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ज्ञानवापी मामला: वकील कमिश्नर बदलने की याचिका पर 10 मई को होगा फैसला

श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन प्रकरण में वकील कमिश्नर को बदलने के मामले में कोर्ट ने कल यानि 10 मई की तिथि कार्यवाही के लिए की मुकर्रर की है.

ईटीवी भारत
ज्ञानवापी मामले की सुनवाई
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Published : May 9, 2022, 7:17 AM IST

Updated : May 9, 2022, 7:18 PM IST

वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले में एक बार फिर से तारीख मिली है. कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में सर्वे के लिए नियुक्त किए गए वकील कमिश्नर अजय मिश्रा को बदले जाने की याचिका पर सुनवाई के लिए 10 मई की तिथि को मुकर्रर किया है. कोर्ट के समक्ष हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष की तरफ से लगाए गए तमाम आरोपों का जवाब देते हुए वकील कमिश्नर के एक तरफ की कार्यवाही ना किए जाने और व्यवधान उत्पन्न करने समेत अन्य बातें लिखित तौर पर कोर्ट के सामने रखी. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने अब मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए 2:00 बजे के बाद फैसले की बात कही है.

वकील सुभाष त्रिपाठी का बयान.

हिंदू पक्ष के वकील सुभाष त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले में पांच महिलाओं की तरफ से दायर याचिका के बाद कोर्ट ने 8 अप्रैल 2022 को वकील कमिश्नर नियुक्त करते हुए ज्ञानवापी परिसर का वीडियो सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था. इस मामले में तमाम कानूनी अड़चनों के बाद भी 26 अप्रैल को कोर्ट ने पुनः पुराने आदेश को जारी रखते हुए थे 6 और 7 मई को वीडियोग्राफी करने के निर्देश दिए थे. इसके लिए पर्याप्त पुलिस बल और प्रशासन को सहयोग के लिए भी कहा गया था. लेकिन इसके बाद भी वकील कमिश्नर की मौजूदगी में हिंदू व मुस्लिम पक्षकारों के साथ परिसर में वीडियोग्राफी की कार्रवाई सिर्फ 6 मई को मस्जिद के बाहर के हिस्से की भी की जा सकी थी. जबकि 7 मई को जब वकील कमिश्नर ने टीम के साथ मस्जिद परिसर में जाने की कोशिश की तो विरोध शुरू हो गया और वहीं पर कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा.

सुभाष त्रिपाठी ने कहा कि इस प्रकरण में कोर्ट में सारी चीजें लिखित तौर पर दाखिल किया है, जबकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से 7 मई को वकील कमिश्नर की तरफ से एक तरफा कार्यवाही किए जाने के आरोप लगाते हुए उन्हें तत्काल बदलने की मांग की गई थी. जिस पर कोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद कल इस प्रकरण में सुनवाई करते हुए आगे की कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं. इस मामले में लीगल तौर पर अब जो भी एक्शन होगा.

कोर्ट के आदेश पर सर्वेक्षण की कार्यवाही अभी पूरी नहीं हुई है. इसलिए 10 मई को दाखिल की जाने वाली रिपोर्ट अभी नहीं दाखिल की जा सकेगी. कोर्ट के अगले आदेश के बाद सर्वेक्षण नए सिरे से शुरू किया जाएगा और कार्य पूरा होने के बाद ही रिपोर्ट को कोर्ट में दाखिल किया जाएगा. फिलहाल अब कल वकील कमिश्नर को लेकर सुनवाई के बाद आगे की न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकेगा.

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने दायर की थी याचिका
उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता आयुक्त को बदलने की मांग को लेकर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से अदालत में अर्जी दायर की गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने वादी पक्ष और अधिवक्ता आयुक्त से आपत्ति मांगी है. अदालत ने कमेटी की अर्जी पर अगली सुनवाई के लिए 9 मई की तारीख तय की थी.

जितेंद्र सिंह विसेन.

नया केस फाइल होगाः जितेंद्र सिंह विसेन
वहीं, कोर्ट में सुनवाई में शामिल होने पहुंचे विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने कहा कि अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी ने एडवोकेट कमीशन के ऊपर एलिगेशन लगाए हैं. कहा कि 'हम उसका जवाब देने के लिए आये हैं. दूसरा मुकदमा नंबर 350/21 जिसमें मैं खुद याची हूं, जिसमे मेरे संगठन और संगठन के बाहर के कई वादी हैं. उस मुदकमे से हम अपने आप को विड्रा कर रहे हैं. उस मुक़दमे में अब हम फ्रेश सूट फ़ाइल करेंगे. साथ ही ज्ञानवापी से सम्बंधित और एक लाट भैरव से सम्बंधित मुकदमें में विश्व वैदिक सनातन संघ के सारे पदाधिकारियों में से कुछ को लेकर सबकी तरफ से एक दो दिन में विड्रा होकर नया केस फाइल होगा. अब केस विश्व वैदिक सनातन संघ की यूथ विंग हिन्दू राष्ट्र पुनर्स्थापना संघ की तरफ से किया जाएगा.'

'विश्व वैदिक सनातन संघ के खिलाफ षड्यंत्र'
वहीं, राखी सिंह द्वारा इस मुकदमें से विड्रा करने की बात पर उन्होंने कहा कि 'यह गलत सूचना है और मेरा, राखी सिंह का या मेरे वकील का ऐसा कोई बयान नहीं है. कुछ लोगों ने अपनी तरफ से ऐसा किया है. राखी सिंह का नाम लेकर इसलिए किया है कि देश विरोधी शक्तियां मेरे विरुद्ध षड्यंत्र रच रहीं हैं. विश्व वैदिक सनातन संघ के खिलाफ षड्यंत्र रच रही हैं.' जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि 'इस सम्बन्ध में अलग-अलग बयान लेकर तोड़-मरोड़ के प्रस्तुत किया गया है. ताकि देश का माहौल बिगड़े. राखी सिंह विश्व सनातन संघ की फाउंडर मेंबर हैं. इस नाते भी उनका दायित्व है कि वो केस से बाहर नहीं जा सकती.' जितेंद्र सिंह बिसेन ने याचिका वापसी लेने की खबर पर कहा कि 'मैं शासन-प्रशासन से आग्रह करूंगा ये पता लगाए कि मुझे बदनाम करने के लिए ये अफवाह किसने फैलाई.' उन्होंने कहा कि वह प्रेस कांफ्रेंस मेरे संज्ञान में नहीं थी.उस कांफ्रेंस में हमारे अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी बिना हमें बताये गए थे. इस पर हमने उन्हें आज तत्काल प्रभाव से अपने सभी केसों से निलंबित करते हैं.

यह है पूरा मामला
गौरतलब है कि मुस्लिम पक्ष के विरोध, बहिष्कार और हंगामे के बीच शनिवार को दूसरे दिन ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी और सर्वे का काम रोकना पड़ा. परिसर पहुंचे अधिवक्ता आयुक्त और सर्वे टीम के अन्य सदस्यों को परिसर स्थित मस्जिद में प्रवेश नहीं करने दिया गया. टीम बीच में ही काम रोककर बाहर आ गई. यह कार्रवाई 9 मई तक के लिए टाली गई थी.

ये भी पढ़ें- गोव‍िंदा ने की सीएम योगी की तारीफ, कहा- UP में व्यापारियों और फ‍िल्म इंडस्ट्री के लिए बेहतर माहौल

वादी पक्ष के पैरोकार सोहनलाल आर्य ने कहा कि कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ. सर्वे के लिए हमें वहां तक पहुंचने ही नहीं दिया गया. शनिवार मुस्लिम पक्ष के लोग परिसर के अंदर मस्जिद के दरवाजे पर आकर खड़े हो गए. इस वजह से सर्वे का काम रोक दिया गया. दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष के वकील एखलाक अहमद ने कहा कि हमारी आपत्ति पर सोमवार को कोर्ट में सुनवाई होगी. इसलिए फिलहाल हम सर्वे में शामिल नहीं हो रहे हैं. अधिवक्ता आयुक्त को हमने इसकी जानकारी दे दी है. एक पक्ष के शामिल न होने के कारण सर्वे रोका गया.

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वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले में एक बार फिर से तारीख मिली है. कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में सर्वे के लिए नियुक्त किए गए वकील कमिश्नर अजय मिश्रा को बदले जाने की याचिका पर सुनवाई के लिए 10 मई की तिथि को मुकर्रर किया है. कोर्ट के समक्ष हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष की तरफ से लगाए गए तमाम आरोपों का जवाब देते हुए वकील कमिश्नर के एक तरफ की कार्यवाही ना किए जाने और व्यवधान उत्पन्न करने समेत अन्य बातें लिखित तौर पर कोर्ट के सामने रखी. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने अब मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए 2:00 बजे के बाद फैसले की बात कही है.

वकील सुभाष त्रिपाठी का बयान.

हिंदू पक्ष के वकील सुभाष त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले में पांच महिलाओं की तरफ से दायर याचिका के बाद कोर्ट ने 8 अप्रैल 2022 को वकील कमिश्नर नियुक्त करते हुए ज्ञानवापी परिसर का वीडियो सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था. इस मामले में तमाम कानूनी अड़चनों के बाद भी 26 अप्रैल को कोर्ट ने पुनः पुराने आदेश को जारी रखते हुए थे 6 और 7 मई को वीडियोग्राफी करने के निर्देश दिए थे. इसके लिए पर्याप्त पुलिस बल और प्रशासन को सहयोग के लिए भी कहा गया था. लेकिन इसके बाद भी वकील कमिश्नर की मौजूदगी में हिंदू व मुस्लिम पक्षकारों के साथ परिसर में वीडियोग्राफी की कार्रवाई सिर्फ 6 मई को मस्जिद के बाहर के हिस्से की भी की जा सकी थी. जबकि 7 मई को जब वकील कमिश्नर ने टीम के साथ मस्जिद परिसर में जाने की कोशिश की तो विरोध शुरू हो गया और वहीं पर कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा.

सुभाष त्रिपाठी ने कहा कि इस प्रकरण में कोर्ट में सारी चीजें लिखित तौर पर दाखिल किया है, जबकि मुस्लिम पक्ष की तरफ से 7 मई को वकील कमिश्नर की तरफ से एक तरफा कार्यवाही किए जाने के आरोप लगाते हुए उन्हें तत्काल बदलने की मांग की गई थी. जिस पर कोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद कल इस प्रकरण में सुनवाई करते हुए आगे की कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं. इस मामले में लीगल तौर पर अब जो भी एक्शन होगा.

कोर्ट के आदेश पर सर्वेक्षण की कार्यवाही अभी पूरी नहीं हुई है. इसलिए 10 मई को दाखिल की जाने वाली रिपोर्ट अभी नहीं दाखिल की जा सकेगी. कोर्ट के अगले आदेश के बाद सर्वेक्षण नए सिरे से शुरू किया जाएगा और कार्य पूरा होने के बाद ही रिपोर्ट को कोर्ट में दाखिल किया जाएगा. फिलहाल अब कल वकील कमिश्नर को लेकर सुनवाई के बाद आगे की न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकेगा.

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने दायर की थी याचिका
उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता आयुक्त को बदलने की मांग को लेकर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से अदालत में अर्जी दायर की गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने वादी पक्ष और अधिवक्ता आयुक्त से आपत्ति मांगी है. अदालत ने कमेटी की अर्जी पर अगली सुनवाई के लिए 9 मई की तारीख तय की थी.

जितेंद्र सिंह विसेन.

नया केस फाइल होगाः जितेंद्र सिंह विसेन
वहीं, कोर्ट में सुनवाई में शामिल होने पहुंचे विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने कहा कि अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी ने एडवोकेट कमीशन के ऊपर एलिगेशन लगाए हैं. कहा कि 'हम उसका जवाब देने के लिए आये हैं. दूसरा मुकदमा नंबर 350/21 जिसमें मैं खुद याची हूं, जिसमे मेरे संगठन और संगठन के बाहर के कई वादी हैं. उस मुदकमे से हम अपने आप को विड्रा कर रहे हैं. उस मुक़दमे में अब हम फ्रेश सूट फ़ाइल करेंगे. साथ ही ज्ञानवापी से सम्बंधित और एक लाट भैरव से सम्बंधित मुकदमें में विश्व वैदिक सनातन संघ के सारे पदाधिकारियों में से कुछ को लेकर सबकी तरफ से एक दो दिन में विड्रा होकर नया केस फाइल होगा. अब केस विश्व वैदिक सनातन संघ की यूथ विंग हिन्दू राष्ट्र पुनर्स्थापना संघ की तरफ से किया जाएगा.'

'विश्व वैदिक सनातन संघ के खिलाफ षड्यंत्र'
वहीं, राखी सिंह द्वारा इस मुकदमें से विड्रा करने की बात पर उन्होंने कहा कि 'यह गलत सूचना है और मेरा, राखी सिंह का या मेरे वकील का ऐसा कोई बयान नहीं है. कुछ लोगों ने अपनी तरफ से ऐसा किया है. राखी सिंह का नाम लेकर इसलिए किया है कि देश विरोधी शक्तियां मेरे विरुद्ध षड्यंत्र रच रहीं हैं. विश्व वैदिक सनातन संघ के खिलाफ षड्यंत्र रच रही हैं.' जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि 'इस सम्बन्ध में अलग-अलग बयान लेकर तोड़-मरोड़ के प्रस्तुत किया गया है. ताकि देश का माहौल बिगड़े. राखी सिंह विश्व सनातन संघ की फाउंडर मेंबर हैं. इस नाते भी उनका दायित्व है कि वो केस से बाहर नहीं जा सकती.' जितेंद्र सिंह बिसेन ने याचिका वापसी लेने की खबर पर कहा कि 'मैं शासन-प्रशासन से आग्रह करूंगा ये पता लगाए कि मुझे बदनाम करने के लिए ये अफवाह किसने फैलाई.' उन्होंने कहा कि वह प्रेस कांफ्रेंस मेरे संज्ञान में नहीं थी.उस कांफ्रेंस में हमारे अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी बिना हमें बताये गए थे. इस पर हमने उन्हें आज तत्काल प्रभाव से अपने सभी केसों से निलंबित करते हैं.

यह है पूरा मामला
गौरतलब है कि मुस्लिम पक्ष के विरोध, बहिष्कार और हंगामे के बीच शनिवार को दूसरे दिन ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी और सर्वे का काम रोकना पड़ा. परिसर पहुंचे अधिवक्ता आयुक्त और सर्वे टीम के अन्य सदस्यों को परिसर स्थित मस्जिद में प्रवेश नहीं करने दिया गया. टीम बीच में ही काम रोककर बाहर आ गई. यह कार्रवाई 9 मई तक के लिए टाली गई थी.

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वादी पक्ष के पैरोकार सोहनलाल आर्य ने कहा कि कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ. सर्वे के लिए हमें वहां तक पहुंचने ही नहीं दिया गया. शनिवार मुस्लिम पक्ष के लोग परिसर के अंदर मस्जिद के दरवाजे पर आकर खड़े हो गए. इस वजह से सर्वे का काम रोक दिया गया. दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष के वकील एखलाक अहमद ने कहा कि हमारी आपत्ति पर सोमवार को कोर्ट में सुनवाई होगी. इसलिए फिलहाल हम सर्वे में शामिल नहीं हो रहे हैं. अधिवक्ता आयुक्त को हमने इसकी जानकारी दे दी है. एक पक्ष के शामिल न होने के कारण सर्वे रोका गया.

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Last Updated : May 9, 2022, 7:18 PM IST
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