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ज्ञानवापी विवाद : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

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Published : Jun 7, 2022, 10:30 PM IST

वाराणसी के जिला कोर्ट में मंगलवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

कॉन्सेप्ट इमेज
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वाराणसी : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर मंगलवार को जिला जज कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद जिला जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. गौरतलब है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने के दावे वाले स्थान पर राग-भोग लगाने के लिए नियमित अनुमति मांगी थी. जिला जज कोर्ट में आज इसी मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

सुनवाई के दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर उनके अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से दाखिल वाद का मुख्य बिंदु यह था कि ग्रीष्मावकाश के दौरान इसे स्पेशल केस मानते हुए सुनवाई की जाए. वादी पक्ष के अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जब ज्ञानवापी परिसर में भगवान को राग-भोग लगाने जा रहे थे, तो उन्हें जिला प्रशासन ने रोक लिया था. प्रशासन द्वारा रोके जाने के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अनशन पर बैठ गए.

अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि दण्डी स्वामी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद दण्डी स्वामी हैं और उन्होंने भी अन्न जल त्याग दिया है. इसके अलावा ज्ञानवापी में मिले आदि विश्वेश्वर को भी राग-भोग नहीं लग रहा है. ऐसे में काशी में भगवान शंकर और भगवान विष्णु के प्राण संकट में है. उन्होंने कहा कि हमने कोर्ट में जिला जज के सामने दलीलें रखी है कि दण्डी स्वामी धर्मशास्त्र के मुताबिक भगवान विष्णु के अवतार होते हैं.

भगवान विष्णु भगवान शंकर को भोग लगाने के लिए जा रहे थे तो उन्हें रोक दिया गया है. सर्वोच्च न्यायालय का जो आदेश है, उसमें कहीं भी यह नहीं लिखा है कि उस स्थल को सील किया जाए. बस इतना ही लिखा है वहां जो भी चीजे हैं, उसे उसी रूप में संरक्षित करके रखा जाए.

इसे पढ़ें- ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग की जांच की मांग, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल

वाराणसी : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर मंगलवार को जिला जज कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद जिला जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. गौरतलब है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने के दावे वाले स्थान पर राग-भोग लगाने के लिए नियमित अनुमति मांगी थी. जिला जज कोर्ट में आज इसी मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

सुनवाई के दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका पर उनके अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से दाखिल वाद का मुख्य बिंदु यह था कि ग्रीष्मावकाश के दौरान इसे स्पेशल केस मानते हुए सुनवाई की जाए. वादी पक्ष के अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जब ज्ञानवापी परिसर में भगवान को राग-भोग लगाने जा रहे थे, तो उन्हें जिला प्रशासन ने रोक लिया था. प्रशासन द्वारा रोके जाने के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अनशन पर बैठ गए.

अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि दण्डी स्वामी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद दण्डी स्वामी हैं और उन्होंने भी अन्न जल त्याग दिया है. इसके अलावा ज्ञानवापी में मिले आदि विश्वेश्वर को भी राग-भोग नहीं लग रहा है. ऐसे में काशी में भगवान शंकर और भगवान विष्णु के प्राण संकट में है. उन्होंने कहा कि हमने कोर्ट में जिला जज के सामने दलीलें रखी है कि दण्डी स्वामी धर्मशास्त्र के मुताबिक भगवान विष्णु के अवतार होते हैं.

भगवान विष्णु भगवान शंकर को भोग लगाने के लिए जा रहे थे तो उन्हें रोक दिया गया है. सर्वोच्च न्यायालय का जो आदेश है, उसमें कहीं भी यह नहीं लिखा है कि उस स्थल को सील किया जाए. बस इतना ही लिखा है वहां जो भी चीजे हैं, उसे उसी रूप में संरक्षित करके रखा जाए.

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