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चाहिए गंगा से जुड़ी कोई भी जानकारी तो आइए गंगा दर्पण म्यूजियम, मिलेगा हर सवाल का जवाब

वाराणसी का गंगा दर्पण म्यूजियम (Varanasi Ganga Darpan Museum) बेहद खास है. इसमें गो मुख से गंगा सागर तक की गंगा की पूरी कहानी है. काफी संख्या में लोग इस म्यूजियम में आते हैं.

गंगा दर्पण म्यूजियम में काफी लोग पहुंचते हैं.
गंगा दर्पण म्यूजियम में काफी लोग पहुंचते हैं.
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Published : Jul 4, 2023, 7:40 PM IST

गंगा दर्पण म्यूजियम में मिलेगी हर जानकारी.

वाराणसी : गंगा गोमुख से निकलकर अलग-अलग राज्यों से होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है. गंगा के बदलाव, उसमें रहने वाले जलीय जीव, जलीय पौधों और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को हासिल करने के लिए लोग काफी उत्सुक रहते हैं, इसके लिए कई किताबें पढ़ने के अलावा इंटरनेट पर भी घंटों वक्त गुजारना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. लोगों के सभी सवालों के जवाब गंगा दर्पण म्यूजियम में मौजूद हैं. इसमें गंगा से जुड़ी सभी जानकारियां आसानी से मिल जाएंगी. केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से इस खास म्यूजियम का निर्माण कराया गया है.

डिजिटल स्क्रीन पर मिलती है सभी जानकारी : दरअसल गंगा को समझने और गंगा से जुड़ी जीवनदायिनी चीजों के बारे में जानकारी के लिए गंगा दर्पण म्यूजियम बेहद महत्वपूर्ण है. म्यूजियम में लगी एक बड़ी सी डिजिटल स्क्रीन पर पतली सी नीली लाइन गंगा की लाइफ लाइन को बताने का काम करती है. यह बताती है कि किस तरह से गंगा उत्तराखंड में पहाड़ियों से निकलकर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है. उसे पूरी तरह से डिजिटल तरीके से दर्शाने की खूबसूरत कोशिश की गई है. इसके अलावा गंगा में मिलने वाली छोटी-छोटी नदियों की जानकारी के अलावा गंगा में रहने वाले जलीय जीवों के बारे में भी बताया गया है. गंगा में कितनी तरह की मछलियां पाई जाती हैं, कितने तरह के कछुए हैं, कितनी तरह की अन्य जलीय जीव प्रजातियां हैं, खतरनाक जलीय जीव गंगा के किस हिस्से में मिलते हैं, इन सभी की जानकारी भी म्यूजियम से मिल सकती है.

गंगा दर्पण म्यूजियम में काफी लोग पहुंचते हैं.
गंगा दर्पण म्यूजियम में काफी लोग पहुंचते हैं.

उत्तराखंड की टीम और पर्यावरण मंत्रालय ने कराया है निर्माण : म्यूजियम को उत्तराखंड की एक स्पेशल टीम और पर्यावरण मंत्रालय ने मिलकर तैयार किया है. यह काफी खूबसूरत है. इसमें प्रवेश के बाद आप गंगा की अविरलता और निर्मलता को डिजिटल तरीके से महसूस कर सकेंगे. म्यूजियम के लोकल इंचार्ज अजय मौर्या का कहना है कि यह म्यूजियम हर उम्र के लोगों के लिए गंगा के बारे में समस्त जानकारी देने का काम करता है. एक छत के नीचे गंगा से जुड़ी जितनी भी जानकारी किताबों में उपलब्ध हो सकती हैं, या इंटरनेट पर मौजूद हैं. उसे एक कमरे में उपलब्ध करवाने का काम किया गया है. यही वजह है कि लोग दूर-दूर से इस म्यूजियम में आते हैं.

गंगा को समझने का बेहतर माध्यम है म्यूजियम : यह म्यूजियम डिजिटल तरीके से गंगा से जुड़े तमाम वीडियो प्ले करता है. समय-समय पर यहां कई तरह के आयोजन करके लोगों को गंगा की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखने का भी संदेश दिया जाता है. इसके अतिरिक्त एक हिस्से में बड़े ही खूबसूरत तरीके से डॉल्फिन और अन्य जलीय जीवों को ट्रांसपैरेंट ग्लास और लाइटिंग के मदद से दर्शाने की कोशिश की गई है. घड़ियाल और अन्य खतरनाक शिकारी जीव भी इस म्यूजियम में बड़े ही रोचक तरीके से प्रस्तुत किए गए हैं. फिलहाल गंगा दर्पण म्यूजियम गंगा को समझने और गंगा की जीवनदायिनी कहानी को प्रस्तुत करने का एक सशक्त जरिया है.

यह भी पढ़ें : अब पांच की जगह आठ जोन से हल होगी समस्या, गांव के लोगों को अब नहीं काटने होंगे नगर निगम मुख्यालय के चक्कर

गंगा दर्पण म्यूजियम में मिलेगी हर जानकारी.

वाराणसी : गंगा गोमुख से निकलकर अलग-अलग राज्यों से होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है. गंगा के बदलाव, उसमें रहने वाले जलीय जीव, जलीय पौधों और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को हासिल करने के लिए लोग काफी उत्सुक रहते हैं, इसके लिए कई किताबें पढ़ने के अलावा इंटरनेट पर भी घंटों वक्त गुजारना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. लोगों के सभी सवालों के जवाब गंगा दर्पण म्यूजियम में मौजूद हैं. इसमें गंगा से जुड़ी सभी जानकारियां आसानी से मिल जाएंगी. केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से इस खास म्यूजियम का निर्माण कराया गया है.

डिजिटल स्क्रीन पर मिलती है सभी जानकारी : दरअसल गंगा को समझने और गंगा से जुड़ी जीवनदायिनी चीजों के बारे में जानकारी के लिए गंगा दर्पण म्यूजियम बेहद महत्वपूर्ण है. म्यूजियम में लगी एक बड़ी सी डिजिटल स्क्रीन पर पतली सी नीली लाइन गंगा की लाइफ लाइन को बताने का काम करती है. यह बताती है कि किस तरह से गंगा उत्तराखंड में पहाड़ियों से निकलकर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है. उसे पूरी तरह से डिजिटल तरीके से दर्शाने की खूबसूरत कोशिश की गई है. इसके अलावा गंगा में मिलने वाली छोटी-छोटी नदियों की जानकारी के अलावा गंगा में रहने वाले जलीय जीवों के बारे में भी बताया गया है. गंगा में कितनी तरह की मछलियां पाई जाती हैं, कितने तरह के कछुए हैं, कितनी तरह की अन्य जलीय जीव प्रजातियां हैं, खतरनाक जलीय जीव गंगा के किस हिस्से में मिलते हैं, इन सभी की जानकारी भी म्यूजियम से मिल सकती है.

गंगा दर्पण म्यूजियम में काफी लोग पहुंचते हैं.
गंगा दर्पण म्यूजियम में काफी लोग पहुंचते हैं.

उत्तराखंड की टीम और पर्यावरण मंत्रालय ने कराया है निर्माण : म्यूजियम को उत्तराखंड की एक स्पेशल टीम और पर्यावरण मंत्रालय ने मिलकर तैयार किया है. यह काफी खूबसूरत है. इसमें प्रवेश के बाद आप गंगा की अविरलता और निर्मलता को डिजिटल तरीके से महसूस कर सकेंगे. म्यूजियम के लोकल इंचार्ज अजय मौर्या का कहना है कि यह म्यूजियम हर उम्र के लोगों के लिए गंगा के बारे में समस्त जानकारी देने का काम करता है. एक छत के नीचे गंगा से जुड़ी जितनी भी जानकारी किताबों में उपलब्ध हो सकती हैं, या इंटरनेट पर मौजूद हैं. उसे एक कमरे में उपलब्ध करवाने का काम किया गया है. यही वजह है कि लोग दूर-दूर से इस म्यूजियम में आते हैं.

गंगा को समझने का बेहतर माध्यम है म्यूजियम : यह म्यूजियम डिजिटल तरीके से गंगा से जुड़े तमाम वीडियो प्ले करता है. समय-समय पर यहां कई तरह के आयोजन करके लोगों को गंगा की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखने का भी संदेश दिया जाता है. इसके अतिरिक्त एक हिस्से में बड़े ही खूबसूरत तरीके से डॉल्फिन और अन्य जलीय जीवों को ट्रांसपैरेंट ग्लास और लाइटिंग के मदद से दर्शाने की कोशिश की गई है. घड़ियाल और अन्य खतरनाक शिकारी जीव भी इस म्यूजियम में बड़े ही रोचक तरीके से प्रस्तुत किए गए हैं. फिलहाल गंगा दर्पण म्यूजियम गंगा को समझने और गंगा की जीवनदायिनी कहानी को प्रस्तुत करने का एक सशक्त जरिया है.

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