वाराणसीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को साफ करने का बेड़ा धर्म नगरी काशी से उठाया था. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बेड़े को हकीकत में धरातल पर उतारने का काम उनके संसदीय क्षेत्र के युवाओं ने करना शुरू किया है. काशी में 15 सौ से ज्यादा युवा हर रविवार को गंगा में क्लीन अप ड्राइव चलाते हैं और इसके बाद सफाई के दौरान निकलने वाले कूड़े को वह हैंडीक्राफ्ट के सामानों में प्रयोग करते हैं. इन सामानों को बनाकर गंगा से निकले कूड़े को कूड़ा बाजार में बेच देते हैं. जो स्थानीय लोगों को भी काफी पसंद आ रहा है. क्लीन अप ड्राइव अभिायान से जुड़े सभी छात्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हैं.
कूड़ा बाजार के युवा गौरव मिश्रा ने बताया कि सितंबर 2019 से उन्होंने अपने चार दोस्तों के साथ इस क्लीन अप ड्राइव को शुरू किया था और अब उनकी संख्या 15 सौ से ज्यादा हो गई है. उन्होंने बताया कि अब तक हम सभी लोगों ने 55 से ज्यादा ड्राइव का संचालन किया हैं, जिसमें अब तक 6800 किलों से ज्यादा कचरे को निकाला गया है.
गौरव ने बताया कि इससे निकलने वाले वेस्ट सामानों से क्रिएटिव यूज करने वाले सामान को तैयार किया गया है. इसके बाद कूड़ा बाजार को लगाना शुरू किया. इसमें सभी वेस्ट मटेरियल से बने सामानों की प्रदर्शनी लगती हैं, जिसमें लोगों के काम के सामान बेहद कम दाम में उपलब्ध रहते हैं, जो भी व्यक्ति खरीदना चाहे वह सामान खरीद सकता है.
वही छात्रा निवेदिता ने बताया कि वो प्लास्टिक और अन्य वेस्ट सामान रिसाइकिल करके मल्टीपरपज की चीजें बनाते हैं. जिसे कई बार प्रयोग में लाया जा सकें. सिंगल यूज प्लास्टिक को एक बार यूज करने के बाद फेंक दिया जाता है. प्रयास यह है कि चीजों को बेहतर बनाएं और उसे कई बार यूज कर सके.
छात्रों के अनुसार, इस बाजार से वो तरह-तरह के वेस्ट मटेरियल जैसे कागज को रिसाइकिल करके उससे अलग-अलग कलाकृति और पेपर रॉक बनाते हैं. छोटे-छोटे पॉट्स बनाए जाते हैं. प्लांटेशन के लिए भी छोटे-छोटे गमले बनाए जाते हैं. उनकी कोशिश होती है कि कुछ नया बनाएं, जिससे लोग अपने घरों में कुछ नया प्रयोग कर सकें. उन्होंने बताया कि ड्राइव के बाद वो लोग जो सामान तैयार करते हैं, उन सामानों को कूड़ा बाजार के नाम से घाटों और अलग-अलग जगहों पर सजाते हैं, ताकि लोग इसे देखें और पसंद कर सकें. लोगों का रिस्पांस भी काफी अच्छा है. लोग आते हैं, देखते हैं और बहुत सारी चीजें खरीद कर लेकर जाते हैं, जो आमदनी का भी जरिया है.
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