वाराणसी: काशी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid case) में गुरुवार को जिला जज अजय कृष्णा विश्वेश की अदालत में निगरानी याचिका पर सुनवाई हुई. यह मामला भी हिंदू पक्ष की मांग से संबंधित होने की वजह से अंजुमन इंतजामिया मसजिद कमेटी की ओर से मस्जिद पक्ष की आपत्ति पर पक्ष रखना था. इस मामले में अदालत पूर्व में सुनवाई कर चुकी है. आपत्ति आने के बाद अदालत ने इस मामले में अब दूसरे पक्ष को सुनने के लिए मौका दिया था. लेकिन मुस्लिम पक्ष की तरफ से अपने एक वकील के बीमार होने की एप्लीकेशन कोर्ट में दी गई, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में 14 नवंबर को अगली सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है.
दरसअल, ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में निगरानी याचिका पर अदालत में सुनवाई हो रही है. ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग को लेकर वर्ष 1991 में दाखिल निगरानी याचिका पर सुनवाई जारी है. अदालत में अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की ओर से इस मामले के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की निगरानी याचिका की अर्जी पर आपत्ति दाखिल की थी. मस्जिद पक्ष की इसी आपत्ति पर अधिवक्ता अपना पक्ष बुधवार को अदालत के सामने रखना था.
यह वाद लंबे समय से अदालत में लंबित होने की वजह से ज्ञानवापी से जुड़े प्रमुख मामलों में से एक है. पूर्व में भी श्रृंगार गौरी की वहां मान्यता के बावजूद नियमित दर्शन पूजन बंद होने के बाद से ही मांग की जा रही थी कि वहां पर हिंदुओं को पूजा का अधिकार दिया जाए. पूजा के अधिकार की मांग के साथ ही वहां मौजूद हिंदू प्रतीकों के हिंंदू मंदिर होने के साक्ष्य की वजह से अदालत में यह वाद दाखिल किया गया था. इस मामले में लंबे समय से अदालत में सुनवाई चल रही है.
सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) के निर्णय के खिलाफ उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर की गई है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी द्वारा सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) आशुतोष तिवारी की अदालत को सुनवाई करने के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी गई थी. सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) 25 फरवरी 2020 को इस चुनौती को खारिज कर दिया था.
वहीं, मई माह में एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई के दौरान परिसर में हिंदू प्रतीकों की मौजूदगी के साथ ही वुजूखाने में कथित शिवलिंग मिलने के बाद से ही अदालत में इस प्रकरण को लेकर लेकर भी वादी पक्ष की ओर से पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग की जा रही है. ऐसे में वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की निगरानी याचिका की अर्जी पर आपत्ति आने के बाद अधिवक्ता गुरुवार को अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा है.
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