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ठंड के मौसम में क्यों आते हैं विदेशी पक्षी बनारस, जानिए क्या है वजह

काशी के घाटों की खूबसूरती इन दिनों और भी बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि हर साल नवम्बर से फरवरी महीने के बीच विदेशी परिंदे (साइबेरिन) चार महीने के लिए काशी आते हैं. इन्हें देखने के लिए और इनके साथ फोटो लेने के लिए पर्यटक नाव पर सवार होकर गंगा की गोद में इस अद्भुत मेहमान से मिलते हैं.

ठंड के मौसमठंड के मौसम में क्यों आते हैं विदेशी पक्षी बनारस
ठंड के मौसम में क्यों आते हैं विदेशी पक्षी बनारस
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Published : Jan 14, 2022, 11:49 AM IST

वाराणसी: गुलाबी ठंड के बीच बनारस के घाटों की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि हर साल नवम्बर से फरवरी महीने के बीच हजारों किलोमीटर का सफर तय कर विदेशी परिंदे (साइबेरियन) चार महीने के लिए काशी आते हैं. खास बात ये है कि चार महीनों तक काशी इन विदेशी परिंदों का हनीमून डेस्टिनेशन होता है.

साबेरिया से आते हैं पक्षी
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पक्षियों के जानकार का यह मानना है कि पक्षी 4 महीने तक यहां पर रहते हैं. इसी समय एक तरह से यह इनका हनीमून का समय रहता है. पक्षियों का झुंड वापस साइबेरिया की तरफ जाता है, तो इनकी संख्या डबल से ज्यादा होती है. कहीं न कहीं हम यह भी मान सकते हैं कि यह पक्षी हनीमून मनाने के लिए सैकड़ों हजार किलोमीटर की यात्रा तय करके बनारस और आसपास के जिलों में आते हैं.

ठंड के मौसम में क्यों आते हैं विदेशी पक्षी बनारस

गंगा पार रेत पर देते हैं अंडे
प्रो. चांदना हलदार ने बताया कि साइबेरियन पक्षी हजारों किलोमीटर से यहां पर आती हैं. गंगा की छोटी मछलियों से अपनी भूख मिटाती आती है. गंगा पार रेत पर अपने अंडे देती हैं और उसको रक्षित करती है. यही वजह है कि जितने की भी संख्या में आती है उसके डबल की संख्या में वापस जाती हैं. यह डबल की संख्या में वहां पर पहुंचते हैं.

इसे भी पढ़ें-मिर्जापुर में आकर्षण का केंद्र बने सात समंदर पार से आए मेहमान

एक रास्ते का करते हैं इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी बात है कि जिन रास्तों से ये पक्षी आते हैं उसी रास्ते से वापस भी जाते हैं. हमारा भी दायित्व है इन को संरक्षित रखें. साइबेरिया में ज्यादा ठंड बढ़ने के कारण या पक्षी भारत की तरफ आती हैं और बनारस तक आ जाती है. यहां पर ने पर्याप्त भोजन और इनके अनुसार मौसम मिलता है.

वाराणसी: गुलाबी ठंड के बीच बनारस के घाटों की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि हर साल नवम्बर से फरवरी महीने के बीच हजारों किलोमीटर का सफर तय कर विदेशी परिंदे (साइबेरियन) चार महीने के लिए काशी आते हैं. खास बात ये है कि चार महीनों तक काशी इन विदेशी परिंदों का हनीमून डेस्टिनेशन होता है.

साबेरिया से आते हैं पक्षी
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पक्षियों के जानकार का यह मानना है कि पक्षी 4 महीने तक यहां पर रहते हैं. इसी समय एक तरह से यह इनका हनीमून का समय रहता है. पक्षियों का झुंड वापस साइबेरिया की तरफ जाता है, तो इनकी संख्या डबल से ज्यादा होती है. कहीं न कहीं हम यह भी मान सकते हैं कि यह पक्षी हनीमून मनाने के लिए सैकड़ों हजार किलोमीटर की यात्रा तय करके बनारस और आसपास के जिलों में आते हैं.

ठंड के मौसम में क्यों आते हैं विदेशी पक्षी बनारस

गंगा पार रेत पर देते हैं अंडे
प्रो. चांदना हलदार ने बताया कि साइबेरियन पक्षी हजारों किलोमीटर से यहां पर आती हैं. गंगा की छोटी मछलियों से अपनी भूख मिटाती आती है. गंगा पार रेत पर अपने अंडे देती हैं और उसको रक्षित करती है. यही वजह है कि जितने की भी संख्या में आती है उसके डबल की संख्या में वापस जाती हैं. यह डबल की संख्या में वहां पर पहुंचते हैं.

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एक रास्ते का करते हैं इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी बात है कि जिन रास्तों से ये पक्षी आते हैं उसी रास्ते से वापस भी जाते हैं. हमारा भी दायित्व है इन को संरक्षित रखें. साइबेरिया में ज्यादा ठंड बढ़ने के कारण या पक्षी भारत की तरफ आती हैं और बनारस तक आ जाती है. यहां पर ने पर्याप्त भोजन और इनके अनुसार मौसम मिलता है.

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