वाराणसी: पिछले दिनों गंगा के पानी के काला होने की खबर सामने आने के बाद हड़कंप मच गया था. हालांकि बाद में सीवेज के साथ कुछ कारखानों से आने वाले पानी की वजह से गंगा के पानी के काले होने की बात सामने आई थी, लेकिन एक बार फिर से मणिकर्णिका घाट, गंगा महल घाट, मीर घाट और दशाश्वमेध घाट पर गंगा का पानी काला होने की बात सामने आई है. जिसके बाद जल निगम इस पूरे मामले की जांच तकनीकी टीम से कराने की बात कह रहा है. दरअसल वाराणसी के गंगा घाटों पर टहलने वाले लोगों को गंगा किनारे गंगा का पानी अचानक से काला दिखाई देने लगा. जिसके बाद इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी. तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला मीडिया तक पहुंचा तो इस प्रकरण में प्रशासन की नींद टूटी है.
इस पूरे मामले में जल निगम के परियोजना प्रबंधन प्रदूषण नियंत्रण इकाई एसके रंजन का कहना है कि इस मामले में तकनीकी टीम को जांच के लिए कहा गया है. पानी का सैंपल लेने के साथ ही इस पूरे मामले की जांच की जाएगी. स्थानीय लोगों का यह कहना है कि इस पूरे मामले में विश्वनाथ धाम के पास बन रहे रास्ते की वजह से यहां आने वाले सीवर पंप को बंद किया गया है. जिसकी वजह से गंगा के पानी पर इसका असर पड़ा है और पंप न चलने के कारण दिन-ब-दिन हालात खराब हो रही है.
लेकिन इस मामले को खारिज करते हुए एसके रंजन ने कहा कि पंप चालू है और इससे उसका कोई लेना-देना नहीं है. तकनीकी वजहों से पानी का रंग काला हो सकता है. जिसकी जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा. गंगा के पानी के काला होने की वजह से यहां आने वाले दर्शनार्थियों और घाट पर रहने वाले पंडा समाज के लोगों में भी काफी नाराजगी है.
वहीं, पुरोहितों का कहना है कि पानी आचमन योग्य तो नहीं है न ही नहाने योग्य रह गया है. सरकार भले ही दावा करे कि नाले बंद हो गए हैं. लेकिन नालों का पानी अब भी गंगा में आ रहे हैं, जिसकी वजह से गंगा का पानी काला हो रहा है.
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