वाराणसी: भारतीय संस्कृति में धार्मिक और पौराणिक मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्म में कार्तिक मास को अत्यन्त पावन मास माना गया है. धर्म उत्सव की श्रृंखला इसी मास से प्रारम्भ होती है. कार्तिक मास आज 10 अक्टूबर सोमवार से प्रारम्भ होकर 8 नवम्बर, मंगलवार तक रहेगा.
ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि शरद पूर्णिमा से ही भगवती लक्ष्मी की महिमा में उनकी आराधना के साथ दीपदान करके कार्तिक मास के यम-संयम-नियम और धार्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ हो जाते है. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि कार्तिक मास के समान कोई दूसरा मास नहीं है. सतयुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है. स्कन्दपुराण के अनुसार यह मास लक्ष्मी प्रदाता, सद्बुद्धिदायक और आरोग्यप्रदायक माना गया है. वर्ष के द्वादश मास में कार्तिक मास को ही धर्म-अर्थ-काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है. कार्तिक मास भगवान श्रीविष्णुजी और श्रीलक्ष्मीजी को समर्पित है. कार्तिक मास में तुलसी और पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है. इस मास में यमदेव को प्रसन्न करने के लिए आकाशदीप प्रज्वलित किए जाते हैं. कार्तिक मास में एक माह तक आंवले के वृक्ष का सिंचन और पूजन करना फलदायी माना गया है. मासपर्यन्त भगवान विष्णुजी को आंवला अर्पित करके उनका पूजन करने पर लक्ष्मीजी की प्राप्ति बतलाई गई है.
काला तिल व आंवले का चूर्ण लाभकारी
ज्योतिर्विद् विमल जैन ने बताया कि काला तिल और आंवले का चूर्ण लगाकर स्नान करने से समस्त पापों का शमन होता है. इस मास में नियमपूर्वक गंगा स्नान करके व्रत रखने से तीर्थयात्रा के समान फल की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास में स्नान-दान और पुण्य करने की काफी महिमा है. इस मास में सूर्य के दक्षिणायन होने से असुरिकाल माना जाता है. धर्मशास्त्रों के अनुसार इस मास में स्नान-ध्यान करके, व्रत रखकर भगवान विष्णुजी का पूजन करना विशेष पुण्य फलदायी रहता है. मान्यता के मुताबिक श्रीकृष्ण राधा का पूजन-अर्चन करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है. जिससे जीवन में सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है.
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कार्तिक मास में क्या करे
ज्योतिषविद विमल जैन जी ने बताया कि कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य नियम का पालन करना चाहिए. भूमि पर शयन करें. ब्रह्ममुहूर्त में (सूर्योदय से पूर्व) उठकर स्नान व ध्यान करें. गंगाजी में कमर तक जल में खड़े होकर पूर्ण स्नान करें. सात्विक भोजन करें. भगवान विष्णु की आराधना करें. मासपर्यंत श्रीलक्ष्मीजी की रात्रि में पूजा एवं जप करें. पीपल वृक्ष और तुलसी के पौधे की भी धूप-दीप से पूजा करें.
कार्तिक मास में क्या न करें ग्रहण
ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि कार्तिक मास में व्रतकर्ता व साधक को अपने परिवार के अतिरिक्त अन्यत्र किसी दूसरे का कुछ भी (अन्न) ग्रहण न करना चाहिए. चना, मटर, उड़द, मूंग, मसूर, राई, लौकी, गाजर, बैंगन, बासी अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. साथ ही लहसुन, प्याज और तेल का उपयोग नहीं करना चाहिए. शरीर में तेल नहीं लगाना चाहिए. कार्तिक मास की द्वितीया, सप्तमी, नवमी, दशमी, त्रयोदशी व अमावस्या तिथि के दिन तिल व आंवले का प्रयोग नहीं करना चाहिए. कार्तिक मास में स्नान व व्रत करने वालों को केवल कार्तिक कृष्ण (नरक) चतुर्दशी के दिन ही तेल लगाना चाहिए. मास के अन्य दिनों में तेल नहीं लगाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इस माह में भगवान विष्णु की महिमा में व्रत रखने पर ग्रहजनित दोषों से मुक्ति मिलती है तथा संकटों का निवारण होता है. फटे या गन्दे वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए, स्वच्छ वस्त्र ही धारण करना चाहिए.
कार्तिक मास के प्रमुख व्रत और पर्व 16 अक्टूबर से 14 नवम्बर तक
10 अक्टूबर : स्नान-दान-व्रत, यम-नियम प्रारम्भ
11 अक्टूबर अशून्यशयन व्रत
13 अक्टूबर संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत करक चतुर्थी ( करवा चौथ व्रत
14 अक्टूबर कोकिला पंचमी
17 अक्टूबर : अहोई अष्टमी व्रत, कालाष्टमी व्रत, श्रीराधाष्टमी व्रत
21 अक्टूबर रम्भा एकादशी व्रत (सबका )
23 अक्टूबर प्रदोष व्रत, धन त्रयोदशी (धनतेरस), धन्वन्तरि जयन्ती, मास शिवरात्रि व्रत
24 अक्टूबर रूप (नरक) चतुर्दशी, हनुमान जयन्ती, छोटी दीपावली
25 अक्टूबर : दीपावली पर्व •
26 अक्टूबर गोवर्धन पूजा,
अन्नकूट 27 अक्टूबर भैयादूज, यमद्वितीया, चित्रगुप्त पूजन
28 अक्टूबर वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, सूर्यषष्ठी व्रत का प्रथम संयम
29 अक्टूबर सूर्यषष्ठी व्रत का द्वितीय संयम (सौभाग्य पंचमी)
30 अक्टूबर सूर्यषष्ठी ( डाला छठ व्रत का तृतीय संयम 31 अक्टूबर सूर्यषष्ठी व्रत का पारण
1 नवम्बर दुर्गाष्टमी, गोपाष्टमी, अन्नपूर्णा अष्टमी व्रत
2 नवम्बर : अक्षय (आंवला, कुष्माण्डा) नवमी व्रत
4 नवम्बर देव (हरि) प्रबोधिनी एकादशी
5 नवम्बर : शनि प्रदोष व्रत
6 नवम्बर : वैकुण्ठ चतुर्दशी व्रत
8 नवम्बर स्नान दान की कार्तिक पूर्णिमा, गुरुनानक जयन्ती, कार्तिक पूर्णिमा व्रत, देव दीपावली कार्तिक मास के यम, नियम, व्रत स्नान आदि के धार्मिक अनुष्ठान की समाप्ति
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