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बनारस की जापानी गुड़िया पर आया जर्मनी का दिल - काशी की काठ कला की गुड़िया

वाराणसी की कलाओं का हर कोई दीवाना हो जाता है. वह चाहे यहां की साड़ियां हों या फिर गुलाबी मीनाकारी. वह चाहे यहां की काष्ठ कला हो या फिर मिट्टी की कारीगरी. हर एक उत्पाद अपने आप में बहुत ही खास होता है. ऐसे ही सबसे खास बनी हुई है जापानी गुड़िया.

बनारस की जापानी गुड़िया पर आया जर्मनी का दिल
बनारस की जापानी गुड़िया पर आया जर्मनी का दिल
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Published : Jun 22, 2023, 8:27 PM IST

बनारस की जापानी गुड़िया पर आया जर्मनी का दिल

वाराणसी: इन दिनों जर्मनी वालों का दिल बनारस की गुड़िया के लिए धड़क रहा है. आप इसे कोई प्रेम-प्रसंग समझ रहे होंगे, तो बता दें कि यह प्रेम प्रसंग तो है. लेकिन यह प्रेम किसी दो इंसानों के बीच में नहीं है. बल्कि एक कला और कला प्रेमी के बीच का प्रेम है. जर्मनी वालों को काशी की काठ कला की गुड़िया खासा पसंद आई है. इसका परिणाम है कि उन्होंने बकायदा इसे बनाने के लिए ऑर्डर भी दे दिया है. जर्मनी के लोगों से मिले इस ऑर्डर ने कारीगरों के मंदी में चल रहे व्यापार को रफ्तार दे दी है.

जापानी गुड़िया बनाते कारीगर
जापानी गुड़िया बनाते कारीगर


जर्मनी डेलीगेट्स ने दिए जापानी गुड़िया का ऑर्डर: कारोबारी राजकुमार सिंह ने बताया कि 'जापानी गुड़िया तो जापान से ही आई है. लेकिन वाराणसी में पिछले 200 से 300 साल से बनती आ रही है. वाराणसी में जी-20 के मौके पर विदेश से कई मंत्री आए हुए थे. उनके साथ कई डेलीगेट्स भी थे. उन लोगों ने मेरा कार्ड लिया था और कुछ सैंपल भी ले गए थे. उन्होंने मुझसे फिर से कॉन्टेक्ट किया है. इसके बाद उन्होंने ऑर्डर दिया और मैनुफैक्चरिंग करने के लिए कहा है. इसका प्रोसेस हम लोगों ने शुरू कर दिया है. इसे तैयार करने के बाद कोलकाता भेजा जाएगा. फिर वहां से इसे जर्मनी के लिए भेज दिया जाएगा'.

जर्मनी डेलीगेट्स ने दिए जापानी गुड़िया का ऑर्डर
जर्मनी डेलीगेट्स ने दिए जापानी गुड़िया का ऑर्डर
1000 गुड़िया बनाने का मिला ऑर्डर: जर्मनी से लगभग 1000 पीस बनाने का ऑर्डर इन कारोबारियों को मिला है. इसके बाद से शिल्पियों का परिवार जापानी गुड़िया को बनाने में जुट गया है. गौरतलब है कि बनारस की जापानी गुड़िया अनोखी होती है. इसमें एक सेट में कुल 5 गुड़िया होती हैं, जिनकी लंबाई व चौड़ाई डिजाइन अलग-अलग होती है. इसे बेहद बारीकी से सजाया व रंगा जाता है. गुड़िया को बनाने के लिए मशीन से अलग-अलग साइज में तैयार किया जाता है और फिर रंगाई के लिए कारीगरों के पास भेजा जाता है.
बेहद बारीकी से बनाई जाती है जापानी गुड़िया
बेहद बारीकी से बनाई जाती है जापानी गुड़िया


ऐसे तैयार की जाती है जापानी गुड़िया: जापानी गुड़िया बनाने वाले कारीगर ने ने बताया कि ये लिप्टस की लकड़ी से बनती है. ये मशीन पर बनाए जाने के बाद पेंटिंग की जाती है. इसे पहले व्हाइट बेस देते हैं, फिर फैब्रिक कलर का इस्तेमाल कर कलर बनाते हैं. इसके बाद इसपर काम करना शुरू करते हैं. इसे तैयार करने के लिए एक-एक स्टेप होता है. पहले इस पर कलरिंग करते हैं. फिर इस पर बारीक वर्क किया जाता है और इस तरह से गुड़िया बनकर तैयार होती है. बाहर से ऑर्डर भी अच्छे मिल रहे हैं, जिससे मुनाफा भी हो रहा है.

जर्मनी से बनारस की जापानी गुड़िया का ऑर्डर
जर्मनी से बनारस की जापानी गुड़िया का ऑर्डर
जी-20 ने बनाया व्यापार का नया रास्ता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस की इस कला का प्रोत्साहन करते हैं. बीते दिनों जी-20 में काष्ठ कला का प्रदर्शन किया गया. जिससे इस कला को और भी अधिक पसंद किया जा रहा है. इसका परिणाम है कि वाराणसी की इस खास जापानी गुड़िया को जर्मनी के लोग पसंद कर रहे हैं. इतना ही नहीं वे इस जापानी गुड़िया को लोग बल्क ऑर्डर देकर मंगा भी रहे हैं. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि वाराणसी में जी-20 के आयोजन ने यहां के कलाकारों के लिए व्यापार के नए रास्ते तैयार कर दिए हैं, जिससे उनका अच्छा मुनाफा हो रहा है.यह भी पढ़ें:अब एक क्लिक पर बनारस के जीआई उत्पादों का मिलेगा ब्यौरा, जानें कैसे

बनारस की जापानी गुड़िया पर आया जर्मनी का दिल

वाराणसी: इन दिनों जर्मनी वालों का दिल बनारस की गुड़िया के लिए धड़क रहा है. आप इसे कोई प्रेम-प्रसंग समझ रहे होंगे, तो बता दें कि यह प्रेम प्रसंग तो है. लेकिन यह प्रेम किसी दो इंसानों के बीच में नहीं है. बल्कि एक कला और कला प्रेमी के बीच का प्रेम है. जर्मनी वालों को काशी की काठ कला की गुड़िया खासा पसंद आई है. इसका परिणाम है कि उन्होंने बकायदा इसे बनाने के लिए ऑर्डर भी दे दिया है. जर्मनी के लोगों से मिले इस ऑर्डर ने कारीगरों के मंदी में चल रहे व्यापार को रफ्तार दे दी है.

जापानी गुड़िया बनाते कारीगर
जापानी गुड़िया बनाते कारीगर


जर्मनी डेलीगेट्स ने दिए जापानी गुड़िया का ऑर्डर: कारोबारी राजकुमार सिंह ने बताया कि 'जापानी गुड़िया तो जापान से ही आई है. लेकिन वाराणसी में पिछले 200 से 300 साल से बनती आ रही है. वाराणसी में जी-20 के मौके पर विदेश से कई मंत्री आए हुए थे. उनके साथ कई डेलीगेट्स भी थे. उन लोगों ने मेरा कार्ड लिया था और कुछ सैंपल भी ले गए थे. उन्होंने मुझसे फिर से कॉन्टेक्ट किया है. इसके बाद उन्होंने ऑर्डर दिया और मैनुफैक्चरिंग करने के लिए कहा है. इसका प्रोसेस हम लोगों ने शुरू कर दिया है. इसे तैयार करने के बाद कोलकाता भेजा जाएगा. फिर वहां से इसे जर्मनी के लिए भेज दिया जाएगा'.

जर्मनी डेलीगेट्स ने दिए जापानी गुड़िया का ऑर्डर
जर्मनी डेलीगेट्स ने दिए जापानी गुड़िया का ऑर्डर
1000 गुड़िया बनाने का मिला ऑर्डर: जर्मनी से लगभग 1000 पीस बनाने का ऑर्डर इन कारोबारियों को मिला है. इसके बाद से शिल्पियों का परिवार जापानी गुड़िया को बनाने में जुट गया है. गौरतलब है कि बनारस की जापानी गुड़िया अनोखी होती है. इसमें एक सेट में कुल 5 गुड़िया होती हैं, जिनकी लंबाई व चौड़ाई डिजाइन अलग-अलग होती है. इसे बेहद बारीकी से सजाया व रंगा जाता है. गुड़िया को बनाने के लिए मशीन से अलग-अलग साइज में तैयार किया जाता है और फिर रंगाई के लिए कारीगरों के पास भेजा जाता है.
बेहद बारीकी से बनाई जाती है जापानी गुड़िया
बेहद बारीकी से बनाई जाती है जापानी गुड़िया


ऐसे तैयार की जाती है जापानी गुड़िया: जापानी गुड़िया बनाने वाले कारीगर ने ने बताया कि ये लिप्टस की लकड़ी से बनती है. ये मशीन पर बनाए जाने के बाद पेंटिंग की जाती है. इसे पहले व्हाइट बेस देते हैं, फिर फैब्रिक कलर का इस्तेमाल कर कलर बनाते हैं. इसके बाद इसपर काम करना शुरू करते हैं. इसे तैयार करने के लिए एक-एक स्टेप होता है. पहले इस पर कलरिंग करते हैं. फिर इस पर बारीक वर्क किया जाता है और इस तरह से गुड़िया बनकर तैयार होती है. बाहर से ऑर्डर भी अच्छे मिल रहे हैं, जिससे मुनाफा भी हो रहा है.

जर्मनी से बनारस की जापानी गुड़िया का ऑर्डर
जर्मनी से बनारस की जापानी गुड़िया का ऑर्डर
जी-20 ने बनाया व्यापार का नया रास्ता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस की इस कला का प्रोत्साहन करते हैं. बीते दिनों जी-20 में काष्ठ कला का प्रदर्शन किया गया. जिससे इस कला को और भी अधिक पसंद किया जा रहा है. इसका परिणाम है कि वाराणसी की इस खास जापानी गुड़िया को जर्मनी के लोग पसंद कर रहे हैं. इतना ही नहीं वे इस जापानी गुड़िया को लोग बल्क ऑर्डर देकर मंगा भी रहे हैं. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि वाराणसी में जी-20 के आयोजन ने यहां के कलाकारों के लिए व्यापार के नए रास्ते तैयार कर दिए हैं, जिससे उनका अच्छा मुनाफा हो रहा है.यह भी पढ़ें:अब एक क्लिक पर बनारस के जीआई उत्पादों का मिलेगा ब्यौरा, जानें कैसे
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