वाराणसी: प्रभु यीशु के जन्म की घोषणा के बाद हर और खुशहाली छा गई. गिरजाघरों में विशेष पूजा और आराधना के साथ प्रभु की स्तुति और कैरोल गीतों की धुन पर प्रभु का जन्म हुआ. क्रिसमस के मौके पर गिरजाघरों को खूबसूरती से सजाया गया और गुरुवार को प्रभु यीशु ने जन्म लिया. हालांकि इस बार कोविड-19 की वजह से बहुत कुछ बदला हुआ नजर आया. वाराणसी के मुख्य चर्च सेंट मेरिज में जहां हर रात अर्धरात्रि में प्रभु यीशु का जन्म होता था. वहीं इस बार शाम 7:30 बजे प्रभु यीशु का जन्म हुआ और प्रसाद के रूप में केक बांटा गया. छावनी क्षेत्र में स्थित सेंट मेरिज महा गिरजाघर में धार्मिक अनुष्ठान के बीच मसीहा ने जन्म लेकर लोगों को दुख और तकलीफों से निजात दिलाई.
अर्ध रात्रि की जगह शाम में हुआ धार्मिक अनुष्ठान
छावनी क्षेत्र स्थित सेंट मेरी महागिरजाघर में हर साल भव्य मेले का आयोजन होता है, लेकिन इस बार कोविड-19 की वजह से तीन दिवसीय मेले का आयोजन नहीं किया गया. साधारण तौर पर शाम 6:00 बजे से ही धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत हुई और शाम 7:30 बजे बेशक की मौजूदगी में प्रभु यीशु का जन्म हुआ. बिशप ने बताया कि पवित्र धर्म ग्रंथ बाइबिल में कहा गया है कि ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसके लिए अपने इकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया. जिससे जो उसमें विश्वास करता है. उसका सर्वनाश ना हो बल्कि अनंत जीवन प्राप्त करें. इसी संदेश को बांटने के लिए आपसी भाईचारा और धार्मिक सौहार्द कायम करने के लिए हर साल क्रिसमस का यह आयोजन मनाया जाता है.
लोगों ने की कोविड 19 के खात्मे की प्रार्थना
कोविड-19 की वजह से भले ही चर्च में होने वाले अर्धरात्रि के आयोजन कैंसिल हुए हैं, लेकिन लोगों के अंदर श्रद्धा और विश्वास की कमी नहीं दिखाई दी. लोग सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चर्च में मौजूद रहे. चेहरे पर मास्क पहनकर लोगों ने प्रभु यीशु से कोविड-19 के जल्द खत्म होने की कामना की और लोगों ने विश्वास दिखाया कि प्रभु के जन्म के साथ ही देश और विश्व में व्याप्त कोरोना वायरस खत्म होगा और लोगों को इससे निजात मिल जाएगी.