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बनारस के युवाओं को जवानी में लग रहा बुढ़ापे का रोग, जानिए कैसे?

वाराणसी जिले के युवाओं में गठिया की बीमारी तेजी से फैल रही है. यह युवाओं के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. आज हम जानते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है, इसके कारण क्या हैं.

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जोड़ों में दर्द
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Published : May 26, 2023, 7:06 PM IST

10 साल में युवाओं में यह बीमार सबसे अधिक बढ़ी है.

वाराणसीः जिले के युवाओं में एक ऐसी बीमारी ने घर कर लिया है, जो अमूमन 50 की उम्र में लोगों को हुआ करती थी. ऐसे युवाओं की संख्या जिले में बढ़ती ही जा रही है, जो खतरनाक संकेत है. हम जिस बीमारी की बात कर रहे हैं वो है ऑर्थराइटिस यानी कि गठिया. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल में युवाओं में ये बीमारी बहुत ही तेजी से फैली है. हर 10 में से 5 युवा इस बीमारी से पीड़ित है.

हड्डी रोग अस्पताल में बैठी महिला अनुराधा चतुर्वेदी ने बताया कि उनकी 15 साल की बेटी है. उसके हाथ में, पैरों में, जोड़ों में इतना दर्द हो रहा कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि क्या किया जाए. ऐसा क्यों हो रहा है ये उन्हें पता नहीं चल सका है.

जोड़ों और घुटनों का दर्द 15 साल के बच्चों में भी
अनुराधा के इस जवाब के बाद पता चलता है कि यह बीमारी अब 15 साल की उम्र के बच्चों तक पहुंच चुकी है. यानी ये बीमारी अब बच्चों को भी नहीं छोड़ रही. एक वक्त था जब लोगों की उम्र 40 के पार होती थी तब ये समस्या पता चलती थी. स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा देखें तो अस्पताल आने वाले 10 में से 5 युवाओं में आर्थराइटिस या थायराइड की समस्या मिल रही है. इसके साथ ही 10 साल में युवाओं में ये बीमार सबसे अधिक बढ़ी है.

कमरे में बंद रहना और धूप में न निकलने से हो रही दिक्कत
वहीं, इस बीमारी को लेकर अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल सिन्हा बताया कि 'युवाओं में जोड़ों के दर्द, घुटनों के दर्द की समस्या आ रही है. उसका कारण है कि युवाओं का खान-पान बदला हुआ है. इसके साथ ही उनके साथ बैड हैबिट मोबाइल चलाने की लग गई है. वे दिनभर मोबाइल फोन यूज कर रहे हैं. ऐसे में वे लोग कमरे के अंदर बंद रहते हैं. अंधेरे में रहते हैं, क्योंकि सूर्य की रोशनी में तो मोबाइल चलाने में दिक्कत होगी. जब वे धूप में नहीं जाएंगे तो उन्हें विटामिन भी नहीं मिल पाता है. ऐसे में घुटनों में विटामिन डी बन नहीं पाता है'.

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गठिया रोग से जूझ रहे युवा

ओपीडी में 15 से 20 फीसदी मामले रोज आ रहे
उन्होंने कहा कि युवाओं को अब दूध पीना अच्छा नहीं लगता है. इससे भी उन्हें कैल्शियम की मात्रा नहीं मिल पाती है और विटामिन डी की कमी रहती है. इसकी वजह से घुटनों में, कमर में और गर्दन में दर्द की समस्या रहती है. डॉक्टर सिन्हा ने बताया कि ओपीडी में 15 से 20 फीसदी मरीज ऐसे मामलों के आ रहे हैं. सबसे अधिक ऐसे युवा आए हैं जिन्हें गर्दन में दर्द की समस्या थी. जब उनसे पूछा गया को पता चला कि वे दूध पीना बंद कर चुके हैं, खेलने-कूदने में रुचि नहीं रखते हैं. विटामिन डी और कैल्शियम भी कम पाया गया.

अस्पतालों में बढ़ी है युवा मरीजों की संख्या
एसएसपीजी हॉस्पिटल कबीरचौरा के हालात बताते हैं कि स्थिति कितनी डरावनी है. यहां के आंकड़ों की बात करें तो ऑर्थो ओपीडी में रोजाना आने वाले 100 मरीजों में से 50 मरीज ज्वाइंट पेन से यानी जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं. इनमें से 20 से 25 मरीज अभी युवा हैं. इसके साथ ही इनमें थॉयरायड और यूरिक एसिड की भी शिकायत मिली है. वहीं, बीएचयू एसएसएस हॉस्पिटल में जिरियाट्रिक्स और रुमेटोलॉजी ओपीडी में आने वाले 1,000 मरीजों में से 50 फीसदी 20 से 40 एज ग्रुप के हैं.

वजन बढ़ने और यूरिक एसिड से भी आ रही है दिक्कत
इस बारे में जिरियाट्रिक विभाग के चिकित्सक डॉक्टर आरएन सिंह ने बताया कि घुटनों में दर्द की समस्या के कई कारण होते हैं. वजन का बढ़ना भी इसमें दर्द का कारण होता है. पूरे शरीर का भार घुटनों पर रहता है. इससे जोड़ों पर दबाव रहता है. हाइट के अनुसार अपना वजन रखना चाहिए. दूसरी समस्या यह है कि हड्डियों में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से भी शरीर के जोड़ों में दर्द रहता है. खून में यूरिक एसिड बढ़ने के कारण भी इस समस्या का सामना लोगों को करना पड़ता है. इसकी जांच भी होती है, जिससे समस्या का पता किया जा सकता है.

खान-पान में कैल्शियम और विटामिन को शामिल करने की जरूरत
उन्होंने बताया कि आजकल के युवाओं में एक्सरसाइज की कमी के कारण भी दिक्कत आ रही है. अगर वे टेबल वर्क लगातार कर रहे हैं तो जोड़ों में समस्या आ जाती है. इसकी वजह है कि वे टहलना कम कर देते हैं. ऐसे में युवाओं को यह ध्यान रखना है कि उनका वजन न बढ़ने पाए, वे अपने शरीर का भार मेंटेन करके रखें. इसके साथ ही खान-पान को सुधारें, जिसमें कैल्शियम-विटामिन को शामिल करें. दूध और अंडे में इसकी मात्रा काफी रहती है. इन तरीकों से भी इस समस्या को दूर किया जा सकता है.

किन कारणों से हो सकता ऑर्थराइटिस
1- माता-पिता में ऑर्थराइटिस के लक्षण होने से बच्चों में इसकी संभावना बढ़ जाती है.
2- नींद पूरी न होना, लाइफस्टाइल खराब होना और खान-पान गड़बड़ होना.
3- विटामिन डी की कमी से लोगों में ऑर्थराइटिस की समस्या आ जाती है.
4- अधिक तनाव लेना और दूषित हवा में रहना भी इसका कारण माना जाता है.
5- अगर शरीर के किसी हिस्से में बार-बार चोट लगी है तो भी दिक्कतें आ सकती हैं.

पढ़ेंः सिर दर्द से उचटने लगे नींद तो न करें नजरअंदाज वरना ब्रेन टयूमर का हो सकता है आगाज

10 साल में युवाओं में यह बीमार सबसे अधिक बढ़ी है.

वाराणसीः जिले के युवाओं में एक ऐसी बीमारी ने घर कर लिया है, जो अमूमन 50 की उम्र में लोगों को हुआ करती थी. ऐसे युवाओं की संख्या जिले में बढ़ती ही जा रही है, जो खतरनाक संकेत है. हम जिस बीमारी की बात कर रहे हैं वो है ऑर्थराइटिस यानी कि गठिया. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल में युवाओं में ये बीमारी बहुत ही तेजी से फैली है. हर 10 में से 5 युवा इस बीमारी से पीड़ित है.

हड्डी रोग अस्पताल में बैठी महिला अनुराधा चतुर्वेदी ने बताया कि उनकी 15 साल की बेटी है. उसके हाथ में, पैरों में, जोड़ों में इतना दर्द हो रहा कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि क्या किया जाए. ऐसा क्यों हो रहा है ये उन्हें पता नहीं चल सका है.

जोड़ों और घुटनों का दर्द 15 साल के बच्चों में भी
अनुराधा के इस जवाब के बाद पता चलता है कि यह बीमारी अब 15 साल की उम्र के बच्चों तक पहुंच चुकी है. यानी ये बीमारी अब बच्चों को भी नहीं छोड़ रही. एक वक्त था जब लोगों की उम्र 40 के पार होती थी तब ये समस्या पता चलती थी. स्वास्थ्य विभाग का आंकड़ा देखें तो अस्पताल आने वाले 10 में से 5 युवाओं में आर्थराइटिस या थायराइड की समस्या मिल रही है. इसके साथ ही 10 साल में युवाओं में ये बीमार सबसे अधिक बढ़ी है.

कमरे में बंद रहना और धूप में न निकलने से हो रही दिक्कत
वहीं, इस बीमारी को लेकर अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल सिन्हा बताया कि 'युवाओं में जोड़ों के दर्द, घुटनों के दर्द की समस्या आ रही है. उसका कारण है कि युवाओं का खान-पान बदला हुआ है. इसके साथ ही उनके साथ बैड हैबिट मोबाइल चलाने की लग गई है. वे दिनभर मोबाइल फोन यूज कर रहे हैं. ऐसे में वे लोग कमरे के अंदर बंद रहते हैं. अंधेरे में रहते हैं, क्योंकि सूर्य की रोशनी में तो मोबाइल चलाने में दिक्कत होगी. जब वे धूप में नहीं जाएंगे तो उन्हें विटामिन भी नहीं मिल पाता है. ऐसे में घुटनों में विटामिन डी बन नहीं पाता है'.

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गठिया रोग से जूझ रहे युवा

ओपीडी में 15 से 20 फीसदी मामले रोज आ रहे
उन्होंने कहा कि युवाओं को अब दूध पीना अच्छा नहीं लगता है. इससे भी उन्हें कैल्शियम की मात्रा नहीं मिल पाती है और विटामिन डी की कमी रहती है. इसकी वजह से घुटनों में, कमर में और गर्दन में दर्द की समस्या रहती है. डॉक्टर सिन्हा ने बताया कि ओपीडी में 15 से 20 फीसदी मरीज ऐसे मामलों के आ रहे हैं. सबसे अधिक ऐसे युवा आए हैं जिन्हें गर्दन में दर्द की समस्या थी. जब उनसे पूछा गया को पता चला कि वे दूध पीना बंद कर चुके हैं, खेलने-कूदने में रुचि नहीं रखते हैं. विटामिन डी और कैल्शियम भी कम पाया गया.

अस्पतालों में बढ़ी है युवा मरीजों की संख्या
एसएसपीजी हॉस्पिटल कबीरचौरा के हालात बताते हैं कि स्थिति कितनी डरावनी है. यहां के आंकड़ों की बात करें तो ऑर्थो ओपीडी में रोजाना आने वाले 100 मरीजों में से 50 मरीज ज्वाइंट पेन से यानी जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं. इनमें से 20 से 25 मरीज अभी युवा हैं. इसके साथ ही इनमें थॉयरायड और यूरिक एसिड की भी शिकायत मिली है. वहीं, बीएचयू एसएसएस हॉस्पिटल में जिरियाट्रिक्स और रुमेटोलॉजी ओपीडी में आने वाले 1,000 मरीजों में से 50 फीसदी 20 से 40 एज ग्रुप के हैं.

वजन बढ़ने और यूरिक एसिड से भी आ रही है दिक्कत
इस बारे में जिरियाट्रिक विभाग के चिकित्सक डॉक्टर आरएन सिंह ने बताया कि घुटनों में दर्द की समस्या के कई कारण होते हैं. वजन का बढ़ना भी इसमें दर्द का कारण होता है. पूरे शरीर का भार घुटनों पर रहता है. इससे जोड़ों पर दबाव रहता है. हाइट के अनुसार अपना वजन रखना चाहिए. दूसरी समस्या यह है कि हड्डियों में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से भी शरीर के जोड़ों में दर्द रहता है. खून में यूरिक एसिड बढ़ने के कारण भी इस समस्या का सामना लोगों को करना पड़ता है. इसकी जांच भी होती है, जिससे समस्या का पता किया जा सकता है.

खान-पान में कैल्शियम और विटामिन को शामिल करने की जरूरत
उन्होंने बताया कि आजकल के युवाओं में एक्सरसाइज की कमी के कारण भी दिक्कत आ रही है. अगर वे टेबल वर्क लगातार कर रहे हैं तो जोड़ों में समस्या आ जाती है. इसकी वजह है कि वे टहलना कम कर देते हैं. ऐसे में युवाओं को यह ध्यान रखना है कि उनका वजन न बढ़ने पाए, वे अपने शरीर का भार मेंटेन करके रखें. इसके साथ ही खान-पान को सुधारें, जिसमें कैल्शियम-विटामिन को शामिल करें. दूध और अंडे में इसकी मात्रा काफी रहती है. इन तरीकों से भी इस समस्या को दूर किया जा सकता है.

किन कारणों से हो सकता ऑर्थराइटिस
1- माता-पिता में ऑर्थराइटिस के लक्षण होने से बच्चों में इसकी संभावना बढ़ जाती है.
2- नींद पूरी न होना, लाइफस्टाइल खराब होना और खान-पान गड़बड़ होना.
3- विटामिन डी की कमी से लोगों में ऑर्थराइटिस की समस्या आ जाती है.
4- अधिक तनाव लेना और दूषित हवा में रहना भी इसका कारण माना जाता है.
5- अगर शरीर के किसी हिस्से में बार-बार चोट लगी है तो भी दिक्कतें आ सकती हैं.

पढ़ेंः सिर दर्द से उचटने लगे नींद तो न करें नजरअंदाज वरना ब्रेन टयूमर का हो सकता है आगाज

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