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गंगा में मिल रही लाशों का कबीर पंथ कनेक्शन, सुनिए व्यवस्थापक की जुबानी - kabir Panth connection of dead bodies floating in river

गाजीपुर के गहमर गांव और बिहार के बक्सर जिले के महादेवा घाट पर गंगा में उतराते मिले शवों के मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम लगातार पड़ताल कर रही है. इन सबके बीच जब इन लाशों के किसी संप्रदाय विशेष या धर्म विशेष के होने की चर्चा शुरू हुई, तो इस पर कबीर संप्रदाय के जानकारों ने अपनी जानकारी दी है.

बक्सर के बाद गाजीपुर में मिल रही गंगा में लाशें
बक्सर के बाद गाजीपुर में मिल रही गंगा में लाशें
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Published : May 11, 2021, 5:43 PM IST

वाराणसी: बक्सर और फिर गाजीपुर के पारा और गहमर गंगा के घाटों पर लाशों के मिलने का सिलसिला लगातार जारी है. ईटीवी भारत इस पूरे मामले की पड़ताल अपने स्तर पर अलग-अलग तरीके से कर रहा है. इन सबके बीच जब इन लाशों के किसी संप्रदाय विशेष या धर्म विशेष के होने की चर्चा शुरू हुई तो इस दिशा में भी पड़ताल जरूरी हो गई. लाशों को कबीरपंथियों या फिर अन्य संप्रदाय के लोगों से जोड़कर बताए जाने पर कबीर संप्रदाय के जानकारों से बातचीत की गई. कबीर पंथ के संप्रदाय की परंपरा और क्या वास्तव में यह लाशें सिर्फ कबीर पंथ से जुड़े लोगों की हो सकती हैं. इस पर कबीर संप्रदाय के जानकारों ने अपनी जानकारी दी.

देखें रिपोर्ट.

डीएम ने भी माना हो सकता है ऐसा
बक्सर के बाद गाजीपुर और बिहार से सटे बॉर्डर पर गंगा किनारे लगातार लाशों के मिलने का सिलसिला जारी है. इसके लिए गाजीपुर के जिलाधिकारी एमपी सिंह ने इस पूरे प्रकरण की जांच शुरू करवा दी है. इसमें एक एसडीएम समेत एसपी ग्रामीण और सीओ को जांच के लिए लगाया गया है. जिलाधिकारी का कहना है कि जो भी लाशें मिली हैं, उनका विधिवत अंतिम संस्कार संपन्न कराया जा रहा है. यह किसकी है यह तो नहीं पता, लेकिन अब तक जांच में यह बातें सामने आई हैं. किसी संप्रदाय विशेष के लोगों के द्वारा शवों को जलाने या अधजले शवों को गंगा में बहाये जाने की परंपरा कुछ गांव में निभाई जाती है, लेकिन यह जरूरी है कि परंपरा के नाम पर किसी की सेहत से खिलवाड़ या कोई भी गलत कार्य नहीं होना चाहिए. इसकी निगरानी करते हुए इस पर रोक लगाने की कार्रवाई भी की जाएगी.

इसे भी पढ़ें-बक्सर के बाद अब यहां भी गंगा में उतराती मिलीं लावारिस लाशें

कबीर पंथ से जुड़े लोगों ने कहां होनी चाहिए जांच
वहीं इस पूरे प्रकरण में वाराणसी स्थित कबीर प्राकट्य स्थली के व्यवस्थापक आचार्य गोविंद दास शास्त्री का कहना है की यह बातें सुनने में आ रही है कि गाजीपुर के कुछ गांव में गंगा किनारे लाशें मिल रही हैं और यह लाशें कबीर पंथ से जुड़े लोगों की बताई जा रही हैं. लेकिन यह कहना सर्वदा गलत होगा कि गंगा में मिले शव कबीर पंथ से जुड़े लोगों के हैं. हालांकि उन्होंने यह माना है कि संत समुदाय के लोगों को जल समाधि या फिर आश्रम में ही समाधि दिए जाने की परंपरा है, जबकि कबीर पंथ मानने वाले गृहस्थ लोग अपने अनुसार अंतिम संस्कार करते हैं. उसमें शवों को बहाने से लेकर दफनाए जाने की परंपरा और जलाए जाने की भी परंपरा निभाई जाती है, लेकिन यह कहना कि सिर्फ कबीर पंथ के लोगों की ही लाशें हैं यह उचित नहीं होगा. उन्होंने यह भी बताया कि गाजीपुर के कुछ गांव में कबीर पंथ मानने वाले लोग हैं और यहां आश्रम भी विद्यमान हैं, लेकिन इसकी क्या सच्चाई है. इसकी जांच प्रशासन को करवानी चाहिए.

इसे भी पढ़ें-जानिये कहां, गंगा नदी में उतराती मिलीं दर्जनों लावारिस लाशें

वाराणसी: बक्सर और फिर गाजीपुर के पारा और गहमर गंगा के घाटों पर लाशों के मिलने का सिलसिला लगातार जारी है. ईटीवी भारत इस पूरे मामले की पड़ताल अपने स्तर पर अलग-अलग तरीके से कर रहा है. इन सबके बीच जब इन लाशों के किसी संप्रदाय विशेष या धर्म विशेष के होने की चर्चा शुरू हुई तो इस दिशा में भी पड़ताल जरूरी हो गई. लाशों को कबीरपंथियों या फिर अन्य संप्रदाय के लोगों से जोड़कर बताए जाने पर कबीर संप्रदाय के जानकारों से बातचीत की गई. कबीर पंथ के संप्रदाय की परंपरा और क्या वास्तव में यह लाशें सिर्फ कबीर पंथ से जुड़े लोगों की हो सकती हैं. इस पर कबीर संप्रदाय के जानकारों ने अपनी जानकारी दी.

देखें रिपोर्ट.

डीएम ने भी माना हो सकता है ऐसा
बक्सर के बाद गाजीपुर और बिहार से सटे बॉर्डर पर गंगा किनारे लगातार लाशों के मिलने का सिलसिला जारी है. इसके लिए गाजीपुर के जिलाधिकारी एमपी सिंह ने इस पूरे प्रकरण की जांच शुरू करवा दी है. इसमें एक एसडीएम समेत एसपी ग्रामीण और सीओ को जांच के लिए लगाया गया है. जिलाधिकारी का कहना है कि जो भी लाशें मिली हैं, उनका विधिवत अंतिम संस्कार संपन्न कराया जा रहा है. यह किसकी है यह तो नहीं पता, लेकिन अब तक जांच में यह बातें सामने आई हैं. किसी संप्रदाय विशेष के लोगों के द्वारा शवों को जलाने या अधजले शवों को गंगा में बहाये जाने की परंपरा कुछ गांव में निभाई जाती है, लेकिन यह जरूरी है कि परंपरा के नाम पर किसी की सेहत से खिलवाड़ या कोई भी गलत कार्य नहीं होना चाहिए. इसकी निगरानी करते हुए इस पर रोक लगाने की कार्रवाई भी की जाएगी.

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कबीर पंथ से जुड़े लोगों ने कहां होनी चाहिए जांच
वहीं इस पूरे प्रकरण में वाराणसी स्थित कबीर प्राकट्य स्थली के व्यवस्थापक आचार्य गोविंद दास शास्त्री का कहना है की यह बातें सुनने में आ रही है कि गाजीपुर के कुछ गांव में गंगा किनारे लाशें मिल रही हैं और यह लाशें कबीर पंथ से जुड़े लोगों की बताई जा रही हैं. लेकिन यह कहना सर्वदा गलत होगा कि गंगा में मिले शव कबीर पंथ से जुड़े लोगों के हैं. हालांकि उन्होंने यह माना है कि संत समुदाय के लोगों को जल समाधि या फिर आश्रम में ही समाधि दिए जाने की परंपरा है, जबकि कबीर पंथ मानने वाले गृहस्थ लोग अपने अनुसार अंतिम संस्कार करते हैं. उसमें शवों को बहाने से लेकर दफनाए जाने की परंपरा और जलाए जाने की भी परंपरा निभाई जाती है, लेकिन यह कहना कि सिर्फ कबीर पंथ के लोगों की ही लाशें हैं यह उचित नहीं होगा. उन्होंने यह भी बताया कि गाजीपुर के कुछ गांव में कबीर पंथ मानने वाले लोग हैं और यहां आश्रम भी विद्यमान हैं, लेकिन इसकी क्या सच्चाई है. इसकी जांच प्रशासन को करवानी चाहिए.

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