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Gyanvapi Case: आदि विश्वेश्वर केस सुनवाई योग्य है या नहीं पर फैसला सुरक्षित, 8 नवंबर को होगी अगली तारीख - आदि विश्वेश्वर केस

ज्ञानवापी मामले में आदि विश्वेश्वर केस सुनवाई योग्य है या नहीं. इसे लेकर वाराणसी में आज सिविल जज सीनियर डिवीजन की फास्ट ट्रैक कोर्ट अपना फैसला (gyanvapi mosque case verdict) सुना सकती है.

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gyanvapi mosque case verdict
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Published : Oct 27, 2022, 9:46 AM IST

Updated : Oct 27, 2022, 5:08 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी केस मामले में भगवान आदिविशेश्वर केस सुनवाई सुनने योग्य है या नहीं. इस पर वाराणसी में आज सिविल जज सीनियर डिवीजन की फास्ट ट्रैक कोर्ट अपना आर्डर सुना सकती है. बता दें कि इस मुकदमे में 15 अक्टूबर को हिंदू और मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपनी बहस की लिखित कॉपी 18 अक्टूबर को दाखिल करने का आदेश दिया था. इसके बाद मुकदमे की सुनवाई 27 अक्टूबर की पड़ी है.

हिंदू पक्ष के वकील अनुपम द्विवेदी

हिंदू पक्ष के वकील अनुपम द्विवेदी ने बताया कि अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है. इस फैसले पर 8 नवंबर को सुनवाई होगी, अन्य कार्यों की वजह से अदालत ने आज इस मामले पर फैसला जारी नहीं किया गया है, फैसले को सुरक्षित रखा गया है.उन्होंने बताया कि यदि हमारे पक्ष में आ जाएगा तो उसके बाद से ट्रायल की प्रक्रिया शुरू होगी.

गौरतलब हो कि आदि विशेश्वर मुकदमे को वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेन सिंह विसेन और उनकी पत्नी किरण सिंह विसेन ने 24 मई को अदालत में दाखिल किया था. इस मामले की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिविजन महेंद्र प्रसाद पांडे की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है.

ये है मांग: इस मुकदमे में उन्होंने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिम पक्ष का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए और हिंदुओं को यह परिसर सौंप दिया जाए. इसके साथ ही परिसर में मिले शिवलिंग की नियमित पूजा पाठ का भोग का अधिकार दिया जाए. हिंदू पक्ष के जरिए कोर्ट में आदि विशेश्वर को लेकर दाखिल किए गए वाद में वाराणसी के जिला प्रशासन, UP सरकार, विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को प्रतिवादी बनाया गया है और इस मामले में दोनों ही पक्षों की अपने अलग-अलग दावे कर रहे हैं.

दोनों पक्षो के ये है दावे: हिंदू पक्ष का कहना है कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य है, क्योंकि मस्जिद वक़्फ़ की संपत्ति है या नहीं इसे निर्धारित करने का अधिकार सिविल कोर्ट को है. ज्ञानवापी देवताओं की संपत्ति है और कानून की मानें तो देवता नाबालिग हैं. ऐसे में उनके हित की रक्षा के लिए हिंदू पक्ष वाद मित्र बनकर के केस फाइल किया है और अदालत को उन्हें इसके संरक्षण का अधिकार देना चाहिए.

वहीं इस बारे में मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है ज्ञानवापी वक़्फ़ की संपत्ति है और यहां पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू होता है. इस मामले में सिविल कोर्ट को सुनवाई का कोई अधिकार नहीं है,इसलिए इस मुकदमे को खारिज कर देना चाहिए.

आज अदालत सुनाएगी फैसला: बहरहाल 15 अक्टूबर को सुनवाई के बाद अदालत के द्वारा 27 अक्टूबर की डेट मुकदमे पर आर्डर जारी करने की निर्धारित की गई है, आज सुनवाई के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी.

पढ़ेंः ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामलाः पक्षकार बनाने की 17 याचिकाओं को वाराणसी कोर्ट ने किया खारिज

वाराणसी: ज्ञानवापी केस मामले में भगवान आदिविशेश्वर केस सुनवाई सुनने योग्य है या नहीं. इस पर वाराणसी में आज सिविल जज सीनियर डिवीजन की फास्ट ट्रैक कोर्ट अपना आर्डर सुना सकती है. बता दें कि इस मुकदमे में 15 अक्टूबर को हिंदू और मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को अपनी बहस की लिखित कॉपी 18 अक्टूबर को दाखिल करने का आदेश दिया था. इसके बाद मुकदमे की सुनवाई 27 अक्टूबर की पड़ी है.

हिंदू पक्ष के वकील अनुपम द्विवेदी

हिंदू पक्ष के वकील अनुपम द्विवेदी ने बताया कि अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है. इस फैसले पर 8 नवंबर को सुनवाई होगी, अन्य कार्यों की वजह से अदालत ने आज इस मामले पर फैसला जारी नहीं किया गया है, फैसले को सुरक्षित रखा गया है.उन्होंने बताया कि यदि हमारे पक्ष में आ जाएगा तो उसके बाद से ट्रायल की प्रक्रिया शुरू होगी.

गौरतलब हो कि आदि विशेश्वर मुकदमे को वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेन सिंह विसेन और उनकी पत्नी किरण सिंह विसेन ने 24 मई को अदालत में दाखिल किया था. इस मामले की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिविजन महेंद्र प्रसाद पांडे की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है.

ये है मांग: इस मुकदमे में उन्होंने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिम पक्ष का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए और हिंदुओं को यह परिसर सौंप दिया जाए. इसके साथ ही परिसर में मिले शिवलिंग की नियमित पूजा पाठ का भोग का अधिकार दिया जाए. हिंदू पक्ष के जरिए कोर्ट में आदि विशेश्वर को लेकर दाखिल किए गए वाद में वाराणसी के जिला प्रशासन, UP सरकार, विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को प्रतिवादी बनाया गया है और इस मामले में दोनों ही पक्षों की अपने अलग-अलग दावे कर रहे हैं.

दोनों पक्षो के ये है दावे: हिंदू पक्ष का कहना है कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य है, क्योंकि मस्जिद वक़्फ़ की संपत्ति है या नहीं इसे निर्धारित करने का अधिकार सिविल कोर्ट को है. ज्ञानवापी देवताओं की संपत्ति है और कानून की मानें तो देवता नाबालिग हैं. ऐसे में उनके हित की रक्षा के लिए हिंदू पक्ष वाद मित्र बनकर के केस फाइल किया है और अदालत को उन्हें इसके संरक्षण का अधिकार देना चाहिए.

वहीं इस बारे में मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है ज्ञानवापी वक़्फ़ की संपत्ति है और यहां पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू होता है. इस मामले में सिविल कोर्ट को सुनवाई का कोई अधिकार नहीं है,इसलिए इस मुकदमे को खारिज कर देना चाहिए.

आज अदालत सुनाएगी फैसला: बहरहाल 15 अक्टूबर को सुनवाई के बाद अदालत के द्वारा 27 अक्टूबर की डेट मुकदमे पर आर्डर जारी करने की निर्धारित की गई है, आज सुनवाई के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी.

पढ़ेंः ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामलाः पक्षकार बनाने की 17 याचिकाओं को वाराणसी कोर्ट ने किया खारिज

Last Updated : Oct 27, 2022, 5:08 PM IST
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