वाराणसी: आज नवरात्र का छठां दिन है और आज के दिन देवी के छठवें स्वरूप यानी 'देवी कात्यायनी' की आराधना की जाती है. देवी कात्यायनी की पूजा से राहु जनित कालसर्प दोष दूर होता है. यह भी मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा से मस्तिष्क, त्वचा, संक्रमण आदि रोगों में लाभ मिलता है और माता अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर देती है.
'अद्भुत रूप धारिणी मां'
मां कात्यायनी अद्भुत रूप वाली है. मां कात्यायनी का रूप भव्य और सोने की तरह चमकीला है. देवी कात्यायनी की चार भुजाएं हैं. दायीं ओर का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में स्थित होता है. वहीं नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में विद्यमान होता है. मां के बायीं ओर वाले हाथ में तलवार शोभित होता है. वहीं मां के नीचे वाले हाथ में कमल का फूल होता है. मां कात्यायनी सदैव शेर पर सवार रहती हैं.
कुंवारी कन्याओं की जल्द होती है शादी
वाराणसी के पक्का महल में संकटाजी के मंदिर के पीछे मां कात्यायनी का मंदिर स्थित है. यह मंदिर आदि काल से यहीं पर स्थित है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में भी मंगलवार और गुरुवार को मां को पीली हल्दी चढ़ाने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मंदिर परिसर में माता रानी के विग्रह के सामने जो शिवलिंग है. वह आत्मा विरेश्वर है. इन्हें श्रीकाशी विश्वनाथ की आत्मा के रूप में मान्यता प्राप्त है. इसके अलावा परिसर में नौ विग्रह भी स्थापित है. यहां पर अविवाहित कन्याएं भी माता से अच्छे वर की तलाश में पूजा करने आती हैं.
इसे भी पढ़ें- वाराणसी: सरकार के एक फैसले से बंद हो गईं मुर्री, ये लोग कर रहे विरोध