वाराणसी: ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद मामले में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाद पक्षकार बनाए जाने को लेकर मामले में आज सुनवाई टल गई है. सिविल जज (सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) ने अगली सुनवाई के लिए 4 मार्च की तारीख तय की है. ज्ञानवापी में मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर साल 1991 में मुकदमा दायर किया गया था.
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नहीं की गई आपत्ति दाखिल
इस संबंध में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट वाराणसी) में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के द्वारा जो प्रार्थना पत्र पक्षकार वाद मित्र बनने के लिए दिया गया था. उसके विरुद्ध हमने आपत्ति दाखिल की है. उस पर सुनवाई के लिए आज की तिथि नियत थी, लेकिन अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दाखिल नहीं की गई.
कई मामले हैं लंबित
कोर्ट में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अधिवक्ता ने कहा कि जवाब देने के अवसर को समाप्त कर दिया जाए. वहीं, उन्होंने कहा कि मैंने भी कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है. माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में इसी वाद से संबंधित एक मामले पर याचिका लंबित है. उसमें सुनवाई चल रही है. आज भी सुनवाई की तिथि नियत थी, लेकिन माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अधिवक्ताओं की हड़ताल होने के कारण आज बहस नहीं हो पाई. कोर्ट ने उसमें लिखित बहस के लिए निर्देश दिया है. इसमें ज्यादा समय लगने के कारण बहस की सुनवाई की तैयारी हम लोग नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए कोई तिथि निर्धारित कर दी जाए. वहीं, माननीय न्यायालय ने 4 मार्च की तिथि सुनवाई के लिए तय की है. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को भी आखिरी मौका दिया है. वह आपत्ति दाखिल करें नहीं तो उनकी आपत्ति दाखिल करने का अवसर समाप्त कर दिया जाएगा.