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पुलवामा के शहीदों को समर्पित होगी जूना अखाड़े की पेशवाई

धर्मनगरी काशी में साधु-संतों के आगमन से चहल-पहल बढ़ गई है. कुंभ में शिरकत कर काशी पहुंचे नागा साधुओं के आगमन पर जूना अखाड़ा ने पेशवाई का आयोजन किया है. इसमें मौजूद सभी साधु-संत अपनी युद्ध कला का प्रदर्शन करेंगे. काशी में पेशवाई बड़े धूमधाम से मनाई जाती है.

जूना अखाड़ा, वाराणसी
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Published : Feb 26, 2019, 5:24 PM IST

वाराणसी : प्रयागराज में चल रहे कुंभ के बाद अब वाराणसी में साधु-संतों का आना शुरू हो गया है. बड़ी संख्या में नागा साधुओं के साथ गेरुआ वस्त्रधारी संतों की मौजूदगी भी काशी में देखने को मिल रही है. इन सबके बीच संत नागा साधुओं के काशी आगमन पर पेशवाई का आयोजन करते हैं. इसमें हजारों की संख्या में साधु, सन्यासी और नागा साधु सड़कों पर निकल कर युद्ध कला का प्रदर्शन करते हुए पंच दशनाम जूना अखाड़ा तक पहुंचेंगे.

पुलवामा शहीदों को समर्पित है पेशवाई

इस बार इस पेशवाई में साधुओं की तरफ से युद्ध कौशल का प्रदर्शन तो होगा, लेकिन कुंभ में निकलने वाली पेशवाई की तर्ज पर बैंड बाजा शोर-शराबा नहीं होगा. ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि अखाड़ा परिषद में पुलवामा में शहीद हुए जवानों की स्मृति में वाराणसी में निकलने वाली पेशवाई को बड़े ही साधारण तरीके से निकालने का फैसला किया है. पेशवाई का यह पूरा आयोजन पुलवामा में शहीद हुए जवानों को समर्पित होगा.

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पुलवामा शहीदों को समर्पित होगी जूना अखाड़े की पेशवाई
फरवरी से वाराणसी में पेशवाई का दौर शुरू हो जाएगा जो 3 मार्च तक चलेगा. इस दौरान अलग-अलग अखाड़ों की तरफ से नगर आगमन पर निकाली जाने वाली पेशवाई का आयोजन होगा. शुरुआत श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की तरफ से की जा रही है. इसमें अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेमगिरी के नेतृत्व में कई अन्य महामंडलेश्वर और बड़े साधु-सन्यासियों के साथ लगभग 3000 से ज्यादा नागा साधुओं की मौजूदगी में नगर आगमन की पेशवाई की शुरुआत की जा रही है.

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पेशवाई बैजनाथ मंदिर से की जाएगी, जो शहर के अलग-अलग इलाकों से होते हुए हरिश्चंद्र घाट स्थित अखाड़ा आश्रम पर आकर खत्म होगी. इस बारे में पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमगिरी ने बताया कि पुलवामा में शहीद हुए जवानों की स्मृति में इस बार पेशवाई में किसी भी तरह के बैंड बाजे का प्रयोग नहीं होगा. सिर्फ साधु-सन्यासी और नागा साधु अपनी युद्ध कला का प्रदर्शन करते हुए परंपराओं का निर्वहन करेंगे. ऐसा पहला मौका होगा जब पेशवाई के दौरान बैंड बाजा दूर रहेगा. उनका कहना है कि पुलवामा की घटना से पूरा देश आहत है और संत-समाज भी इस शोक संदेश में अपनी तरफ से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वाराणसी में निकलने वाली पेशवाई में शोर-शराबा न करते हुए परंपराओं का निर्वहन कर शहीदों को श्रद्धांजलि देगा.


पेशवाई को लेकर प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर
वहीं कल से निकलने वाली पेशवाई के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां की जा रही हैं. बड़ी संख्या में साधु-सन्यासियों और नागा साधुओं की मौजूदगी की वजह से ट्रैफिक व्यवस्था के साथ सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंंध की जा रही है. किस रूट से पेशवाई को निकलना है, क्या समय होगा इन सारी चीजों को लेकर वाराणसी प्रशासन लगातार जूना अखाड़ा के पदाधिकारियों से बैठक कर रहा है. वाराणसी के जिला अधिकारी का कहना है कि प्रयाग के बाद काशी में होने वाले इस भव्य आयोजन के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.

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वाराणसी : प्रयागराज में चल रहे कुंभ के बाद अब वाराणसी में साधु-संतों का आना शुरू हो गया है. बड़ी संख्या में नागा साधुओं के साथ गेरुआ वस्त्रधारी संतों की मौजूदगी भी काशी में देखने को मिल रही है. इन सबके बीच संत नागा साधुओं के काशी आगमन पर पेशवाई का आयोजन करते हैं. इसमें हजारों की संख्या में साधु, सन्यासी और नागा साधु सड़कों पर निकल कर युद्ध कला का प्रदर्शन करते हुए पंच दशनाम जूना अखाड़ा तक पहुंचेंगे.

पुलवामा शहीदों को समर्पित है पेशवाई

इस बार इस पेशवाई में साधुओं की तरफ से युद्ध कौशल का प्रदर्शन तो होगा, लेकिन कुंभ में निकलने वाली पेशवाई की तर्ज पर बैंड बाजा शोर-शराबा नहीं होगा. ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि अखाड़ा परिषद में पुलवामा में शहीद हुए जवानों की स्मृति में वाराणसी में निकलने वाली पेशवाई को बड़े ही साधारण तरीके से निकालने का फैसला किया है. पेशवाई का यह पूरा आयोजन पुलवामा में शहीद हुए जवानों को समर्पित होगा.

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पुलवामा शहीदों को समर्पित होगी जूना अखाड़े की पेशवाई
फरवरी से वाराणसी में पेशवाई का दौर शुरू हो जाएगा जो 3 मार्च तक चलेगा. इस दौरान अलग-अलग अखाड़ों की तरफ से नगर आगमन पर निकाली जाने वाली पेशवाई का आयोजन होगा. शुरुआत श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की तरफ से की जा रही है. इसमें अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेमगिरी के नेतृत्व में कई अन्य महामंडलेश्वर और बड़े साधु-सन्यासियों के साथ लगभग 3000 से ज्यादा नागा साधुओं की मौजूदगी में नगर आगमन की पेशवाई की शुरुआत की जा रही है.

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पेशवाई बैजनाथ मंदिर से की जाएगी, जो शहर के अलग-अलग इलाकों से होते हुए हरिश्चंद्र घाट स्थित अखाड़ा आश्रम पर आकर खत्म होगी. इस बारे में पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमगिरी ने बताया कि पुलवामा में शहीद हुए जवानों की स्मृति में इस बार पेशवाई में किसी भी तरह के बैंड बाजे का प्रयोग नहीं होगा. सिर्फ साधु-सन्यासी और नागा साधु अपनी युद्ध कला का प्रदर्शन करते हुए परंपराओं का निर्वहन करेंगे. ऐसा पहला मौका होगा जब पेशवाई के दौरान बैंड बाजा दूर रहेगा. उनका कहना है कि पुलवामा की घटना से पूरा देश आहत है और संत-समाज भी इस शोक संदेश में अपनी तरफ से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वाराणसी में निकलने वाली पेशवाई में शोर-शराबा न करते हुए परंपराओं का निर्वहन कर शहीदों को श्रद्धांजलि देगा.


पेशवाई को लेकर प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर
वहीं कल से निकलने वाली पेशवाई के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां की जा रही हैं. बड़ी संख्या में साधु-सन्यासियों और नागा साधुओं की मौजूदगी की वजह से ट्रैफिक व्यवस्था के साथ सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंंध की जा रही है. किस रूट से पेशवाई को निकलना है, क्या समय होगा इन सारी चीजों को लेकर वाराणसी प्रशासन लगातार जूना अखाड़ा के पदाधिकारियों से बैठक कर रहा है. वाराणसी के जिला अधिकारी का कहना है कि प्रयाग के बाद काशी में होने वाले इस भव्य आयोजन के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.

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Intro:स्पेशल स्टोरी-

एंकर-वाराणसी: प्रयागराज में चल रहे कुंभ के बाद अब वाराणसी में साधु संतों का आना शुरू हो गया है और बड़ी संख्या में नागा साधुओं के साथ गेरुआ वस्त्र धारी संतो की मौजूदगी भी काशी में देखने को मिल रही है उन सब के बीच कल संतो नागा साधुओं के काशी आगमन के बाद नगर आगमन के मौके पर पेशवाई का आयोजन किया जाना है जिसमें हजारों की संख्या में साधु सन्यासी और नागा साधु सड़कों पर निकल कर युद्ध कला का प्रदर्शन करते हुए पंच दशनाम जूना अखाड़ा तक पहुंचेंगे इस बार इस पेशवाई में साधुओं की तरफ से युद्ध कौशल का प्रदर्शन तो होगा लेकिन कुंभ में निकलने वाली पेशवाई की तर्ज पर बैंड बाजा शोर शराबा नहीं होगा ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि अखाड़ा परिषद में पुलवामा में शहीद हुए जवानों की स्मृति में वाराणसी में निकलने वाली पेशवाई को बड़े ही साधारण तरीके से निकालने का फैसला किया और पेशवाई का यह पूरा आयोजन पुलवामा में शहीद हुए जवानों को समर्पित होगा.


Body:वीओ-01 27 फरवरी से वाराणसी में पेशवाई का दौर शुरू हो जाएगा जो 3 मार्च तक चलेगा इस दौरान अलग-अलग हारों की तरफ से नगर आगमन पर निकाली जाने वाली पेशवाई का आयोजन होगा शुरूआत कल श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की तरफ से की जा रही है जिसमें अंतर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत प्रेम गिरी के नेतृत्व में कई अन्य महामंडलेश्वर और बड़े साधू सन्यासियों के साथ लगभग 3000 से ज्यादा नागा साधुओं की मौजूदगी में नगर आगमन की पेशवाई की शुरुआत बैजनाथ मंदिर से की जाएगी जो शहर के अलग-अलग इलाकों से होते हुए हरिश्चंद्र घाट स्थित अखाड़ा आश्रम पर आकर खत्म हो गया इस बारे में पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरी ने बताया कि पुलवामा में शहीद हुए जवानों की स्मृति में इस बार पेशवाई में किसी भी तरह का बैंड बाजा यूज नहीं होगा सिर्फ साधु सन्यासी और नागा साधु अपने युद्ध कला का प्रदर्शन करते हुए परंपराओं का निर्वहन करेंगे ऐसा पहला मौका होगा जब पेशवाई के दौरान बैंड बाजा दूर रहेगा उनका कहना है कि पुलवामा की घटना से पूरा देश आजाद है और संत समाज भी इस शोक संदेश में अपनी तरफ से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वाराणसी में निकलने वाली पेशवाई में शोर शराबा ना करते हुए परंपराओं का निर्वहन कर शहीदों को श्रद्धांजलि देगा.

बाईट- श्री महंत प्रेम गिरि, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा


Conclusion:वीओ-02 वह कल से निकलने वाली पेशवाई के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां की जा रही है बड़ी संख्या में साधू सन्यासियों और नागा साधुओं की मौजूदगी की वजह से ट्रैफिक व्यवस्था के साथ सुरक्षा व्यवस्था में उसका याद रहे कि रूट से इस पेशवाई को निकलना है क्या समय होगा इन सारी चीजों को लेकर वाराणसी प्रशासन लगातार जूना अखाड़ा के पदाधिकारियों से बैठक कर रहा है वाराणसी के जिला अधिकारी का कहना है कि प्रयाग के बाद काशी में होने वाले इस भव्य आयोजन के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली गई है.

बाईट- सुरेंद्र कुमार सिंह, जिलाधिकारी, वाराणसी

गोपाल मिश्र

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