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इस प्रसाद को रखने से नहीं होगी पैसों की कमी, आप भी जानें

काशी में धनतेरस के अवसर पर भक्तों के लिए स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा का दरबार खोल दिया गया है. मान्यता है कि यहां का महाप्रसाद रखने से वर्ष भर धन-धान्य की कमी नहीं होती है. यह मंदिर साल भर में सिर्फ चार दिनों के लिए खुलता है.

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Published : Nov 12, 2020, 4:57 PM IST

स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा
स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा

वाराणसी: धनतेरस का पर्व सुख समृद्धि और संपन्नता की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है, लेकिन काशी में आज के दिन माता लक्ष्मी के अलावा भूमि देवी और माता अन्नपूर्णा की भी पूजा का विधान है. सबसे बड़ी बात यह है कि विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित माता अन्नपूर्णा के मंदिर में धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक चार दिनों के लिए माता अन्नपूर्णा की स्वर्णमई प्रतिमा के दर्शन भक्तों को मिलते हैं और दर्शन के साथ भक्तों को वह महाप्रसाद भी मिलता है, जिसका उन्हें एक साल इंतजार होता है. मान्यता है कि इस महाप्रसाद को घर में रखने मात्र से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती.

स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा का खुला दरबार.

सिर्फ 4 दिन होते हैं मां के दर्शन
माता अन्नपूर्णा के बारे में यह कहा जाता है कि काशी में भगवान शिव माता अन्नपूर्णा से भिक्षा लेकर स्वयं अपना पेट भरते हैं और माता अन्नपूर्णा काशी में रहकर किसी को कभी भूखा नहीं रहने देती हैं. इसी मान्यता के साथ दीपावली से पहले धनतेरस के मौके पर काशी में माता अन्नपूर्णा और अन्न पैदा करने वाली भूमि देवी के साथ माता लक्ष्मी की स्वर्णमई प्रतिमा के दर्शन का विधान है. यह धनतेरस से शुरू होता है और 4 दिन बाद पड़ने वाले अन्नकूट तक चलता है.

हजारों साल पुरानी है परंपरा
इस बारे में अन्नपूर्णा मंदिर के महंत स्वामी रामेश्वरपुरी का कहना है कि हजारों-सैकड़ों साल पुरानी परंपराओं का अनुसरण काशी हमेशा से करती आ रही है. पूर्वजों और संतों द्वारा बनाई गई इस परंपरा के अनुरूप माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमई प्रतिमा के दर्शन सिर्फ 4 दिनों के लिए धनतेरस के दौरान खोला जाता है. ऐसी मान्यता है कि इन 4 दिनों के लिए देवी के स्थान का परिवर्तन होता है, बाकी दिन मां अन्नपूर्णा की मुख्य प्रतिमा के दर्शन नीचे होते हैं, जबकि 4 दिनों के लिए स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन भक्तों को मिलता है.

अन्नपूर्णा मंदिर.
अन्नपूर्णा मंदिर.

नहीं होती धन-धान्य की कमी
ऐसी मान्यता है कि आज के दिन माता के स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन करने के बाद अनाज के रूप में धान का लावा और धन के रूप में कुछ पुराने सिक्के भक्तों को महाप्रसाद के रूप में दिए जाते हैं. इसे भक्त अपने घर में रखकर पूरे वर्ष पर्यंत धनधान्य से परिपूर्ण रहते हैं. वहीं माता अन्नपूर्णा के इस भव्य स्वरूप के दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ हर साल पहुंचती है. हालांकि इस बार कोरोना की वजह से भीड़ कुछ कम है, लेकिन भक्तों का उत्साह वैसे ही है. भक्त माता के इस स्वरूप का दर्शन कर अपने घर में धन-धान्य और आरोग्य की कामना कर रहे हैं.

वाराणसी: धनतेरस का पर्व सुख समृद्धि और संपन्नता की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है, लेकिन काशी में आज के दिन माता लक्ष्मी के अलावा भूमि देवी और माता अन्नपूर्णा की भी पूजा का विधान है. सबसे बड़ी बात यह है कि विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित माता अन्नपूर्णा के मंदिर में धनतेरस से लेकर अन्नकूट तक चार दिनों के लिए माता अन्नपूर्णा की स्वर्णमई प्रतिमा के दर्शन भक्तों को मिलते हैं और दर्शन के साथ भक्तों को वह महाप्रसाद भी मिलता है, जिसका उन्हें एक साल इंतजार होता है. मान्यता है कि इस महाप्रसाद को घर में रखने मात्र से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती.

स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा का खुला दरबार.

सिर्फ 4 दिन होते हैं मां के दर्शन
माता अन्नपूर्णा के बारे में यह कहा जाता है कि काशी में भगवान शिव माता अन्नपूर्णा से भिक्षा लेकर स्वयं अपना पेट भरते हैं और माता अन्नपूर्णा काशी में रहकर किसी को कभी भूखा नहीं रहने देती हैं. इसी मान्यता के साथ दीपावली से पहले धनतेरस के मौके पर काशी में माता अन्नपूर्णा और अन्न पैदा करने वाली भूमि देवी के साथ माता लक्ष्मी की स्वर्णमई प्रतिमा के दर्शन का विधान है. यह धनतेरस से शुरू होता है और 4 दिन बाद पड़ने वाले अन्नकूट तक चलता है.

हजारों साल पुरानी है परंपरा
इस बारे में अन्नपूर्णा मंदिर के महंत स्वामी रामेश्वरपुरी का कहना है कि हजारों-सैकड़ों साल पुरानी परंपराओं का अनुसरण काशी हमेशा से करती आ रही है. पूर्वजों और संतों द्वारा बनाई गई इस परंपरा के अनुरूप माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमई प्रतिमा के दर्शन सिर्फ 4 दिनों के लिए धनतेरस के दौरान खोला जाता है. ऐसी मान्यता है कि इन 4 दिनों के लिए देवी के स्थान का परिवर्तन होता है, बाकी दिन मां अन्नपूर्णा की मुख्य प्रतिमा के दर्शन नीचे होते हैं, जबकि 4 दिनों के लिए स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन भक्तों को मिलता है.

अन्नपूर्णा मंदिर.
अन्नपूर्णा मंदिर.

नहीं होती धन-धान्य की कमी
ऐसी मान्यता है कि आज के दिन माता के स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन करने के बाद अनाज के रूप में धान का लावा और धन के रूप में कुछ पुराने सिक्के भक्तों को महाप्रसाद के रूप में दिए जाते हैं. इसे भक्त अपने घर में रखकर पूरे वर्ष पर्यंत धनधान्य से परिपूर्ण रहते हैं. वहीं माता अन्नपूर्णा के इस भव्य स्वरूप के दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ हर साल पहुंचती है. हालांकि इस बार कोरोना की वजह से भीड़ कुछ कम है, लेकिन भक्तों का उत्साह वैसे ही है. भक्त माता के इस स्वरूप का दर्शन कर अपने घर में धन-धान्य और आरोग्य की कामना कर रहे हैं.

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