वाराणसी: शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सरकारें बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन क्या सच में ऐसा संभव हो सकता है या हो पाता है. यह सवाल हमेशा बना रहता है. कुछ ऐसे ही सवाल प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के प्राथमिक स्कूलों को लेकर भी उठते रहे हैं. लेकिन 24 मार्च को प्रधानमंत्री अपने वाराणसी दौरे पर लगभग 18100 करोड़ों रुपये की परियोजनाओं की सौगात बनारस को देने वाले हैं. इस सौगात में दो ऐसे स्कूल भी शामिल है, जिन्हें उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की जगह कान्वेंट स्कूल के साथ ही हाई-फाई स्कूल के लिए जाना जाएगा. स्मार्ट सिटी योजना के तहत बनारस के शहरी क्षेत्र राजघाट और महमूरगंज में पड़ने वाले दो परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प किया गया है. कल तक भूत बंगला दिखाई देने वाले स्कूल अब किसी इंग्लिश मीडियम स्कूल से कम नजर नहीं आते.
दोनों स्कूलों का हुआ कायाकल्पः दरअसल स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत 2021 में राजघाट परिषदीय स्कूल और महमूरगंज प्राथमिक विद्यालय के कायाकल्प का प्लान तैयार हुआ. केंद्र सरकार की तरफ से राजघाट को 2.99 करोड़ और महमूरगंज प्राथमिक विद्यालय को 1.89 करोड़ों रुपये आवंटित किए गए. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन करके इन स्कूलों के कायाकल्प की शुरुआत की. महज 2 साल के अंदर इन स्कूलों का ऐसा कायाकल्प हुआ कि यहां आने वाले अब इसे पहचान भी नहीं पाते कि ये वही पुराने स्कूल है जहां लोगों को आने में डर लगता था.
पहले बच्चे और टीचर स्कूल आने से डरते थेः बता दें कि महमूरगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय की छवि तो इतनी ज्यादा खराब थी कि यहां पढ़ने वाले बच्चे उनके माता-पिता और टीचर भी स्कूल कैंपस में आने से डरते थे. टीन शेड में संचालित होने वाले स्कूल के कमरों में चारों तरफ से बारिश का पानी टपकता रहता था. यहां पढ़ाने वाले टीचर और बच्चे हर वक्त इस खौफ में रहते थे कि कहीं स्कूल की छत न गिर जाए. हालात यह थे कि पूरे कैंपस में बारिश का पानी घुटने घुटने तक भरा रहता था. यहां पर खाली पड़े खंडहरनुमा कमरे नशेड़ियों का बड़ा अड्डा होते थे. खुद क्षेत्र के विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने एक बार यहां निरीक्षण में पानी की टंकियों के अंदर जब शराब की बोतलों को बरामद किया था तो हड़कंप मच गया था. पूरा कैम्पस शाम होते ही नशेड़ियों का अड्डा बन जाता था, लेकिन अब इस स्कूल को देखने के बाद आप को यह अंदाजा ही नहीं लगेगा कि किसी वक्त यह स्कूल इस बुरी स्थिति से गुजर रहा था.
कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चे ले रहे यहां एडमिशनः आज इस स्कूल को इस तरह से तैयार किया गया है कि अच्छे-अच्छे इंग्लिश मीडियम कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपना नाम कटवा कर सरकारी स्कूल में एडमिशन ले रहे हैं. वर्तमान समय में यहां कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक की पढ़ाई हो रही है. 480 बच्चे यहां पर वर्तमान समय में पढ़ रहे हैं. स्कूल की टीचर्स का कहना है कि पहले इस स्कूल में बच्चे आना नहीं चाहते थे और उनके माता-पिता बच्चों का एडमिशन करवाने के बाद उन्हें स्कूल भेजते ही नहीं थे. लेकिन अब तो हालात यह हैं कि आसपास इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पेरेंट्स एडमिशन के लिए परेशान हैं. यहां जगह ना होने की वजह से एडमिशन नहीं ले पा रहे हैं.बच्चों की बढ़ रही संख्या यह साबित कर रही है कि स्कूल में मिलने वाली सुविधाएं और स्मार्ट स्कूल का कॉन्सेप्ट कितना सफल हो रहा है.
प्राइवेट स्कूलों जैसी सुविधाएंः प्रधानमंत्री मोदी 24 मार्च को यह तोहफा बनारस को देंगे और इन दोनों स्मार्ट स्कूलों का उद्घाटन भी होगा. लेकिन इसके पहले ही स्कूलों में बच्चों की संख्या रिकॉर्ड कायम कर रही है. यहां पढ़ने वाले बच्चों का भी कहना है कि यहां मौजूद साइंस और कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी और इंग्लिश स्पीकिंग क्लासेस खेलने के लिए मैदान और एक छोटा सा पार्क, पीने के लिए आरओ का पानी, यह सब चीजें यह एहसास ही नहीं होने देती कि हम सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं.
सभी बच्चे खुशः कक्षा एक से यहां पढ़ने वाले बच्चे आज 8 सालों के अंदर स्कूल के कायाकल्प से बेहद खुश हैं.बच्चों का कहना है कि पहले हम लोग एक ही क्लास में किसी तरह एडजस्ट होकर पढ़ाई करते थे और बारिश के दिनों में तो पानी टपकता था. डर लगता था कि कहीं छत गिर ना जाए. लेकिन अब इतने अच्छे क्लासेस स्मार्ट क्लासेस की सुविधा हाईटेक इंग्लिश मीडियम वाले टीचर और पढ़ाई का एक बेहतर माहौल मिलने की वजह से हमें पढ़ने में भी मजा आता है. फिलहाल इन स्कूलों की दीवारों पर बनाई जा रही पेंटिंग साहित्य वॉल साइंस वॉल और अनेक तरह के अनोखे कांसेप्ट भी बच्चों को पढ़ने का माहौल उपलब्ध करवाने के साथ ही अपनी पुरातन संस्कृति सभ्यता और भारतीय साहित्य लेखन से जुड़े लोगों को जानने का मौका भी उपलब्ध करवा रहे हैं.
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