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वाराणसीः IIT BHU ने बनाया अनाजों से कंकड़ को अलग करने वाली मशीन

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित आईआईटी बीएचयू के बायोकेमिकल डिपार्टमेंट ने किसानों के लाभ के लिए एक मशीन तैयार की है. यह मशीन एक दूसरे अनाजों को अलग करेगी. साथ ही अनाजों से कंकड़ को भी पूरी तरह अलग करने का काम करेगी.

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अनाजों से कंकड़ को अलग करने वाली मशीन.
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Published : Feb 3, 2020, 5:32 PM IST

वाराणसीः जिले के आईआईटी बीएचयू के बायोकेमिकल डिपार्टमेंट ने एक ऐसा आविष्कार किया है जो आने वाले दिनों में किसानों को लाभ देगा. डिपार्टमेंट द्वारा बनाई गई यह सेग्रिगेटेड मशीन एक दूसरे अनाजों को अलग करने के साथ-साथ अनाजों से कंकड़ को भी पूरी तरह अलग करने का काम करेगा.

अनाजों से कंकड़ को अलग करने वाली मशीन.

आने वाले दिनों में किसानों को लाभ
फसल की कटाई करने के बाद उसमें से कंकरिया पत्थर हटाने के लिए किसानों को घंटे व दिनों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी. इस मेहनत को कम करने के लिए किसान सेग्रिगेटेड मशीन भी खरीदते हैं, लेकिन मशीन काफी महंगी होती है, लेकिन आईआईटी बीएचयू के बायो इंजीनियरिंग स्कूल में बनी यह मशीन अब किसानों की परेशानी दूर कर देगी. दरअसल, यह मशीन एक दूसरे अनाजों को अलग करेगी. साथ ही अनाजों से कंकड़ को भी पूरी तरह अलग कर देगी.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी: बीएचयू साइंस ऑफ फुटवियर वर्कशॉप में छात्रों ने जाना कैसे पहने फुटवियर

मात्र दो हजार में तैयार की गई मशीन
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विशाल मिश्रा ने बताया कि लाखों में मिलने वाले सेग्रिगेटेड मशीन को आईआईटी बीएचयू की शोध छात्रा प्रियंका ने मात्र दो हजार में तैयार किया है. इसे तैयार करने के लिए कबाड़ में बिकने वाले लोहे के रॉड का प्रयोग किया गया है. साथ ही यह मशीन बिजली की कम खपत से चलती है.

अनाज में से कंकड़ और पत्थर को अलग करना
मशीन का मुख्य प्रयोग अनाज में से कंकड़ और पत्थर को अलग करना है. छोटी सी यह मशीन किसानों को बहुत ही लाभ देगी. साथ ही असिस्टेंट प्रोफेसर ने बताया कि कंपनी से बात हो गई है. जल्द ही मॉडल बनाकर किसानों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा.

वाराणसीः जिले के आईआईटी बीएचयू के बायोकेमिकल डिपार्टमेंट ने एक ऐसा आविष्कार किया है जो आने वाले दिनों में किसानों को लाभ देगा. डिपार्टमेंट द्वारा बनाई गई यह सेग्रिगेटेड मशीन एक दूसरे अनाजों को अलग करने के साथ-साथ अनाजों से कंकड़ को भी पूरी तरह अलग करने का काम करेगा.

अनाजों से कंकड़ को अलग करने वाली मशीन.

आने वाले दिनों में किसानों को लाभ
फसल की कटाई करने के बाद उसमें से कंकरिया पत्थर हटाने के लिए किसानों को घंटे व दिनों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी. इस मेहनत को कम करने के लिए किसान सेग्रिगेटेड मशीन भी खरीदते हैं, लेकिन मशीन काफी महंगी होती है, लेकिन आईआईटी बीएचयू के बायो इंजीनियरिंग स्कूल में बनी यह मशीन अब किसानों की परेशानी दूर कर देगी. दरअसल, यह मशीन एक दूसरे अनाजों को अलग करेगी. साथ ही अनाजों से कंकड़ को भी पूरी तरह अलग कर देगी.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी: बीएचयू साइंस ऑफ फुटवियर वर्कशॉप में छात्रों ने जाना कैसे पहने फुटवियर

मात्र दो हजार में तैयार की गई मशीन
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विशाल मिश्रा ने बताया कि लाखों में मिलने वाले सेग्रिगेटेड मशीन को आईआईटी बीएचयू की शोध छात्रा प्रियंका ने मात्र दो हजार में तैयार किया है. इसे तैयार करने के लिए कबाड़ में बिकने वाले लोहे के रॉड का प्रयोग किया गया है. साथ ही यह मशीन बिजली की कम खपत से चलती है.

अनाज में से कंकड़ और पत्थर को अलग करना
मशीन का मुख्य प्रयोग अनाज में से कंकड़ और पत्थर को अलग करना है. छोटी सी यह मशीन किसानों को बहुत ही लाभ देगी. साथ ही असिस्टेंट प्रोफेसर ने बताया कि कंपनी से बात हो गई है. जल्द ही मॉडल बनाकर किसानों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा.

Intro:स्पेशल

वाराणसी सरकार ने 2020 बजट पेश किया जिसमें किसानों के लिए पिटारा खोल दिया तो पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आईआईटीबीएचयू के बायोकेमिकल डिपार्टमेंट ने कैसा आविष्कार किया है जो आने वाले दिनों में किसानों को लाभ देगा।


Body:किसान जब फसल तैयार हो जाती है तो कटाई करने के बाद उसमें कंकरिया पत्थर हटाने के लिए उसे घंटे या दिनों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती है इस मेहनत को कम करने के लिए किसान सेग्रिगेटेड मशीन भी खरीदते हैं लेकिन मशीन काफी महंगा होता है ऐसे में मशीन चंद किसानों के पास ही होता है। लेकिन आईआईटीबीएचयू के बायो इंजीनियरिंग स्कूल में बनी या मशीन अब उनकी परेशानी दूर कर देगी। वह भी कुछ घण्टो में डिपार्टमेंट ने इसका नाम सेग्रिगेटेड रखा है। तू एक दूसरे अनाजों को अलग करेगा उसके साथ ही अनाजों से कंकड़ को भी पूरी तरह अलग कर देगा।


Conclusion:प्रियंका यादव ने बताया यह एक सेग्रिगेटेड मशीन है। जो कि अनाजों को अलग करता है। जिसका भार ज्यादा होता है वह नीचे चला जाता है और जिसका बाहर कम होता है वह ऊपर चलाता है। सेम फेना मिला इसमें यूज हुआ है। अभी हमने एक लाई लिया है और सरसों लिया है। सरसों का वेट ज्यादा होता है वह नीचे चला गया और लाई हल्की होती है तो ऊपर आ गई। सबसे बड़ा लाभ होगा जो इसका प्राइस है। बहुत ही कम है। ₹18000 तक का होता है लेकिन यह जो मशीन हम बना रहे हैं यह लगभग ₹2000 तक का पड़ेगा। हमने स्माल लेबल पेज को यूज़ किया है आगे लॉज लेवल पर उसका प्रयोग किया जाती है बहुत ही सक्सेस होगा।

बाईट :-- प्रियंका यादव, रिसर्च स्टूडेंट,आईआईटी बीएचयू

डॉ विशाल मिश्रा ने बताया उसका खास बात यह है कि लाखों में मिलने वाले सेग्रिगेटेड मशीन को आईआईटी बीएचयू के शोध छात्रा प्रियंका ने मात्र दो हजार में तैयार किया है।इस तैयार करने के लिए कबाड़ में बिकने वाले लोहे के रॉड का प्रयोग किया गया है अनाज के डिब्बे को प्लास्टिक का उपयोग किया गया है। ताकि अभी हम मशीन के जरिए अनाज फिल्टर हो और वही पारदर्शिता भी दिखे। इसके साथ ही बीजली की कम खपत से चलता है। इसका मुख्य प्रयोग है अनाज में से कंकड़ और पत्थर को अलग करना। इस मशीन से जो हमारे छोटे किसान हैं उनसे बहुत ही फायदा होगा क्योंकि वह छोटे क्षेत्रों में खेती करते हैं और कम अनाज उगाते हैं। एक छोटे मशीन उन्हें बहुत ही लाभ देगा। हमारी कंपनी से बात हो गई है जल्दी यह मॉडल बनाकर किसानों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।

बाईट :-- डॉ विशाल मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर, आईआईटी बीएचयू

आशुतोष उपाध्याय

7007459303

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