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फ्रेंच नागरिक माइकल को मिला काशी में 'मोक्ष', हरिश्चंद्र घाट पर दी गई मुखाग्नि - माइकल पंचतत्व में विलीन

वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट (Harishchandra Ghat of Varanasi) पर फ्रेंच नागरिक माइकल (French Citizen Michael) का समाजसेवी अमन ने हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार कर दिया. फ्रेंच नागरिक की काशी में मोक्ष पाने की चाहत थी. समाजसेवी ने कहा कि माइकल की अस्थियां उनके घर भेजी जाएंगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 12, 2023, 1:11 PM IST

वाराणसीः महादेव की नगरी काशी में फ्रेंच नागरिक माइकल पंचतत्व में विलीन हो गए. हरिश्चंद्र घाट पर उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया गया. वाराणसी के समाज सेवी अमन ने उनका अंतिम संस्कार किया. माइकल कुछ दिन पहले काशी आए थे. उनकी काशी में मोक्ष पाने की चाहत थी. माइकल की तीन दिन पहले मृत्यु हुई थी. उनका शव काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर के मोर्चरी में रखा हुआ था. शनिवार को उनका शव पोस्टमार्टम के बाद हरिश्चंद्र घाट लाया गया, जहां पर उन्हें मुखाग्नि दी गई. यह काशी का ऐसा पहला मामला रहा, जब किसी फ्रेंच नागरिक का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज और परंपरा के अनुसार किया गया.

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वाराणसी के समाजसेवी अमन ने फ्रेंच नागरिक का अंतिम संस्कार किया.

काशी में मोक्ष मिलना आसान नहीं
काशी में मोक्ष पाने की चाहत हर इंसान की होती है. आध्यात्मिक महत्व को मानने वाले लोग अपने जीवन का अंतिम समय काशी में ही गुजारना चाहते हैं. ऐसा ही एक सौभाग्य फ्रेंच नागरिक माइकल को मिला. अपनी बीमारी के बात जानने के बाद वह काशी में अपने जीवन का अंत समय गुजारने के लिए पहुंचे थे. मगर वो कहते हैं न कि काशी में मोक्ष मिलना आसान नहीं है. उन्हें यहां रहने के लिए बहुत जद्दोजहद करनी पड़ी थी. काफी मशक्कत के बाद उन्हें रहने के लिए एक कमरा मिला था. जीवन के अंतिम कुछ दिन सही से गुजरे. फिर तीन दिन पहले उनकी मृत्यु हो गई. शनिवार रात उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया.

रहने के लिए नहीं मिल रही थी जगह
फ्रेंच नागरिक माइकल का अंतिम संस्कार करने वाले अमन ने बताया कि, यह ऐसा पहला मामला था, जब उन्हें माइकल को अस्पताल में देखकर अजीब सी चीज महसूस हुई. उनसे जाकर बात किया तो पता चला कि वह 10 दिन से अस्पताल में ही पड़े हैं. उनकी हालत अस्पताल में भी खराब थी. माइकल ने उन्हें बताया था कि उन्हें विदेशी होने के नाते मुमुक्षु भवन में जगह नहीं मिल सकी थी. इसके बाद वह एक गेस्ट हाउस में 10 दिन रहे थे. वहां वह बेहोश होकर गिरे तो अस्पताल लाया गया. उनको प्रशासन की मदद से "अपना घर आश्रम" में जगह दिलाई गई थी. यहां उनके जीवन के अंतिम 8 दिन आराम से गुजरे थे. 8वें दिन ही उन्होंने यहां दम तोड़ दिया था.

माइकल के घर भेजी जाएंगी अस्थियां
समाजसेवी अमन ने बताया कि, उनका शव एंबुलेंस से हरिश्चंद्र घाट लेकर जाया गया था. इसके बात उन्हें अंतिम यात्रा में कंधा दिया. उनका अंतिम संस्कार करते हुए मुखाग्नि दी. शव का शुद्धिकरण कर सफेद मारकीन, चमकीले कपड़े ओढाए गए. इसके बाद लकड़ी, चंदन और घी आदि के साथ विधि-विधान से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा किया गया है. उन्होंने बताया कि माइकल की अस्थियां उनके घर भेजी जाएंगी. जहां उनका परिवार रहता है. इसके साथ ही अगले साल पितृ विसर्जन की प्रक्रिया भी की जाएगी. बता दें कि अमन ने हिंदू रीति-रिवाज से माइकल का अंतिम संस्कार करवाते हुए मुंडन संस्कार को भी पूरा किया है.

गेस्ट हाउस में बेहोश होकर गिरे थे माइकल
फ्रेंच नागरिक माइकल ने काशी आने का फैसला अपनी बीमारी का पता चलने के बाद लिया था. वे काशी में मोक्ष पाना चाहते थे. माइकल ने बताया था कि, उन्होंने पढ़कर जाना, 'इफ यू डाई इन काशी, यू गेट हैवेन'. इसके बाद वह अपना परिवार छोड़कर वाराणसी आ गए थे. माइकल ने शादी भी नहीं की थी. माइकल जब वाराणसी आए तो उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिली. माइकल विदेशी नागरिक थे तो मुमुक्षु भवन में उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिली. इसके बाद परेशान होकेर माइकल ने गेस्ट हाउस में रहना शुरू किया. वहां करीब 10 दिन रहे और बीमारी अधिक पढ़ने के कारण कमरे में बेहोश होकर गिर गए थे.

10 दिन अस्पताल में भर्ती रहे माइक
माइकल के बेहोश होने के बाद उन्हें कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद भी उन्हें ठीक इलाज नहीं मिल सका था. जानकारी के मुताबिक, माइकल अस्पताल में भी 10 दिन तक अस्पताल के एक बेड पर रहे. इस मामले की जानकारी एक समाज सेवी अमन को मिली, जिसके बाद उन्होंने इस मामले से जिला प्रशासन को अवगत कराया. जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. फ्रेंच नागरिक को "अपना घर आश्रम" में उन्हें रहने के लिए जगह दी गई. उनका इलाज तेजी से कराया जा रहा था, लेकिन तीन दिन पहले ही उनकी मृत्यु हो गई. उनका शव बीएचयू के ट्रामा सेंटर के मोर्चरी में रखा गया.

हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार
शनिवार को उनके शव का पोस्टमार्टम होने के बाद शव हरिश्चंद्र घाट लेकर जाया गया. जहां पर उन्हें देर रात मुखाग्नि दी गई. इस दौरान जिला प्रशासन के लोग मौजूद रहे. जिला प्रशासन ने माइकल का अंतिम संस्कार पूरे हिंदू रीति-रिवाज से करवाया. इस दौरान माइकल की साथी एमी भी मौजूद रही. इस पूरे मामले में कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने पूरा खर्च उठाने की बात कही थी. वहीं, करीब 20 दिन बाद माइकल को काशी में मोक्ष मिल गया. बता दें कि माइकल काशी में मोक्ष की चाहत लेकर 7300 किलोमीटर दूर से आए थे. पेरिस से आए माइकल ने जीवन के अंतिम दिन काशी में बिताकर मोझ को प्राप्त किया.

यह भी पढ़ें-मंत्री सुरेश कुमार खन्ना बोले, विपक्ष को भी याद आने लगे भगवान राम

यह भी पढ़ें- दीवाली पर पटाखे जलाते समय इन बातों का रखें ध्यान, ये सतर्कता बरतें

वाराणसीः महादेव की नगरी काशी में फ्रेंच नागरिक माइकल पंचतत्व में विलीन हो गए. हरिश्चंद्र घाट पर उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया गया. वाराणसी के समाज सेवी अमन ने उनका अंतिम संस्कार किया. माइकल कुछ दिन पहले काशी आए थे. उनकी काशी में मोक्ष पाने की चाहत थी. माइकल की तीन दिन पहले मृत्यु हुई थी. उनका शव काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर के मोर्चरी में रखा हुआ था. शनिवार को उनका शव पोस्टमार्टम के बाद हरिश्चंद्र घाट लाया गया, जहां पर उन्हें मुखाग्नि दी गई. यह काशी का ऐसा पहला मामला रहा, जब किसी फ्रेंच नागरिक का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज और परंपरा के अनुसार किया गया.

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वाराणसी के समाजसेवी अमन ने फ्रेंच नागरिक का अंतिम संस्कार किया.

काशी में मोक्ष मिलना आसान नहीं
काशी में मोक्ष पाने की चाहत हर इंसान की होती है. आध्यात्मिक महत्व को मानने वाले लोग अपने जीवन का अंतिम समय काशी में ही गुजारना चाहते हैं. ऐसा ही एक सौभाग्य फ्रेंच नागरिक माइकल को मिला. अपनी बीमारी के बात जानने के बाद वह काशी में अपने जीवन का अंत समय गुजारने के लिए पहुंचे थे. मगर वो कहते हैं न कि काशी में मोक्ष मिलना आसान नहीं है. उन्हें यहां रहने के लिए बहुत जद्दोजहद करनी पड़ी थी. काफी मशक्कत के बाद उन्हें रहने के लिए एक कमरा मिला था. जीवन के अंतिम कुछ दिन सही से गुजरे. फिर तीन दिन पहले उनकी मृत्यु हो गई. शनिवार रात उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया.

रहने के लिए नहीं मिल रही थी जगह
फ्रेंच नागरिक माइकल का अंतिम संस्कार करने वाले अमन ने बताया कि, यह ऐसा पहला मामला था, जब उन्हें माइकल को अस्पताल में देखकर अजीब सी चीज महसूस हुई. उनसे जाकर बात किया तो पता चला कि वह 10 दिन से अस्पताल में ही पड़े हैं. उनकी हालत अस्पताल में भी खराब थी. माइकल ने उन्हें बताया था कि उन्हें विदेशी होने के नाते मुमुक्षु भवन में जगह नहीं मिल सकी थी. इसके बाद वह एक गेस्ट हाउस में 10 दिन रहे थे. वहां वह बेहोश होकर गिरे तो अस्पताल लाया गया. उनको प्रशासन की मदद से "अपना घर आश्रम" में जगह दिलाई गई थी. यहां उनके जीवन के अंतिम 8 दिन आराम से गुजरे थे. 8वें दिन ही उन्होंने यहां दम तोड़ दिया था.

माइकल के घर भेजी जाएंगी अस्थियां
समाजसेवी अमन ने बताया कि, उनका शव एंबुलेंस से हरिश्चंद्र घाट लेकर जाया गया था. इसके बात उन्हें अंतिम यात्रा में कंधा दिया. उनका अंतिम संस्कार करते हुए मुखाग्नि दी. शव का शुद्धिकरण कर सफेद मारकीन, चमकीले कपड़े ओढाए गए. इसके बाद लकड़ी, चंदन और घी आदि के साथ विधि-विधान से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा किया गया है. उन्होंने बताया कि माइकल की अस्थियां उनके घर भेजी जाएंगी. जहां उनका परिवार रहता है. इसके साथ ही अगले साल पितृ विसर्जन की प्रक्रिया भी की जाएगी. बता दें कि अमन ने हिंदू रीति-रिवाज से माइकल का अंतिम संस्कार करवाते हुए मुंडन संस्कार को भी पूरा किया है.

गेस्ट हाउस में बेहोश होकर गिरे थे माइकल
फ्रेंच नागरिक माइकल ने काशी आने का फैसला अपनी बीमारी का पता चलने के बाद लिया था. वे काशी में मोक्ष पाना चाहते थे. माइकल ने बताया था कि, उन्होंने पढ़कर जाना, 'इफ यू डाई इन काशी, यू गेट हैवेन'. इसके बाद वह अपना परिवार छोड़कर वाराणसी आ गए थे. माइकल ने शादी भी नहीं की थी. माइकल जब वाराणसी आए तो उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिली. माइकल विदेशी नागरिक थे तो मुमुक्षु भवन में उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिली. इसके बाद परेशान होकेर माइकल ने गेस्ट हाउस में रहना शुरू किया. वहां करीब 10 दिन रहे और बीमारी अधिक पढ़ने के कारण कमरे में बेहोश होकर गिर गए थे.

10 दिन अस्पताल में भर्ती रहे माइक
माइकल के बेहोश होने के बाद उन्हें कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद भी उन्हें ठीक इलाज नहीं मिल सका था. जानकारी के मुताबिक, माइकल अस्पताल में भी 10 दिन तक अस्पताल के एक बेड पर रहे. इस मामले की जानकारी एक समाज सेवी अमन को मिली, जिसके बाद उन्होंने इस मामले से जिला प्रशासन को अवगत कराया. जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. फ्रेंच नागरिक को "अपना घर आश्रम" में उन्हें रहने के लिए जगह दी गई. उनका इलाज तेजी से कराया जा रहा था, लेकिन तीन दिन पहले ही उनकी मृत्यु हो गई. उनका शव बीएचयू के ट्रामा सेंटर के मोर्चरी में रखा गया.

हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार
शनिवार को उनके शव का पोस्टमार्टम होने के बाद शव हरिश्चंद्र घाट लेकर जाया गया. जहां पर उन्हें देर रात मुखाग्नि दी गई. इस दौरान जिला प्रशासन के लोग मौजूद रहे. जिला प्रशासन ने माइकल का अंतिम संस्कार पूरे हिंदू रीति-रिवाज से करवाया. इस दौरान माइकल की साथी एमी भी मौजूद रही. इस पूरे मामले में कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने पूरा खर्च उठाने की बात कही थी. वहीं, करीब 20 दिन बाद माइकल को काशी में मोक्ष मिल गया. बता दें कि माइकल काशी में मोक्ष की चाहत लेकर 7300 किलोमीटर दूर से आए थे. पेरिस से आए माइकल ने जीवन के अंतिम दिन काशी में बिताकर मोझ को प्राप्त किया.

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