वाराणसी: इन दिनों जर्मनी वालों का दिल बनारस की गुड़िया के लिए धड़क रहा है. आप इसे कोई प्रेम-प्रसंग समझ रहे होंगे, तो बता दें कि यह प्रेम प्रसंग तो है. लेकिन यह प्रेम किसी दो इंसानों के बीच में नहीं है. बल्कि एक कला और कला प्रेमी के बीच का प्रेम है. जर्मनी वालों को काशी की काठ कला की गुड़िया खासा पसंद आई है. इसका परिणाम है कि उन्होंने बकायदा इसे बनाने के लिए ऑर्डर भी दे दिया है. जर्मनी के लोगों से मिले इस ऑर्डर ने कारीगरों के मंदी में चल रहे व्यापार को रफ्तार दे दी है.
जर्मनी डेलीगेट्स ने दिए जापानी गुड़िया का ऑर्डर: कारोबारी राजकुमार सिंह ने बताया कि 'जापानी गुड़िया तो जापान से ही आई है. लेकिन वाराणसी में पिछले 200 से 300 साल से बनती आ रही है. वाराणसी में जी-20 के मौके पर विदेश से कई मंत्री आए हुए थे. उनके साथ कई डेलीगेट्स भी थे. उन लोगों ने मेरा कार्ड लिया था और कुछ सैंपल भी ले गए थे. उन्होंने मुझसे फिर से कॉन्टेक्ट किया है. इसके बाद उन्होंने ऑर्डर दिया और मैनुफैक्चरिंग करने के लिए कहा है. इसका प्रोसेस हम लोगों ने शुरू कर दिया है. इसे तैयार करने के बाद कोलकाता भेजा जाएगा. फिर वहां से इसे जर्मनी के लिए भेज दिया जाएगा'.
ऐसे तैयार की जाती है जापानी गुड़िया: जापानी गुड़िया बनाने वाले कारीगर ने ने बताया कि ये लिप्टस की लकड़ी से बनती है. ये मशीन पर बनाए जाने के बाद पेंटिंग की जाती है. इसे पहले व्हाइट बेस देते हैं, फिर फैब्रिक कलर का इस्तेमाल कर कलर बनाते हैं. इसके बाद इसपर काम करना शुरू करते हैं. इसे तैयार करने के लिए एक-एक स्टेप होता है. पहले इस पर कलरिंग करते हैं. फिर इस पर बारीक वर्क किया जाता है और इस तरह से गुड़िया बनकर तैयार होती है. बाहर से ऑर्डर भी अच्छे मिल रहे हैं, जिससे मुनाफा भी हो रहा है.