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वाराणसीः सुबह-ए-बनारस के वास्तु संकल्प 'शिवार्पण' का हुआ लोकार्पण - शिवार्पण का हुआ लोकार्पण

यूपी के वाराणसी स्थित अस्सी घाट पर सुबह-ए-बनारस स्थल का सुंदरीकरण किया गया है. इसका नाम 'शिवार्पण' रखा गया है. रविवार को राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने लोकार्पण किया.

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शिवार्पण
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Published : Sep 27, 2020, 6:33 PM IST

वाराणसीः अस्सी घाट पर बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा वित्त पोषित सुबह-ए-बनारस के वास्तु संकल्प 'शिवार्पण' का रविवार को उत्तर प्रदेश के पर्यटन राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने लोकार्पण किया. इस दौरान पत्थरों पर हुई नक्काशी को बहुत ही बारीकी से देखा गया. कार्यक्रम में नगर आयुक्त गौरांग राठी, उप महाप्रबंधक प्रतीक अनुभूति उपस्थित रहे. इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान भी किया गया.

मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि सुबह-ए-बनारस की आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक ख्याति आज पूरे विश्व में है. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का अनुष्ठान, काशी की गरिमा, काशी की संस्कृति और काशी के अध्यात्म से विश्व को परिचित करा रहा है. वर्तमान वैश्विक संकट से विश्व को मुक्ति मिले यह हमारा संकल्प है.

उन्होंने बताया कि सुबह-ए-बनारस के पवित्र परिषद में पवित्र दीपावलियां, ऋषि, महात्मा, काशी की संस्कृति और अध्यात्म की अलौकिक छवि उकेरी गई है. आयोजकों के प्रयास और समर्पण की प्रशंसा करते हुए उन्होंने इस संकल्प को ऐतिहासिक बताया.

सुबह-ए-बनारस के संस्थापक डॉ. रत्नेश वर्मा ने बताया कि शिवार्पण में काशी के इतिहास चक्र को उकेरा गया है. उन्होंने बताया कि प्रवेश द्वार पुरुषार्थ का प्रतीक है. सात सीढ़ियां, सप्तदीप और अन्य चार सीढ़ियां और प्रांगण का प्रवेश आश्रम व्यवस्था के रूप में संकल्पित है. इस प्रकार जो अन्य क्षेत्र हैं. वह काशी के इतिहास और झरोखा हैं.

वाराणसीः अस्सी घाट पर बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा वित्त पोषित सुबह-ए-बनारस के वास्तु संकल्प 'शिवार्पण' का रविवार को उत्तर प्रदेश के पर्यटन राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने लोकार्पण किया. इस दौरान पत्थरों पर हुई नक्काशी को बहुत ही बारीकी से देखा गया. कार्यक्रम में नगर आयुक्त गौरांग राठी, उप महाप्रबंधक प्रतीक अनुभूति उपस्थित रहे. इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान भी किया गया.

मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि सुबह-ए-बनारस की आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक ख्याति आज पूरे विश्व में है. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का अनुष्ठान, काशी की गरिमा, काशी की संस्कृति और काशी के अध्यात्म से विश्व को परिचित करा रहा है. वर्तमान वैश्विक संकट से विश्व को मुक्ति मिले यह हमारा संकल्प है.

उन्होंने बताया कि सुबह-ए-बनारस के पवित्र परिषद में पवित्र दीपावलियां, ऋषि, महात्मा, काशी की संस्कृति और अध्यात्म की अलौकिक छवि उकेरी गई है. आयोजकों के प्रयास और समर्पण की प्रशंसा करते हुए उन्होंने इस संकल्प को ऐतिहासिक बताया.

सुबह-ए-बनारस के संस्थापक डॉ. रत्नेश वर्मा ने बताया कि शिवार्पण में काशी के इतिहास चक्र को उकेरा गया है. उन्होंने बताया कि प्रवेश द्वार पुरुषार्थ का प्रतीक है. सात सीढ़ियां, सप्तदीप और अन्य चार सीढ़ियां और प्रांगण का प्रवेश आश्रम व्यवस्था के रूप में संकल्पित है. इस प्रकार जो अन्य क्षेत्र हैं. वह काशी के इतिहास और झरोखा हैं.

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