वाराणसी: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का बनारस पसंदीदा जगह बन गया है. अपनी एक्टिंग के लिए बिल्कुल अलग पहचान रखने वाले अभिनेता नाना पाटेकर इन दिनों वाराणसी में हैं. गदर जैसी हिट फिल्म बनाने वाले अनिल शर्मा की अपकमिंग मूवी "जर्नी" में नाना पाटेकर लीड रोल में नजर आने वाले हैं. अभिनेता वाराणसी में कई दिनों तक मूवी "जर्नी" की शूटिंग करेंगे. इस दौरान शुक्रवार को वह मीडिया से भई मुखातिब हुए.
मैं कलाकार संग किसान हूं
मीडिया से बातचीत करते हुए अभिनेता नाना पाटेकर ने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण और देश में प्रदूषण के लिए सबसे बड़ी वजह पराली जलाए जाने को लेकर कही. नाना पाटेकर गांव की पृष्ठभूमि से जुड़े हैं और वह खुद कहते हैं कि मैं अपना पूरा समय पुणे में अपने गांव और खेत में बिताता हूं. उन्होंने कहा कि वह फिल्म की शूटिंग जब तक चलती है, तब तक वह इधर-उधर रहते हैं लेकिन उसके बाद अपने गांव चले जाते हैं. वह गांव में अपने खेत खलियानों और फसलों को देखते हैं.
पराली जलाया जाना विकल्प नहीं
मीडिया से बात करते हुए अभिनेता नाना पाटेकर ने कहा कि उन्हें ज्यादा चिंता रहती है कि उनके खेतों में फसलों को पानी दिया गया है कि नहीं, उन्होंने बढ़ते प्रदूषण के पीछे पंजाब में पराली जलाए जाने के सवाल पर कहा कि उन्हें लगता है कि इसका विकल्प हो सकता है. जिसे तलाशने की जरूरत है, क्योंकि पराली जलाया जाना विकल्प नहीं है. यह प्रदूषण बढ़ाता है. उन्होंने कहा कि वह अपने खेतों में पराली बिल्कुल नहीं जलाते हैं. उनके पास मौजूदा समय में 11 गाय और तीन बैल हैं. जिसे वह घास चरने के लिए छोड़ देते हैं. उनके जानवरों के चरने के बाद जो बचता है. उसे वह खाद के रूप में प्रयोग करते हैं. इसलिए पराली के लिए लोगों के पास बहुत सारे विकल्प हैं.
पराली के लिए सरकार को सोचना चाहिए
अभिनेता ने कहा कि लोगों को पराली जलाने के लिए सोचना होगा. इसका विकल्प निकलना होगा. सरकार इसके लिए कुछ नहीं करने वाली है. लोगों को एहसास होना चाहिए यह गलत है. अगर हम नहीं मानेंगे तो एक दिन हमें इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा. अभिनेता ने कहा कि इसके लिए सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए. वहां बहुत सी जानकारी और अनुभवी लोग बैठे हैं. इसका विकल्प तलाशा जाना बेहद जरूरी है. जिससे हर वर्ष के इस सवाल से मुक्ति मिल सके.
भगवान को बेवजह परेशान नहीं करता
अभिनेता नाना पाटेकर ने किसी भी विवाद पर बयान देने से इनकार कर दिया. उन्होंने वाराणसी में चल रही अपनी फिल्म की शूटिंग पर बातें रखी. उन्होंने कहा कि बनारस बहुत बदल गया है लेकिन भीड़ बहुत बढ़ गई है. वह यहां अपनी फिल्म की शूटिंग में लगे हुए हैं. इस वजह से वह कहीं नहीं जा पाए हैं. अभिनेता ने कहा कि बार-बार भगवान के पास जाकर परेशान नहीं करना चाहिए. एक बार भगवान से मिल लिए बहुत है. बार-बार जाकर उनसे कहना कि मुझे यह दे दो मुझे वह दे दो उचित नहीं है. जब जाएंगे तब देख लिया जाएगा.
सबका सम्मान करना जरूरी
अभिनेता नाना पाटेकर ने कहा कि कहीं भी फिल्म की शूटिंग होती है तो इससे लोकल आर्टिस्ट को काफी फायदा मिलता है. अभिनेता ने कहा कि वह विवादों से बहुत दूर रहते हैं. उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में क्या हो रहा है क्या न ही वह इस बारे में ना बोलता हैं ना बोलना चाहते हैं. इस दौरान अभिनेता ने कहा कि सनातन सेंसर बोर्ड बनाए जाने की जरूरत है या नहीं मुझे नहीं पता लेकिन इसके लिए हर की अपनी खुद की जिम्मेदारी है. उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह अगर हिंदू हैं तो वह मुसलमान, क्रिश्चियन, जैन हर किसी को सम्मान दूंगा. अगर कोई फिल्म कंट्रोवर्शियल है तो उसको मत देखिए.
पुराना बनारस कहीं खो गया
"तिरंगा फिल्म" में शिवाजी वागले के किरदार को फिर से किए जाने के सवाल पर नाना पाटेकर ने कहा कि उस समय वह जवान थे. अब नहीं पता वैसा किरदार में कर पाऊंगा या नहीं. अभिनेता ने कहा कि वह 35 साल पहले एक फिल्म की शूटिंग के लिए बनारस आए थे. यहां के छितौनी गांव में शूटिंग की किया था. इसके बाद अब दोबारा अब बनारस आए हैं. पहले के बनारस के और अबके बनारस में बहुत अंतर हो गया है. अभिनेता ने कहा कि अब पुराना बनारस कहीं गुम हो गया है. यहां बहुत भीड़ हो गई है, वह बौखला जा रहे हैं. यहां उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है. यहां की ट्रैफिक व्यवस्था अच्छी नहीं है. उसके लिए अनुशासन जरूरी है, क्योंकि जहां 10 मिनट में पहुंचना है वहां घंटा भर लग रहा है.
किसी धर्म का अपमान न हो
अभिनेता नाना पाटेकर ने कहा कि वह मंदिर बहुत कम जाते हैं. उन्हें जब भगवान से बात करनी होती है तो वह कहीं भी हाथ जोड़ लेते हैं. वह भगवान के पास क्यों जांए ? मुझे जितना कुछ चाहिए था, उन्होंने मुझे दे दिया है. उनको परेशान करने की मेरी इच्छा अब नहीं है. जब ऊपर जाएंगे तो हम बात कर लेंगे. वहीं फिल्मों में सनातन धर्म के अपमान पर अभिनेता ने कहा कि किसी भी धर्म का अपमान फिल्मों में नहीं होना चाहिए इसके लिए हमें यह देखना पड़ेगा.
ओटीटी में गाली सही नहीं
अभिनेता नाना पाटेकर ने ओटीटी प्लेटफॉर्म और वर्तमान में बड़े पर्दे को लेकर चल रहे अंतर पर कहा कि ओटीटी एक अच्छा प्लेटफार्म है. पहले सीरियल बना करता था. अब ओटीटी प्लेटफॉर्म के जरिए फिल्मों और सीरियल के बीच का एक गैप काम हो गया है. लोग इसे देखना पसंद कर रहे हैं. इसके दर्शक अलग हैं और बड़े पर्दे पर फिल्में देखने के दर्शक अलग हैं, लेकिन लोगों की सोच बदल रही है. ओटीटी पर सेंसर बोर्ड की कैंची नहीं चलती, इस बारे में अभिनेता ने कहा कि ऐसा नहीं है. सेंसर बोर्ड काफी एक्टिव है, लेकिन किसी भी चीज में जबरदस्ती गाली-गलौज डाल देने से वह चीज अच्छी नहीं हो जाएगी या उसमें देसीपन नहीं आ जाएगा. गाली-गलौज उन्होंन भी फिल्मों में दी है लेकिन किसी भी चीज को बेवजह खींचना और उसे बड़ा बनाने के लिए गालियां शामिल कर लेना सही नहीं है. अगर आपके डायलॉग और आपकी फिल्म में दम है तो इन चीजों की जरूरत नहीं पड़ेगी.
लोकल आर्टिस्ट को मिले मौका
अभिनेता नाना पाटेकर ने कहा कि लोकल जो भी टैलेंट है. उसको अगर चांस नहीं मिलेगा तो वह आगे कैसे बढ़ेगा, जो लोग थिएटर से जुड़े हैं. उनको भी काम मिलना चाहिए. उन्होंने प्रकाश झा से कहा था कि इतने अच्छे आर्टिस्ट यहां पर हैं. उनको हम मुंबई से लाने की जगह लोकल आर्टिस्ट को मौका देना चाहिए. इसके लिए वह बनारस में भी बात करेंगे. कुछ ऐसा मंच होना चाहिए जहां लोकल टैलेंट को प्रोत्साहन मिले. उन्होंने कहा कि फिल्म का कुछ हिस्सा बनारस में बनाया जाना है. इस हिसाब से यहां शूटिंग हो रही है. इस फिल्म की शूटिंग उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर होगी. अभिनेता ने कहा कि अगर आपकी कहानी में दम है तो आप फिल्म आगे बढ़ा सकते हैं. कहानी में दम न होने से फिल्म आगे नहीं बढ़ सकती है.
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