वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में 16 मई 2022 को कमीशन कार्रवाई के दौरान मिले शिवलिंग आकृति के पत्थर की वैज्ञानिक विधि से जांच कराए जाने का आदेश शुक्रवार को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने दिया है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने वाराणसी के जिला जज के उस आदेश को खारिज कर दिया, जो जिला कोर्ट वाराणसी में 14 अक्टूबर 2022 को कार्बन डेटिंग के लिए दाखिल की गई याचिका की सुनवाई के बाद दिया गया था.
इसमें कोर्ट ने साइंटिफिक जांच और कार्बन डेटिंग की बात को यह कह कर खारिज किया था, कि इससे उस पत्थरनुमा आकृति जिसे शिवलिंग कहा जा रहा है, उसे क्षति पहुंच सकती है. इसके बाद वाराणसी से वादी पक्ष की महिलाओं के साथ ही विष्णु शंकर जयशंकर जैन ने भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिस पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को एएसआई की तरफ से 52 पेज की रिपोर्ट दाखिल की गई.
जिस पर कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में साइंटिफिक सर्वे करने का आदेश जारी किया है. जिसके बाद वाराणसी में इस मुकदमे से जुड़ी वादी महिलाओं के साथ उनके वकील बेहद खुश हैं. हालांकि, इस प्रकरण में प्रतिवादी पक्ष यानी मुस्लिम पक्षकार ने भी फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि इस जांच के बाद अब सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.
जांच के लिए 10 ग्राम शिवलिंग का हिस्सा: ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग ऑफ साइंटिफिक सर्वे कराए जाने की मांग 2022 में अक्टूबर के महीने में भी की गई थी. वाराणसी के जिला कोर्ट में विष्णु शंकर जैन हरिशंकर जैन समेत वादी पक्ष की महिलाओं के द्वारा यह मांग रखी गई थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. जिसके बाद वादी पक्ष के लोग हाईकोर्ट पहुंचे थे. जिसपर शुक्रवार को न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया(ASI) को आदेश दिया है कि शिवलिंग के ऊपर पार्ट का सर्वे किया जाए और 10 ग्राम से ज्यादा हिस्सा न लिया जाए. यह शिवलिंग 16 मई 2022 को ज्ञानवापी परिसर में स्थित वजू खाने के तालाब में मिला था. जिसके बाद से इस जगह को सील भी किया गया है.
बिना क्षति पहुंचाए सर्वे: फिलहाल, अब सर्वे किस आधार पर होता है और कैसे आगे बढ़ाया जाता है. यह बड़ा प्रश्न है इससे इस शिवलिंग नुमा आकृति के कितने पुराने होने के सवाल का भी खुलासा हो सकता है. फिलहाल एएसआई ने गुरुवार को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिसके बाद कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है. इससे पहले 20 मार्च को हुई सुनवाई में एएसआई से कोर्ट ने पूछा था कि शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग कैसे की जा सकती है. जिसके बाद कोर्ट की रिपोर्ट के बाद शुक्रवार को आदेश आया है.
IIT एक्सपर्स की राय के बाद सर्वे के आदेश: फिलहाल कोर्ट के समक्ष एएसआई की टीम ने 52 पेज की रिपोर्ट पेश की है इसमें आईआईटी रुड़की, आईआईटी खड़कपुर समेत अन्य कई संस्थानों के एक्सपर्ट से बातचीत के आधार पर कई तरीके बताए गए हैं. जिससे शिवलिंग की इस आकृति को क्षति पहुंचाए बिना जांच की जा सकती है. हाईकोर्ट ने एएसआई की इस रिपोर्ट के आधार पर जिला कोर्ट का फैसला निरस्त किया है और साइंटिफिक सर्वे कराने का आदेश जारी किया है. इस प्रकरण में वाराणसी सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि अब वाराणसी जिला कोर्ट के समक्ष 22 मई को एएसआई के वकील पेश होंगे. उसके बाद जिला कोर्ट इस मामले में आगे आदेश देगा कि साइंटिफिक सर्वे किस रूप में और कब किया जाना है.
वहीं, इस आदेश के बाद वाराणसी में वादी पक्ष की महिलाएं बेहद खुश हैं. वादी सीता साहू और रेखा पाठक का कहना है कि हमारी साल भर की मेहनत सफल हो गई, हम उसे शिवलिंग मानते हैं और मुस्लिम पक्ष के लोग लगातार उसे फव्वारा बताकर हमारी भावनाओं को आहत कर रहे थे. लेकिन, अब सर्वे के बाद सब स्पष्ट हो जाएगा और हम अपने आराध्य को जल भी अर्पित करेंगे. हाईकोर्ट के आदेश का ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंध समिति ने स्वागत किया है.
हो जाएगा दूध का दूध और पानी का पानी:अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी के सचिव एसएम यासीन ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में स्पष्ट तौर पर कहा कि, "मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि अब सबकुछ दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा, क्योंकि कमीशन की कार्यवाही के दौरान जो भी चीजें सामने आई थीं. उसे हम लोग लगातार फव्वारा बता रहे हैं आज भी हमने उस फव्वारे की मरम्मत करने वाले व्यक्ति को बुलाया था. उसने स्पष्ट तौर पर बताया कि उस आकृति के अंदर एक पाइप भी पड़ा हुआ है. मैं तो यह चाह रहा था कि इसकी जांच हो जाए.
यदि अब जांच होती है, तो सब कुछ साफ हो जाएगा और चीजें स्पष्ट हो जाएंगी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस जगह के सील होने के बाद कार्रवाई किस रूप में आगे बढ़ेगी. इस सवाल के जवाब में यासीन का कहना था यह मेरी टेंशन नहीं है. यह हाईकोर्ट जाने, लोकल कोर्ट जाने और जिलाधिकारी जाने. आदेश आया है ते उसे किस रूप में आगे बढ़ाएंगे. यह उन लोगों के टेंशन की बात है. फिलहाल, जांच होती है तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा.
हाईकोर्ट के फैसले का काशी का संत समाज खुश: हाईकोर्ट द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को शिवलिंग के कार्बन डेटिंग का आदेश देने के फैसले का काशी के संत समाज ने स्वागत किया है. फैसला आते ही संत समाज के लोगों ने हर हर महादेव का उद्घोष करके बाबा विश्वनाथ को प्रणाम किया और कहा कि यह न्याय की लड़ाई आगे बढ़ेगी. लोगों का यह भी मानना है कि कार्बन डेटिंग से कथित शिवलिंग की आयु का पता लगाया जा सकता है.
वहीं, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा काशी ज्ञानवापी के संदर्भ में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा एएसआई फैसले का अखिल भारतीय संत समिति हार्दिक स्वागत करता है. जिस प्रकार श्री राम जन्म भूमि के संदर्भ में एएसआई द्वारा सर्वे ही प्रमाण साबित हुआ. उसी प्रकार काशी ज्ञानवापी के संदर्भ में यह मील का पत्थर साबित होगा. ऐसा देश के संतो को विश्वास है हम यहां आशा करते हैं बिना किसी हीला हवाली के बगैर ज्योतिर्लिंग के छेड़छाड़ के यह सर्वे का कार्य पूर्ण होगा. पूरा संत समाज इस बात से प्रसन्न है. न्याय की दिशा में बढ़ा हुआ एक और कदम है.
जाने कब क्या हुआ
1991 में पहली बार पूजा की इजाजत मांगी गई
1993 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया
2018 में स्टे ऑर्डर की वैधता 6 महीने की बताई
2019 में वाराणसी कोर्ट में मामले की फिर से सुनवाई शुरू हुई
2021 में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी के पुरातात्विक सर्वेक्षण को मंजूरी दी
अप्रैल 2022 में ज्ञानवापी के कमीशन सर्वे और वीडियोग्राफी का आदेश लोकल कोर्ट ने जारी किया
मई 2022 में ज्ञानवापी परिसर के कमीशन सर्वे के दौरान वजू खाने में कथित शिवलिंग मिलने का दावा
मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखते हुए वजू खाना परिसर को सील करने का आदेश जारी किया
नवंबर 2022 कार्बन डेटिंग की मांग को लेकर लोकल कोर्ट में दाखिल की गई याचिका
अक्टूबर 2022 में कोर्ट ने याचिका को यह कहकर खारिज किया कि आकृति को पहुंच सकता है नुकसान