वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व विधि संकाय के छात्र और हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बीएचयू के कुलपति को संविधान की प्रति भेजी है. उन्होंने हिंदी भाषी के साथ हो रही कथित भेदभाव का विरोध किया. उन्होंने ऑनलाइन मार्केटिंग वेबसाइट से भारतीय संविधान की हिंदी भाषा में अनुवादित प्रति कुलपति के सेंट्रल ऑफिस स्थित कार्यालय के पते पर भेजी.
बताते चलें कि असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर कुछ छात्रों ने बीएचयू के कुलपति पर हिंदी भाषी के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया. इसके बाद से विश्वविद्यालय में लगातार छात्रों द्वारा कुलपति के खिलाफ विरोध किया जा रहा है.
पूर्व विधि छात्र और हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि हमें सूचना मिली की जो अभ्यर्थी हिंदी भाषी हैं उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है. भाषा के आधार पर कहीं ना कहीं आप बहुत बड़ा भेदभाव कर रहे हैं.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि हमने संविधान की प्रति ऑनलाइन मार्केटिंग से ऑर्डर किया है, जो एक-दो दिन में कुलपति के सेंटर ऑफिस पते पर पहुंच जाएगा. मुझे उम्मीद है कि इसको कुलपति पढ़ेंगे और उसका पालन करेंगे.
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संविधान की प्रति भेजने का मात्र मेरा एक उद्देश्य है कि वह उसमें अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) इसी तरह से अनुच्छेद 19 पढ़ लें. (अभिव्यक्ति की आजादी) जो मौलिक अधिकार हैं. हमारी अभिव्यक्ति की आजादी है कि हम किसी भी भाषा में बात करें. अनुच्छेद 343 (जो राजभाषा हिंदी संबंधी प्रावधान है जिसके मुताबिक भारत की आधिकारिक भाषा देवनागरी हिंदी ही रहेगी).
-सौरभ तिवारी,हाईकोर्ट के अधिवक्ता,पूर्व छात्र बीएचयू