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Varanasi news : अमृतसर की तरह ही काशी में भी है एक गोल्डन टेंपल, जानिए इसकी खासियत - अमृतसर गोल्डेन टेंपल

अमृतसर की तरह ही वाराणसी में भी एक गोल्डेन टेंपल है. संत रविदास मंदिर में अमृतसर गुरुद्वारे के तर्ज पर स्वर्ण शिखर बनाया गया है. इस मंदिर में लगभग 250 किलो सोना है.

संत रविदास मंदिर
संत रविदास मंदिर
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Published : Feb 6, 2023, 11:10 AM IST

वाराणसी में संत रविदास मंदिर की खासियत

वाराणसी: बहुत कम ही लोग जानते हैं कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद बनारस में एक और स्वर्ण मंदिर है. यह मंदिर श्रीगोवर्धन पूर्व में स्थित है. संत रविदास मंदिर में अमृतसर गुरुद्वारे के तर्ज पर स्वर्ण शिखर बनाया गया है. इस मंदिर में लगभग 130 किलो सोना है. 35 किलो सोने का दीपक, 35 किलो सोने की छतरी, 32 किलो सोने के कलश और 130 किलो सोने की पालकी है. सोने का मुकुट है. कुल मिलाकर लगभग 250 किलो सोना है.

संत रविदास मंदिर के पास एक पक्का लंगर हॉल है. सत्संग हॉल का निर्माण पीएम नरेंद्र मोदी ने कराया था. आने वाले दिनों में श्री रविदास म्यूजियम और रविदास कॉरिडोर का निर्माण होना है. सफेद मार्बल से बना संत गुरु रविदास का मंदिर बड़ा है. मंदिर 3 पार्ट में बना है. इसमें संत रविदास की मूर्ति स्थापित है. अखंड ज्योत जलती रहती है और मंदिर के नीचे की सतह पर रविदास जी की चरण पादुका रखी हैं. वह पत्थर भी रखा है, जो उनके कटवट का टुकड़ा कहा जाता है.

निरंजन दास चीमा ने बताया कि श्री गुरु रविदास जी महाराज की 646वीं जयंती कब मनाई जाएगी. इसी श्री गोवर्धन पुर में संत रविदास जी का जन्म हुआ था. इमली के वृक्ष के नीचे बैठकर वह अपना काम किया करते थे और अपना संदेश लोगों को देते थे. डेरा श्री संत 1008 श्रवण दास सच्च खण्डबला जालंधर पंजाब के संत चरणदास ने अपनी दिव्य दृष्टि दर्शन के बाद यहां पर मंदिर का निर्माण 1965 में शुरू कराया था. 1972 में मंदिर बनकर तैयार हो गया था. मंदिर को लोग गोल्डन टेंपल भी कहते हैं.

यह भी पढ़ें: CM Yogi Adityanath ने बताईं योजनाएं लागू करने के पीछे की मंशा, बोले- वोट बैंक के लिए नहीं होतीं योजनाएं


वाराणसी में संत रविदास मंदिर की खासियत

वाराणसी: बहुत कम ही लोग जानते हैं कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद बनारस में एक और स्वर्ण मंदिर है. यह मंदिर श्रीगोवर्धन पूर्व में स्थित है. संत रविदास मंदिर में अमृतसर गुरुद्वारे के तर्ज पर स्वर्ण शिखर बनाया गया है. इस मंदिर में लगभग 130 किलो सोना है. 35 किलो सोने का दीपक, 35 किलो सोने की छतरी, 32 किलो सोने के कलश और 130 किलो सोने की पालकी है. सोने का मुकुट है. कुल मिलाकर लगभग 250 किलो सोना है.

संत रविदास मंदिर के पास एक पक्का लंगर हॉल है. सत्संग हॉल का निर्माण पीएम नरेंद्र मोदी ने कराया था. आने वाले दिनों में श्री रविदास म्यूजियम और रविदास कॉरिडोर का निर्माण होना है. सफेद मार्बल से बना संत गुरु रविदास का मंदिर बड़ा है. मंदिर 3 पार्ट में बना है. इसमें संत रविदास की मूर्ति स्थापित है. अखंड ज्योत जलती रहती है और मंदिर के नीचे की सतह पर रविदास जी की चरण पादुका रखी हैं. वह पत्थर भी रखा है, जो उनके कटवट का टुकड़ा कहा जाता है.

निरंजन दास चीमा ने बताया कि श्री गुरु रविदास जी महाराज की 646वीं जयंती कब मनाई जाएगी. इसी श्री गोवर्धन पुर में संत रविदास जी का जन्म हुआ था. इमली के वृक्ष के नीचे बैठकर वह अपना काम किया करते थे और अपना संदेश लोगों को देते थे. डेरा श्री संत 1008 श्रवण दास सच्च खण्डबला जालंधर पंजाब के संत चरणदास ने अपनी दिव्य दृष्टि दर्शन के बाद यहां पर मंदिर का निर्माण 1965 में शुरू कराया था. 1972 में मंदिर बनकर तैयार हो गया था. मंदिर को लोग गोल्डन टेंपल भी कहते हैं.

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