ़ में नदी व सरोवर के तटों पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मंगलवार को आजमगढ़ के प्रमुख तीर्थ स्थलों के साथ ही पतितपावन गंगा स्वरुपा तमसा नदी के तटों सहित पौराणिक सरोवरों पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा. इस पवित्र तिथि पर श्रद्धालुओं की भीड़ ने पावन जल में गोता लगाकर पुण्य लाभ कमाया. प्रमुख स्थान जैसे दुर्वासा धाम, दत्तात्रेय धाम, भैरो धाम, अवंतिकापुरी एवं चंद्रमा ऋषि आश्रम पर लगे मेले का श्रद्धालुओं ने आनंद उठाया.
फूलपुर तहसील क्षेत्र के दुर्वासा धाम स्थित तमसा-मंजूषा के संगम पर स्नान कर पुण्य लाभ कमाने की लालसा में श्रद्धालुओं की भीड़ ने सोमवार की रात ही डेरा डाल दिया था. ऐसी मान्यता है कि तमसा-मंजूषा के संगम पर स्नान करने से गंगा सागर स्नान के बराबर पुण्य लाभ मिलता है. संगम स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने ऋषि दुर्वासा का दर्शन किया और सुख-शान्ति की कामना की. कई लोगों ने पूड़ी-मालपुआ आदि का भोग महर्षि दुर्वासा को लगाया.
इसी तरह निजामाबाद क्षेत्र स्थित दत्तात्रेय धाम पर तमसा-कुंवर नदियों के संगम पर हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद राम-जानकी मन्दिर व ऋषि की प्रतिमा के समक्ष शीश झुकाया. इसके बाद मेले में लोगों ने अपनी जरूरतों के सामान खरीदे. इसी क्रम में रानी की सराय क्षेत्र के अवंतिकापुरी (आवंक) स्थित चैरासी बीघे के मगंलवार में सुबह होने से पहले ही श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाना शुरू कर दिया था.
महराजगंज क्षेत्र में स्थित भैरो धाम पर कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान मेला लगा. वैसे तो यहां हर पूर्णिमा पर स्नान मेला लगता है, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा का स्नान मेले का महत्व कुल अलग होता है. यहां सरोवर में स्नान के बाद मनोकामना की पूर्ति के लिए श्रद्धालुओं ने भैरो बाबा को विशेष प्रिय काली मिर्च और बताशा चढ़ाकर मन्नत मांगी.
नागा साधु-संतों ने यमुना नदी में किया शाही स्नान
आगरा आजिले के बाह ब्लॉक क्षेत्र के अंतर्गत तीर्थ धाम बटेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर दूर दराज लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचे. श्रद्धालुओं ने यमुना नदी में आस्था की डुबकी लगाकर भगवान भोले पर जलाभिषेक किया और परिवार की सुख समृद्धि के लिए आशीर्वाद लिया. सैकड़ों की संख्या में नागा साधुओं सहित साधु-संतों ने बटेश्वर क्षेत्र की सप्तकोशी परिक्रमा कर शाही स्नान किया.
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