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वाराणसी: मंदिरों के खुले कपाट, नहीं मिल रहे फूलों के खरीददार

अनलॉक-1 में गाइडलाइन का पालन करते हुए मंदिरों के कपाट खोल दिए गए हैं. ऐसे में फूल-माला बेचने वाले मालियों में उम्मीद जगी थी कि अब उनके दिन भी बहुरेंगे, लेकिन फूल-मालाओं के खरीददार अब भी न के बराबर ही हैं.

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नहीं मिल रहे फूलों के खरीददार
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Published : Jun 9, 2020, 6:57 PM IST

वाराणसी: अनलॉक-1 में सरकार के निर्देशों के बाद गाइडलाइन का पालन करते हुए मंदिरों के कपाट खोल दिए गए हैं, जिससे भक्त भगवान के दर्शन कर सकें. वाराणसी में भी मंदिरों को खोल दिया गया है. इसके साथ ही कई बंद पड़े व्यवसाय भी शुरू हो गए हैं.

देखें रिपोर्ट.
भगवान को चढ़ाए जाने वाले फूल अब फूलमाली फिर से बेचने लगे हैं. मंदिरों के खुलने पर उनको उम्मीद थी कि उनके दिन बहुरेंगे. फूल विक्रेताओं का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम वाराणसी के दशाश्वमेध क्षेत्र में पहुंची.

ये भी पढ़ें- वाराणसी: सुरक्षा मानकों के साथ खोले जाएंगे मॉल्स

फूल बेचने वाली समिता ने बताया कि मंदिर खुलने जाने से कुछ कमाई होने की उम्मीद थी. पहले हम माला बेचकर के 100 से 200 रुपये बचा लेते थे, लेकिन अभी हमें बेहद कम दाम पर माला बेचनी पड़ रही हैं.

फूल विक्रेता विजय साहनी ने बताया कि हम कर्ज में डूबे हुए हैं. समझ नहीं आ रहा हम कैसे गुजारा करें. पूंजी भी घर से लगानी पड़ रही है. हम पूरी तरीके से टूट गए हैं. हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि हमारे लिए कुछ करे. भले ही मंदिर खुल गया है, लेकिन हमें उससे उम्मीद नहीं है. उन्होंने बताया कि माला-फूल की बिक्री ज्यादातर बाहर से आने वाले लोगों के वजह से होती है. अब सैलानी आ ही नहीं रहे हैं. इसलिए हमारी बिक्री भी अब भगवान भरोसे है.

वाराणसी: अनलॉक-1 में सरकार के निर्देशों के बाद गाइडलाइन का पालन करते हुए मंदिरों के कपाट खोल दिए गए हैं, जिससे भक्त भगवान के दर्शन कर सकें. वाराणसी में भी मंदिरों को खोल दिया गया है. इसके साथ ही कई बंद पड़े व्यवसाय भी शुरू हो गए हैं.

देखें रिपोर्ट.
भगवान को चढ़ाए जाने वाले फूल अब फूलमाली फिर से बेचने लगे हैं. मंदिरों के खुलने पर उनको उम्मीद थी कि उनके दिन बहुरेंगे. फूल विक्रेताओं का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम वाराणसी के दशाश्वमेध क्षेत्र में पहुंची.

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फूल बेचने वाली समिता ने बताया कि मंदिर खुलने जाने से कुछ कमाई होने की उम्मीद थी. पहले हम माला बेचकर के 100 से 200 रुपये बचा लेते थे, लेकिन अभी हमें बेहद कम दाम पर माला बेचनी पड़ रही हैं.

फूल विक्रेता विजय साहनी ने बताया कि हम कर्ज में डूबे हुए हैं. समझ नहीं आ रहा हम कैसे गुजारा करें. पूंजी भी घर से लगानी पड़ रही है. हम पूरी तरीके से टूट गए हैं. हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि हमारे लिए कुछ करे. भले ही मंदिर खुल गया है, लेकिन हमें उससे उम्मीद नहीं है. उन्होंने बताया कि माला-फूल की बिक्री ज्यादातर बाहर से आने वाले लोगों के वजह से होती है. अब सैलानी आ ही नहीं रहे हैं. इसलिए हमारी बिक्री भी अब भगवान भरोसे है.

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