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देव दीपावली: प्रशासन ने रद्द की गंगा पर मंच बनाने की परमिशन, आयोजकों बोले- नहीं करेंगे महाआरती

काशी में देव दीपावली पर होने वाली महाआरती पर संकट के बादल गहरा गए हैं. दरअसल प्रशासन ने गंगा सेवा निधि को घाट पर बनाए जाने वाले मंच की परमिशन नहीं दी. इस वजह से गंगा आरती का आयोजकों ने महाआरती न करने का फैसला लिया है.

देव दीपावली पर नहीं होगी गंगा महाआरती.
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Published : Nov 10, 2019, 11:31 PM IST

वाराणसी: धर्मनगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली का महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इस आयोजन में वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती की भव्यता इस आयोजन को और खास बना देती है, लेकिन इस बार प्रशासन और गंगा आरती कराने वाली संस्था आमने-सामने हैं. इस वजह से देव दीपावली पर होने वाली महाआरती पर संकट के बादल गहरा गए हैं.

देखें वीडियो.

प्रशासन ने रद्द की मंच बनाने की परमिशन
बताया जा रहा है कि प्रशासन ने गंगा सेवा निधि की तरफ से दशाश्वमेध घाट पर देव दीपावली के दिन घाट से दूर गंगा में बनाए जाने वाले मंच की परमिशन कई कारणों से रद्द कर दी है. जिसका लेटर रविवार को गंगा सेवा निधि के पदाधिकारियों को प्रशासन की तरफ से दी गई है.

इस बार नहीं होगी महाआरती
इसके बाद गंगा आरती का आयोजकों ने यह फैसला लिया है कि देव दीपावली पर होने वाली महाआरती को सिर्फ नियमित गंगा आरती के तौर पर ही किया जाएगा. उसकी भव्यता उस रूप में नहीं होगी जैसी हर साल होती है.

गंगा सेवा निधि के संरक्षक ने दी जानकारी
इस बारे में गंगा सेवा निधि के संरक्षक श्याम लाल सिंह का कहना है कि प्रशासन ने मंच गंगा में बनाए जाने की परमिशन को अचानक से कैंसिल किया है. हर साल यह मंच 8 पीपों पर बनाया जाता है, जो पीडब्ल्यूडी से लिए जाते है. इस बार भी पीपे लाकर मंच बनाए जाने का काम शुरू हो गया तो प्रशासन ने मंच न बनाए जाने की बात कहकर परमिशन रद्द कर दी.

मंच बनाने को राजी नहीं हुई गंगा सेवा निधि
इसके बाद हम लोगों ने प्रशासन से मुलाकात कर वीआईपीज को निमंत्रण भेजने और पूरे आयोजन की रूपरेखा तैयार करने की बात कही. इस पर प्रशासन ने 8 पीपों की जगह 6 पीपे पर लगाकर मंच बनाने की परमिशन दे दी, लेकिन बाद में फोन करके 3 पीपों पर मंच बनाए जाने की बात कही. जब हमने इसका विरोध किया तो रविवार को प्रशासन ने फोन करके मंज की परमिशन ही रद्द कर दी.

श्याम लाल सिंह का कहना है कि ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में आने वाले वीआईपी और सेलिब्रिटीज को कहां बैठाया जाएगा और उनकी सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा यह प्रशासन नहीं बता रहा है. इस वजह से इस बार गंगा आरती का आयोजन भव्यता से नहीं होगा.

शहीदों को दी जाएगी श्रद्धांजलि
महाआरती का जो रूप 123 अर्चक और 42 कन्याओं जो रिद्धि-सिद्धि के रूप में मौजूद रहती हैं. उस रूप में गंगा आरती न करते हुए रोज की तरह सात ब्राह्मणों द्वारा ही गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा. साथ ही किसी भी सेलिब्रिटी या वीआईपी को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा. सिर्फ अमर जवान ज्योति का प्रतिरूप बनाकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम होगा.

एडीएम सिटी ने फोन पर दी जानकारी
फिलहाल प्रशासनिक अधिकारी कैमरे पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. ईटीवी भारत ने जब इस बारे में एडीएम सिटी विनय कुमार सिंह से फोन पर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि परमिशन आरती की नहीं, बल्कि मंच बनाने के लिए ली जाती है और मंच बनाए जाने की परमिशन इन्हें दी गई थी.

इन्हें छोटा मंच कहा गया था, लेकिन यह मानने को तैयार नहीं थे और मंच बनने के वजह से घाट की दृश्यता गंगा पर नाव के जरिए विचरण करने वालों को नहीं होती है, जिसकी शिकायत भी लगातार लोग करते हैं. सुरक्षा की दृष्टि से भी गंगा में मंच उचित नहीं है. कुल मिलाकर बहुत सी दिक्कतें हैं, इसकी वजह से इस बार परमिशन नहीं दी गई.

वाराणसी: धर्मनगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली का महापर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इस आयोजन में वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती की भव्यता इस आयोजन को और खास बना देती है, लेकिन इस बार प्रशासन और गंगा आरती कराने वाली संस्था आमने-सामने हैं. इस वजह से देव दीपावली पर होने वाली महाआरती पर संकट के बादल गहरा गए हैं.

देखें वीडियो.

प्रशासन ने रद्द की मंच बनाने की परमिशन
बताया जा रहा है कि प्रशासन ने गंगा सेवा निधि की तरफ से दशाश्वमेध घाट पर देव दीपावली के दिन घाट से दूर गंगा में बनाए जाने वाले मंच की परमिशन कई कारणों से रद्द कर दी है. जिसका लेटर रविवार को गंगा सेवा निधि के पदाधिकारियों को प्रशासन की तरफ से दी गई है.

इस बार नहीं होगी महाआरती
इसके बाद गंगा आरती का आयोजकों ने यह फैसला लिया है कि देव दीपावली पर होने वाली महाआरती को सिर्फ नियमित गंगा आरती के तौर पर ही किया जाएगा. उसकी भव्यता उस रूप में नहीं होगी जैसी हर साल होती है.

गंगा सेवा निधि के संरक्षक ने दी जानकारी
इस बारे में गंगा सेवा निधि के संरक्षक श्याम लाल सिंह का कहना है कि प्रशासन ने मंच गंगा में बनाए जाने की परमिशन को अचानक से कैंसिल किया है. हर साल यह मंच 8 पीपों पर बनाया जाता है, जो पीडब्ल्यूडी से लिए जाते है. इस बार भी पीपे लाकर मंच बनाए जाने का काम शुरू हो गया तो प्रशासन ने मंच न बनाए जाने की बात कहकर परमिशन रद्द कर दी.

मंच बनाने को राजी नहीं हुई गंगा सेवा निधि
इसके बाद हम लोगों ने प्रशासन से मुलाकात कर वीआईपीज को निमंत्रण भेजने और पूरे आयोजन की रूपरेखा तैयार करने की बात कही. इस पर प्रशासन ने 8 पीपों की जगह 6 पीपे पर लगाकर मंच बनाने की परमिशन दे दी, लेकिन बाद में फोन करके 3 पीपों पर मंच बनाए जाने की बात कही. जब हमने इसका विरोध किया तो रविवार को प्रशासन ने फोन करके मंज की परमिशन ही रद्द कर दी.

श्याम लाल सिंह का कहना है कि ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में आने वाले वीआईपी और सेलिब्रिटीज को कहां बैठाया जाएगा और उनकी सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा यह प्रशासन नहीं बता रहा है. इस वजह से इस बार गंगा आरती का आयोजन भव्यता से नहीं होगा.

शहीदों को दी जाएगी श्रद्धांजलि
महाआरती का जो रूप 123 अर्चक और 42 कन्याओं जो रिद्धि-सिद्धि के रूप में मौजूद रहती हैं. उस रूप में गंगा आरती न करते हुए रोज की तरह सात ब्राह्मणों द्वारा ही गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा. साथ ही किसी भी सेलिब्रिटी या वीआईपी को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा. सिर्फ अमर जवान ज्योति का प्रतिरूप बनाकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम होगा.

एडीएम सिटी ने फोन पर दी जानकारी
फिलहाल प्रशासनिक अधिकारी कैमरे पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. ईटीवी भारत ने जब इस बारे में एडीएम सिटी विनय कुमार सिंह से फोन पर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि परमिशन आरती की नहीं, बल्कि मंच बनाने के लिए ली जाती है और मंच बनाए जाने की परमिशन इन्हें दी गई थी.

इन्हें छोटा मंच कहा गया था, लेकिन यह मानने को तैयार नहीं थे और मंच बनने के वजह से घाट की दृश्यता गंगा पर नाव के जरिए विचरण करने वालों को नहीं होती है, जिसकी शिकायत भी लगातार लोग करते हैं. सुरक्षा की दृष्टि से भी गंगा में मंच उचित नहीं है. कुल मिलाकर बहुत सी दिक्कतें हैं, इसकी वजह से इस बार परमिशन नहीं दी गई.

Intro:वाराणसी: कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को है और दीप दीपावली का पर्व काशी में बड़े ही ग्रैंड तरीके से मनाया जाता है और इस बड़े आयोजन में वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती की भव्यता भी इस आयोजन को और खास बना देती है, लेकिन इस बार प्रशासन और गंगा आरती कराने वाली संस्था आमने-सामने हैं जिसकी वजह से दीपावली पर होने वाली महाआरती पर संकट के बादल गहरा गए हैं. इसके पीछे बड़ी वजह है प्रशासन ने गंगा सेवा निधि की तरफ से दशाश्वमेध घाट पर देव दीपावली के दिन घाट से दूर गंगा में बनाए जाने वाले मंच की परमिशन कई कारणों से रद्द कर दी है. जिसका लेटर आज गंगा सेवा निधि के पदाधिकारियों को प्रशासन की तरफ से मिला है जिसके बाद गंगा आरती का आयोजकों ने यह फैसला लिया है कि देव दीपावली पर होने वाली महाआरती को सिर्फ नियमित किए जाने वाली गंगा आरती के तौर पर किया जाएगा. उसकी भव्यता उस रूप में नहीं होगी जैसी हर साल होती है.


Body:वीओ-01 इस बारे में गंगा सेवा निधि के संरक्षक श्याम लाल सिंह का कहना है कि प्रशासन ने मंच गंगा में बनाए जाने की परमिशन को अचानक से कैंसिल किया है. हर साल या मंच 8 पीपों पर बनाया जाता है जो पीडब्ल्यूडी से लिए जाते है इस बार भी यापी पे लाकर मंच बनाए जाने का काम शुरू हो गया तो प्रशासन ने मंच ना बनाए जाने की बात कहकर परमिशन रद्द करने की बात कही लेकिन जब हम लोगों ने मुलाकात कर वीआईपीज को बुलाए जाने पूरे आयोजन की रूपरेखा तैयार होने की बात कही तो उन्होंने आज की जगह 6 पीपों पर लगाकर मंच बनाने की परमिशन दे दी लेकिन अचानक से 6 की जगह 3 पीपों पर मंच बनाए जाने की बात फोन पर कही जाने लगी. जिसका हम लोगों ने विरोध किया जिस पर प्रशासन ने आज मंच की परमिशन को ही रद्द कर दिया है. संरक्षक श्याम लाल सिंह का कहना है कि ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में आने वाले वीआईपी और सेलिब्रिटीज को कहां बैठाया जाएगा और उनकी सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा यह प्रशासन नहीं बता रहा है. इस वजह से इस बार इस भव्यता के साथ गंगा आरती का आयोजन नहीं होगा. महाआरती का जो रूप 123 अर्चक और 42 कन्याओं जो रिद्धि सिद्धि के रूप में मौजूद रहती हैं उस रूप में गंगा आरती ना करते हुए रोज की तरह सात ब्राह्मणों द्वारा ही गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा और किसी भी सेलिब्रिटी या वीआईपी स्कोर इस कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा. सिर्फ अमर जवान ज्योति का प्रतिरूप बनाकर वहां सही जवानों को नमन करने का कार्यक्रम जो होता है वह होगा.


Conclusion:वीओ-02 वहीं महाआरती को रद्द कर नॉर्मल तरीके से आरती किए जाने की घोषणा करने के बाद आयोजक इस पूरे कार्य का ठीकरा प्रशासन पर फोड़ रहे हैं जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारी भी फिलहाल कैमरे पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. ईटीवी भारत ने जब इस बारे में एडीएम सिटी विनय कुमार सिंह से फोन पर बातचीत की तो उन्होंने सारी बातें खुल कर बताएं उनका कहना था कि परमिशन आरती कि नहीं मंच बनाए जाने के लिए जाती है और मंच बनाए जाने की परमिशन इन्हें दी गई थी, छोटा मंच कहा गया था, लेकिन यह मानने को तैयार नहीं थे और मंच बनने के वजह से घाट की दृश्यता गंगा पर नाव के जरिए विचरण करने वालों को नहीं होती है. जिसकी शिकायत भी लगातार लोग करते हैं सुरक्षा की दृष्टि से भी गंगा में मंच उचित नहीं है कुल मिलाकर बहुत सी दिक्कतें हैं. जिससे इन को अवगत कराते हुए इस बार परमिशन दी गई लेकिन अगली बार ऐसा ना करने के लिए इनसे एफिडेविट मांगा गया था, जो उन्होंने देने से इंकार कर दिया जिस वजह से इनकी परमिशन कैंसिल की गई है फिलहाल इस पूरे प्रकरण में प्रशासन और आमने-सामने हैं और काशी का भव्य आयोजन इस बार महाआरती के बिना ही आगे बढ़ेगा.


बाइट- श्यामलाल सिंह, संरक्षक, गंगा सेवा निधि
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