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आईएसएम चिकित्सकों ने मार्च निकालकर आईएमए का किया विरोध - आईएमए के खिलाफ आईएसएम चिकित्सकों की पद यात्रा

केंद्र सरकार ने आईएसएम चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति दी है. इसका आईएमए विरोध कर रहा है. आईएमए ने इसके विरोध में 11 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है. वहीं, आईएसएम ने आईएमए के विरोध में धिक्कार पद यात्रा निकाली.

आईएमए का किया विरोध
आईएमए का किया विरोध
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Published : Dec 10, 2020, 3:56 PM IST

वाराणसी: नेशनल इंटीग्रेटेड वाराणसी ने गुरुवार को भारत सरकार के लिए धन्यवाद और आईएमए के लिए धिक्कार पद यात्रा निकाली. यात्रा सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के गेट से प्रारंभ हुई और आजाद पार्क लहुराबीर पर समाप्त हुई. केंद्र सरकार की तरफ से कुछ दिन पहले ही आईएसएम चिकित्सकों को सर्जरी का अधिकार दिया गया है. इसका विरोध आईएमए कर रहा है. इसी के विरोध में 11 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी बंद आईएमए की तरफ से किया जाएगा. इसे लेकर आईएसएम से जुड़े डॉक्टर आईएमए का विरोध कर रहे हैं.

असंवैधानिक है आईएमए का विरोध
इस पदयात्रा में शामिल डॉक्टर्स का कहना था कि आईएमए का 11 दिसंबर को होने वाला राष्ट्रव्यापी बंद औचित्यहीन और असंवैधानिक है. आईएमए के नेताओं द्वारा अवैज्ञानिक सोच के साथ भारतीय चिकित्सा पद्धति का विरोध बहुत निदंनीय और राष्ट्र विरोधी है. इसे देश कभी भी स्वीकार नहीं करेगा.

महर्षि सुश्रुत की देन है सर्जरी

महान आयुर्वेदाचार्य महर्षि सुश्रुत जो कि काशी के ही निवासी थे. उन्होंने हजारों साल पहले विभिन्न प्रकार के शल्क कर्म करके सर्जरी नामक विधा को स्थापित किया और आज की सर्जरी इसी विधा का आधुनिक स्वरूप है. जोकि भारतीय चिकित्सा पद्धति की ही देन है. इसी कारण केवल भारत में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में जहां भी सर्जरी की पढ़ाई होती है, वहां आज भी 'फादर ऑफ़ सर्जरी सुश्रुत' ही पढ़ाया जाता है.

आईएमए के विरोध को बताया गलत
आईएसएम चिकित्सक पांच साल का स्नातक कोर्स, एक साल की इंटर्नशिप और तीन साल का परास्नातक कोर्स करते हैं. उस दौरान मेडिसिन एवं सर्जरी सहित विभिन्न विषयों का विस्तृत अध्ययन करके योग्य चिकित्सक की डिग्री प्राप्त करते हैं. देश भर में लगभग 10 लाख आईएसएम चिकित्सक हैं. इनका देश की चिकित्सा व्यवस्था में अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान है. ऐसे में आईएमए का इस प्रकार का विरोध बहुत ही निन्दनीय है.

वाराणसी: नेशनल इंटीग्रेटेड वाराणसी ने गुरुवार को भारत सरकार के लिए धन्यवाद और आईएमए के लिए धिक्कार पद यात्रा निकाली. यात्रा सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के गेट से प्रारंभ हुई और आजाद पार्क लहुराबीर पर समाप्त हुई. केंद्र सरकार की तरफ से कुछ दिन पहले ही आईएसएम चिकित्सकों को सर्जरी का अधिकार दिया गया है. इसका विरोध आईएमए कर रहा है. इसी के विरोध में 11 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी बंद आईएमए की तरफ से किया जाएगा. इसे लेकर आईएसएम से जुड़े डॉक्टर आईएमए का विरोध कर रहे हैं.

असंवैधानिक है आईएमए का विरोध
इस पदयात्रा में शामिल डॉक्टर्स का कहना था कि आईएमए का 11 दिसंबर को होने वाला राष्ट्रव्यापी बंद औचित्यहीन और असंवैधानिक है. आईएमए के नेताओं द्वारा अवैज्ञानिक सोच के साथ भारतीय चिकित्सा पद्धति का विरोध बहुत निदंनीय और राष्ट्र विरोधी है. इसे देश कभी भी स्वीकार नहीं करेगा.

महर्षि सुश्रुत की देन है सर्जरी

महान आयुर्वेदाचार्य महर्षि सुश्रुत जो कि काशी के ही निवासी थे. उन्होंने हजारों साल पहले विभिन्न प्रकार के शल्क कर्म करके सर्जरी नामक विधा को स्थापित किया और आज की सर्जरी इसी विधा का आधुनिक स्वरूप है. जोकि भारतीय चिकित्सा पद्धति की ही देन है. इसी कारण केवल भारत में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में जहां भी सर्जरी की पढ़ाई होती है, वहां आज भी 'फादर ऑफ़ सर्जरी सुश्रुत' ही पढ़ाया जाता है.

आईएमए के विरोध को बताया गलत
आईएसएम चिकित्सक पांच साल का स्नातक कोर्स, एक साल की इंटर्नशिप और तीन साल का परास्नातक कोर्स करते हैं. उस दौरान मेडिसिन एवं सर्जरी सहित विभिन्न विषयों का विस्तृत अध्ययन करके योग्य चिकित्सक की डिग्री प्राप्त करते हैं. देश भर में लगभग 10 लाख आईएसएम चिकित्सक हैं. इनका देश की चिकित्सा व्यवस्था में अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान है. ऐसे में आईएमए का इस प्रकार का विरोध बहुत ही निन्दनीय है.

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