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PM Modi के 2025 तक टीबी को मात देने के लक्ष्य में आगरा सबसे आगे, इस तरह से कर रहा मदद

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Published : Mar 24, 2023, 2:00 PM IST

Updated : Mar 24, 2023, 5:06 PM IST

अंतरर्राष्ट्रीय टीबी दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री ने स्टॉप टीबी कैंपन के तहत वन वर्ल्ड टीबी समिट का उद्घाटन किया. 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने की ओर सरकार की बड़ी पहल है. लेकिन क्या आप जानते है.? आगरा में टीबी को मात देने वाले लोग किस तरह से पीएम के इस अभियान में मदद कर रहे है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट....

अंतरर्राष्ट्रीय टीबी दिवस
अंतरर्राष्ट्रीय टीबी दिवस
टीबी को मात देने के लक्ष्य में आगरा सबसे आगे

आगराः प्रधानमंत्री मोदी ने देश से साल 2025 तक टीबी खत्म करने का लक्ष्य रखा है. पूरे देश में इसी मंशा से 'टीबी हारेगा और देश जीतेगा'. 'पूर्ण संकल्प, संयुक्त प्रयास' जैसे स्लोगन के साथ कैंपन चलाया जा रहा है. आगरा की बात करें तो जिले में 16 टीबी चैंपियन हैं, जिन्होंने टीबी की बीमारी होने पर हौसले और समय पर दवा लेकर इसे मात दी. अब ये लोग दूसरे टीबी मरीजों को मोटिवेट कर रहे हैं. इनका कहना है कि टीबी होने पर डरे नहीं, घबराएं नहीं, समय से दवा खाएं. पौष्टिक आहार लें. इससे टीबी को मात दिया जा सकता है और पीएम मोदी के टीबी मुक्त भारत के मिशन को भी पूरा किया जा सकता है.

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सीएल यादव बताते हैं कि साल 2023 तक 11878 टीबी के मरीज ठीक हो चुके हैं. मार्च तक जिले में 4863 एक्टिव टीबी के मरीज हैं. इनमें 2758 पुरुष, 1948 महिला, 156 बच्चे और एक थर्ड जेंडर टीबी का मरीज है. सभी नियमित दवा ले रहे हैं. इसके साथ ही पंचायती राज विभाग जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) के जरिए गांव-गांव और घर-घर जाकर प्रधानों की मदद से टीबी मरीजों की खोजबीन की दा रही है. आगरा में 26 टीबी यूनिट हैं.

वजन कम हुआ और बुखार थाः टीबी को मात देने वाली शिवानी ने बताया, 'मेरा वजन कम हो गया था. बुखार भी आ रहा था. पिता को टीबी बीमारी के बारे में पता था. इसलिए, एसएन मेडिकल काॅलेज में मेरी जांच कराई. यहां पर टीबी की जानकारी हुई. चिकित्सकों ने भर्ती करने को कहा तो मैं डर गई थी. मैंने पूरा 6 माह का इलाज लिया. समय पर दवा खाई. मैंने टीबी को मात दी. अब मैं ठीक हूं. दूसरे टीबी के मरीजों से अपने अनुभव शेयर करती हूं. जिससे वे डरें नहीं. क्योंकि, टीबी की पुष्टि होने के बाद मरीज डर जाते हैं. उन्हें सबसे ज्यादा डर छह माह तक चलने वाले उपचार का होता है. मैं उन्हें यही समझाती हूं कि आप समय से दवाएं खाएं. छह माह के इलाज में आप टीबी से ठीक हो जाएंगे. यह बीमार खत्म हो जाती है.

डरें नहीं, दवाएं खाएंः टीबी को मात देने वाली चैंपियन आरती ने बताया, 'मेरा काम यह है कि जो भी टीबी के मरीज आते हैं. उन्हें दवा खाने के बारे में बताते हैं. उन्हें दवा के बारे में बताते हैं. टीबी के मरीजों को यह बताते हैं कि नियमित छह माह तक दवा खाएं. मुझे भी टीबी हुई थी. मैं अब बिल्कुल ठीक हूं. आपको डरना और घबराना नहीं हैं. परिवार के लोगों को भी यही बताते हैं कि, मरीज से बेहतर बर्ताव करें. उसे मोटिवेट करें.'

आगरा में 16 टीबी चैंपियन कर रहे कामः वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था जिला सामुदायक समन्वयक यूनिस खान ने बताया, 'एक साल से आगरा में यह संस्था काम कर रही है. हमारे पास 16 टीबी चैंपियन हैं. टीबी चैपिंयन वे हैं. जो पहले टीबी के मरीज थे. अब वे दूसरे टीबी के मरीजों को जागरुक कर रहे हैं. उनसे अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं. अभी तक संस्था के ये 16 टीबी चैंपियन करीब 3 हजार लोगों की काउंसलिंग कर चुके हैं. इसमें टीबी के मरीज और उनके परिजन शामिल हैं.'

बच्ची टीबी से हुई ठीकः गोकुलपुरा निवासी मीरा देवी ने बताया, बेटे और बहू की मौत हो गई है. उसका बच्चा मैं ही पाल रही हूं. छोटी नातिनी का वजन कम हो गया. वह सूखती जा रही थी. जब अस्पताल आए तो चिकित्सक ने बताया कि बच्ची को टीबी है. उसका इलाज कराया. छह माह तक बच्ची को दवा खिलाई. अब बच्ची ठीक है.'

आगरा में टीबी चैंपियन की भूमिका अहमः जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. सीएल यादव ने बताया कि भारत को 2025 तक टीबी मुक्त करना है. आगरा में ऐसे टीबी के मरीज हैं. जो पहले खुद टीबी से ग्रसित हुए. वे डरे नहीं. उन्होंने छह माह तक उपचार कराया. समय से दवा खाई और टीबी को मात दी. अब वे टीबी चैंपियन बनकर दूसरे टीबी के मरीज और लोगों को जागरूक कर रहे हैं. वे समाज में जाकर लोगों को लोगों को टीबी के लक्षण, उसकी जांच और उपचार के बारे में बताते हैं. आगरा जिले में टीबी चैंपियन बेहतर काम कर रहे हैं. कार्यालय में टीबी चैंपियन की टीम आने वाले टीबी के मरीज और उनके परिजनों की काउंसलिंग करते हैं. उन्हें टीबी के उपचार के बारे में बताते हैं. इसके साथ ही गली, मोहल्ले, बस्ती और काॅलोनियों में जाकर भी टीबी चैंपियन लोगों से बैठक करते हैं.

ये भी पढ़ेंः वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी बोले-टीबी के खिलाफ वैश्विक संकल्प को नई उर्जा देगी काशी

टीबी को मात देने के लक्ष्य में आगरा सबसे आगे

आगराः प्रधानमंत्री मोदी ने देश से साल 2025 तक टीबी खत्म करने का लक्ष्य रखा है. पूरे देश में इसी मंशा से 'टीबी हारेगा और देश जीतेगा'. 'पूर्ण संकल्प, संयुक्त प्रयास' जैसे स्लोगन के साथ कैंपन चलाया जा रहा है. आगरा की बात करें तो जिले में 16 टीबी चैंपियन हैं, जिन्होंने टीबी की बीमारी होने पर हौसले और समय पर दवा लेकर इसे मात दी. अब ये लोग दूसरे टीबी मरीजों को मोटिवेट कर रहे हैं. इनका कहना है कि टीबी होने पर डरे नहीं, घबराएं नहीं, समय से दवा खाएं. पौष्टिक आहार लें. इससे टीबी को मात दिया जा सकता है और पीएम मोदी के टीबी मुक्त भारत के मिशन को भी पूरा किया जा सकता है.

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सीएल यादव बताते हैं कि साल 2023 तक 11878 टीबी के मरीज ठीक हो चुके हैं. मार्च तक जिले में 4863 एक्टिव टीबी के मरीज हैं. इनमें 2758 पुरुष, 1948 महिला, 156 बच्चे और एक थर्ड जेंडर टीबी का मरीज है. सभी नियमित दवा ले रहे हैं. इसके साथ ही पंचायती राज विभाग जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) के जरिए गांव-गांव और घर-घर जाकर प्रधानों की मदद से टीबी मरीजों की खोजबीन की दा रही है. आगरा में 26 टीबी यूनिट हैं.

वजन कम हुआ और बुखार थाः टीबी को मात देने वाली शिवानी ने बताया, 'मेरा वजन कम हो गया था. बुखार भी आ रहा था. पिता को टीबी बीमारी के बारे में पता था. इसलिए, एसएन मेडिकल काॅलेज में मेरी जांच कराई. यहां पर टीबी की जानकारी हुई. चिकित्सकों ने भर्ती करने को कहा तो मैं डर गई थी. मैंने पूरा 6 माह का इलाज लिया. समय पर दवा खाई. मैंने टीबी को मात दी. अब मैं ठीक हूं. दूसरे टीबी के मरीजों से अपने अनुभव शेयर करती हूं. जिससे वे डरें नहीं. क्योंकि, टीबी की पुष्टि होने के बाद मरीज डर जाते हैं. उन्हें सबसे ज्यादा डर छह माह तक चलने वाले उपचार का होता है. मैं उन्हें यही समझाती हूं कि आप समय से दवाएं खाएं. छह माह के इलाज में आप टीबी से ठीक हो जाएंगे. यह बीमार खत्म हो जाती है.

डरें नहीं, दवाएं खाएंः टीबी को मात देने वाली चैंपियन आरती ने बताया, 'मेरा काम यह है कि जो भी टीबी के मरीज आते हैं. उन्हें दवा खाने के बारे में बताते हैं. उन्हें दवा के बारे में बताते हैं. टीबी के मरीजों को यह बताते हैं कि नियमित छह माह तक दवा खाएं. मुझे भी टीबी हुई थी. मैं अब बिल्कुल ठीक हूं. आपको डरना और घबराना नहीं हैं. परिवार के लोगों को भी यही बताते हैं कि, मरीज से बेहतर बर्ताव करें. उसे मोटिवेट करें.'

आगरा में 16 टीबी चैंपियन कर रहे कामः वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था जिला सामुदायक समन्वयक यूनिस खान ने बताया, 'एक साल से आगरा में यह संस्था काम कर रही है. हमारे पास 16 टीबी चैंपियन हैं. टीबी चैपिंयन वे हैं. जो पहले टीबी के मरीज थे. अब वे दूसरे टीबी के मरीजों को जागरुक कर रहे हैं. उनसे अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं. अभी तक संस्था के ये 16 टीबी चैंपियन करीब 3 हजार लोगों की काउंसलिंग कर चुके हैं. इसमें टीबी के मरीज और उनके परिजन शामिल हैं.'

बच्ची टीबी से हुई ठीकः गोकुलपुरा निवासी मीरा देवी ने बताया, बेटे और बहू की मौत हो गई है. उसका बच्चा मैं ही पाल रही हूं. छोटी नातिनी का वजन कम हो गया. वह सूखती जा रही थी. जब अस्पताल आए तो चिकित्सक ने बताया कि बच्ची को टीबी है. उसका इलाज कराया. छह माह तक बच्ची को दवा खिलाई. अब बच्ची ठीक है.'

आगरा में टीबी चैंपियन की भूमिका अहमः जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. सीएल यादव ने बताया कि भारत को 2025 तक टीबी मुक्त करना है. आगरा में ऐसे टीबी के मरीज हैं. जो पहले खुद टीबी से ग्रसित हुए. वे डरे नहीं. उन्होंने छह माह तक उपचार कराया. समय से दवा खाई और टीबी को मात दी. अब वे टीबी चैंपियन बनकर दूसरे टीबी के मरीज और लोगों को जागरूक कर रहे हैं. वे समाज में जाकर लोगों को लोगों को टीबी के लक्षण, उसकी जांच और उपचार के बारे में बताते हैं. आगरा जिले में टीबी चैंपियन बेहतर काम कर रहे हैं. कार्यालय में टीबी चैंपियन की टीम आने वाले टीबी के मरीज और उनके परिजनों की काउंसलिंग करते हैं. उन्हें टीबी के उपचार के बारे में बताते हैं. इसके साथ ही गली, मोहल्ले, बस्ती और काॅलोनियों में जाकर भी टीबी चैंपियन लोगों से बैठक करते हैं.

ये भी पढ़ेंः वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी बोले-टीबी के खिलाफ वैश्विक संकल्प को नई उर्जा देगी काशी

Last Updated : Mar 24, 2023, 5:06 PM IST
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