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इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ काशी के 'अर्जुन' का कीर्तिमान - आर्ची चैंपियनशिप

काशी के नन्हे धनुर्धर अर्जुन का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है. इसके साथ ही अर्जुन ने अपने माता-पिता के साथ वाराणसी का नाम भी विश्व पटल पर रोशन किया है.

काशी के अर्जुन ने तीरंदाजी में नाम रोशन किया.
काशी के अर्जुन ने तीरंदाजी में नाम रोशन किया.
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Published : Jul 5, 2020, 12:26 PM IST

Updated : Jul 6, 2020, 6:05 AM IST

वाराणसी: शिष्य अपने गुरुओं के मार्गदर्शन में बड़ी-बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेते हैं. ऐसे में यह बात बिल्कुल सही है कि अगर सही मार्गदर्शन किया जाए, तो व्यक्ति सफल जरूर होता है. काशी के लाल ने ऐसा ही कार्य किया है. काशी के इस लाल ने अपने माता-पिता के साथ वाराणसी का नाम भी विश्व पटल पर रोशन किया है. हम बात कर रहे हैं काशी के अर्जुन की...

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अर्जुन का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है.



माता पिता को ही माना गुरु
अर्जुन ने छः साल की उम्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिया में ढेरों मेडल जीते हैं. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम भी दर्ज कराया है. अर्जुन के इस सफलता के पीछे कोई और नहीं बल्कि उसके गुरु उसके पिता का हाथ है. अर्जुन के माता-पिता ने एक गुरु की तरह अर्जुन को शिक्षा दिया और निरंतर अग्रसर चलने के लिए प्रेरित किया. एकेडमिक शिक्षा के बाद अर्जुन अपने माता-पिता के साथ अपने पसंदीदा खेल तीरंदाजी का प्रैक्टिस करते हैं. इसलिए वह अपने माता-पिता को ही अपना गुरु मानते हैं.

काशी के अर्जुन ने तीरंदाजी में नाम रोशन किया.
इस वजह से नाम हुआ दर्ज
अर्जुन ने बताया कि साढ़े 3 साल की उम्र में उसने पहली बार राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में विजयवाड़ा में भाग लिया था और करीब साढ़े 4 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में मलेशिया और चीन के मकाउ में खेला. इन्हीं दो प्रतियोगिताओं के कारण अर्जुन को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में जगह मिली है. यंगेस्ट इंटरनेशनल पार्टिसिपेट इन इंडिया आर्ची चैंपियनशिप 5 साल 9 महीना, 7 फरवरी 2020 को इंडिया रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ. दूसरा यंगेस्ट इंडिया आर्ची पार्टिसिपेट चैंपियन 3 साल 8 महीना. इसके लिए 18 फरवरी 2020 को इंडिया बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ. हालांकि वैश्विक महामारी में लॉकडाउन के वजह से इनके पास सर्टिफिकेट पहुंचने में काफी देर हो गई, लेकिन गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सर्टिफिकेट मिल गया.
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो
अर्जुन के पिता अजय सिंह ने बताया कि अर्जुन बहुत मेहनत करता है और हम चाहते हैं कि वह बहुत आगे जाए, अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराएं. हमें बहुत ही अच्छा लगता है कि हमारे साथ हमारे देश का नाम भी ऊंचा कर रहा है. एक गुरु के लिए इससे बड़ी दक्षिणा नहीं हो सकती. अर्जुन की मां शशि कला सिंह का कहना है कि अर्जुन बहुत मेहनत करता है और सुबह उठकर ही अपनी तीरंदाजी का प्रैक्टिस करता है. देश के कई स्थानों पर अर्जुन ने कंपटीशन जीते हैं. मलेशिया और चीन में भी अर्जुन ने कंपटीशन जीता है, इसलिए उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है.
पसंद है तीरदांजी

अर्जुन सिंह ने बताया कि तीरदांजी करना उन्हें बहुत ही पसंद है और जिसके लिए उनके माता-पिता सहयोग करते हैं. इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ है, जो माता-पिता के मेहनत से संभंव हुआ है. मैं नेशनल और इंटरनेशनल सबसे कम उम्र का तीरंदाजी प्रतियोगिता जीतने वाला खिलाड़ी हूं.

वाराणसी: शिष्य अपने गुरुओं के मार्गदर्शन में बड़ी-बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेते हैं. ऐसे में यह बात बिल्कुल सही है कि अगर सही मार्गदर्शन किया जाए, तो व्यक्ति सफल जरूर होता है. काशी के लाल ने ऐसा ही कार्य किया है. काशी के इस लाल ने अपने माता-पिता के साथ वाराणसी का नाम भी विश्व पटल पर रोशन किया है. हम बात कर रहे हैं काशी के अर्जुन की...

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अर्जुन का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है.



माता पिता को ही माना गुरु
अर्जुन ने छः साल की उम्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिया में ढेरों मेडल जीते हैं. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम भी दर्ज कराया है. अर्जुन के इस सफलता के पीछे कोई और नहीं बल्कि उसके गुरु उसके पिता का हाथ है. अर्जुन के माता-पिता ने एक गुरु की तरह अर्जुन को शिक्षा दिया और निरंतर अग्रसर चलने के लिए प्रेरित किया. एकेडमिक शिक्षा के बाद अर्जुन अपने माता-पिता के साथ अपने पसंदीदा खेल तीरंदाजी का प्रैक्टिस करते हैं. इसलिए वह अपने माता-पिता को ही अपना गुरु मानते हैं.

काशी के अर्जुन ने तीरंदाजी में नाम रोशन किया.
इस वजह से नाम हुआ दर्ज
अर्जुन ने बताया कि साढ़े 3 साल की उम्र में उसने पहली बार राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में विजयवाड़ा में भाग लिया था और करीब साढ़े 4 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में मलेशिया और चीन के मकाउ में खेला. इन्हीं दो प्रतियोगिताओं के कारण अर्जुन को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में जगह मिली है. यंगेस्ट इंटरनेशनल पार्टिसिपेट इन इंडिया आर्ची चैंपियनशिप 5 साल 9 महीना, 7 फरवरी 2020 को इंडिया रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ. दूसरा यंगेस्ट इंडिया आर्ची पार्टिसिपेट चैंपियन 3 साल 8 महीना. इसके लिए 18 फरवरी 2020 को इंडिया बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ. हालांकि वैश्विक महामारी में लॉकडाउन के वजह से इनके पास सर्टिफिकेट पहुंचने में काफी देर हो गई, लेकिन गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सर्टिफिकेट मिल गया.
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो
अर्जुन के पिता अजय सिंह ने बताया कि अर्जुन बहुत मेहनत करता है और हम चाहते हैं कि वह बहुत आगे जाए, अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराएं. हमें बहुत ही अच्छा लगता है कि हमारे साथ हमारे देश का नाम भी ऊंचा कर रहा है. एक गुरु के लिए इससे बड़ी दक्षिणा नहीं हो सकती. अर्जुन की मां शशि कला सिंह का कहना है कि अर्जुन बहुत मेहनत करता है और सुबह उठकर ही अपनी तीरंदाजी का प्रैक्टिस करता है. देश के कई स्थानों पर अर्जुन ने कंपटीशन जीते हैं. मलेशिया और चीन में भी अर्जुन ने कंपटीशन जीता है, इसलिए उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है.
पसंद है तीरदांजी

अर्जुन सिंह ने बताया कि तीरदांजी करना उन्हें बहुत ही पसंद है और जिसके लिए उनके माता-पिता सहयोग करते हैं. इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ है, जो माता-पिता के मेहनत से संभंव हुआ है. मैं नेशनल और इंटरनेशनल सबसे कम उम्र का तीरंदाजी प्रतियोगिता जीतने वाला खिलाड़ी हूं.

Last Updated : Jul 6, 2020, 6:05 AM IST
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