वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर सैकड़ों की संख्या में IIT BHU और साइंस फैकल्टी के रिसर्च स्कॉलर्स ने विरोध प्रदर्शन कर सभा आयोजित की, जिसमें कहा कि एक देश में एक नियुक्ति के लिए एक अहर्ता होनी चाहिए. उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग(UPHESC) में आवश्यक बदलाव नहीं होता आंदोलन जारी रहेगा. छात्रों ने केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी किया और हाथों में पोस्टर लेकर अपना विरोध जताया.
जानिए पूरा मामला
उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने विज्ञप्ति संख्या-50 के माध्यम से प्रदेश के महाविद्यालयों में सहायक आचार्य पद पर भर्तियों का विज्ञापन निकाला है. विज्ञप्ति की निर्देशिका में अन्तःसम्बन्धों की सूची में जंतु विज्ञान और वनस्पति विज्ञान विषयों में सहायक आचार्य पदों पर नियुक्ति के लिए अलाइड विषयों जैसे लाइफ साइंसेस, बॉयोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, प्लांट बॉयोटेक, मॉलिक्यूलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्स, एनवायरनमेंट साइंस, इत्यादि को शामिल नहीं किया गया है और न ही इन विषयों के लिए अलग से पदों की घोषणा की गई है.
इससे इन विषयों के छात्रों को सहायक आचार्य पदों से वंचित किया जा रहा है. इन विषयों के छात्रों के कैरियर पर इसका बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. ज्ञात हो कि इससे पहले वर्ष 2016 में आयोग ने विज्ञप्ति संख्या-47 की मुख्य निर्देशिका में विज्ञप्ति-6(47) के माध्यम से बदलाव कर अलाइड विषयों को शामिल कर लिया था.
छात्रों ने रखी की ये मांग
1. उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की विज्ञप्ति संख्या-50 में आवश्यक बदलाव कर जीव विज्ञान के अलाइड विषयों के विद्यार्थियों को CSIR NET की तर्ज पर सहायक आचार्य बनने का अवसर दिया जाए.
2. आने वाले सभी नियुक्तियों में अलाइएड विषयों के विद्यार्थियों को भी सहायक आचार्य बनने का अवसर मिले. इस सम्बंध में नियम बनाए जाएं.
3. देश भर के अलाइड विषयों से संबंधित मंत्रालय और डिपार्टमेंट्स को एक क्लियर नोटिफिकेशन जारी करके स्पष्ट गाइडलाइन जारी करनी चाहिए.
छात्र दिवाकर ने बताया सीएसआईआर-नेट परीक्षा में इन विषयों की परीक्षा होती है और चयनित अभ्यर्थियों को अहर्ता प्रमाणपत्र दिया जाता है. सीएसआईआर-नेट में विभिन्न विषयों में चयनित अभ्यर्थियों की गणना से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि गैर-मेडिकल क्षेत्र में जीव विज्ञान और उससे सम्बंधित विषयों में लगभग सत्तर प्रतिशत विद्यार्थी इन अलाइड विषयों से हैं.
एक ओर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में राजकीय अहर्ता परीक्षा ही 7-8 सालों से नहीं हो पाई है तो दूसरी ओर कभी PSC, UPHESC तो कभी RPSC द्वारा इन्हें अयोग्य करार कर दिया जाता है. इन विषयों के छात्रों को सहायक आचार्य बनने के अवसर से वंचित करना घोर अन्यायपूर्ण है और यह लाखों छात्रों के अवसरों को संकुचित करता है. कोविड-19 में हमारे लाइट बंद रहे और जल्लाद खुले जब हमें दिशा करना था तो हम इन मुद्दों पर आकर यहां पर प्रदर्शन कर रहे हैं.