वाराणसी: शहर के चिरईगांव के अमरूद अब तक सिर्फ आसपास के जिलों तक ही पहचान रखते थे, लेकिन अब इसे विश्व फलक तक ले जाने की तैयारी है. उद्यान विभाग मिशन बागवानी के तहत 8 ब्लॉक में चार-चार हेक्टेयर जमीन पर अमरूद का क्लस्टर तैयार करने में जुट गया है. इससे न सिर्फ किसानों को फायदा होगा, बल्कि मनरेगा से जुड़े मजदूरों को भी रोजगार मिलेगा.
बनारस अपने अलग-अलग रंग और स्वाद के लिए जाना जाता है. यहां के पान, चाय और बहुत सी ऐसी चीजे हैं, जिनका स्वाद लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. इसी तरह चिरईगांव का अमरूद अपनी अलग पहचान रखता है. जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता के मुताबिक, चिरईगांव के अमरूदों की बढ़ रही डिमांड को देखते हुए पिछले साल तक बनारस के सभी ब्लॉकों को मिलाकर लगभग 800 हेक्टेयर जमीन पर अमरूद की फसल तैयार करवाई जाती थी. हालांकि, रिंग रोड बनने के बाद पैदावार पर असर पड़ा है, क्योंकि जमीन को हाईवे के लिए अधिग्रहित किया गया. ऐसे में अमरूद की फसल को नुकसान पहुंचने लगा.
इसी वजह से मिशन बागवानी के तहत अमरूद की फसल को सुरक्षित और संरक्षित करने का बीड़ा उद्यान विभाग ने उठाया है. अमरूद की खेती से होने वाले फायदे और किसानों के मुनाफे को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. इस काम से सिर्फ किसानों को ही फायदा न पहुंचे, बल्कि मनरेगा मजदूरों को भी मुनाफा हो. इसके लिए प्रत्येक ब्लॉक में अमरूद क्लस्टर को तैयार करने का काम शुरू किया गया, ताकि किसानों की जमीन पर अमरूद मुनाफा के साथ ही मनरेगा जॉब कार्ड धारकों को भी जोड़ा जा सके.
उद्यान अधिकारी के मुताबिक, मनरेगा मजदूरों से सिंचाई, निराई, गोड़ाई का काम करवाया जाएगा. इसके लिए उन्हें उचित भुगतान होगा. इस अमरूद क्लस्टर के निर्माण के बाद वाराणसी के चिरईगांव, चोलापुर, पिंडरा, बड़ागांव हरहुआ समेत कई स्थानों पर 50 हेक्टेयर से ज्यादा की अमरूद की खेती करने की योजना है. हर विकासखंड में 10 हेक्टेयर का क्लस्टर तैयार करने की प्लानिंग है.
अमरूद क्लस्टर तैयार होने से किसान भी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि अमरूद पर सब्सिडी मिल रही है. इसकी खेती आसानी से हो रही है और जिला उद्यान विभाग के गाइडेंस में काम अच्छे से होने की वजह से फायदा भी मिल रहा है.