वाराणसी: फिल्म एक्टर ऋषि कपूर का गुरुवार को 67 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया. लंबे वक्त से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे ऋषि कपूर के निधन से आज हर कोई शोक में डूब गया है. हर कोई अपने साथ उनकी स्मृतियों को याद कर उन्हें संजोने में लगा है, जो कभी किसी ने ऋषि कपूर के साथ जी थी.
ऐसी ही कुछ स्मृतियां धर्म नगरी काशी से भी जुड़ी हैं. जहां 1996 में शरद पूर्णिमा के दिन एक धार्मिक अनुष्ठान के लिए ऋषि कपूर अपने बड़े भाई रणधीर कपूर के साथ काशी पहुंचे थे. इस दौरान यहां पर रहने वाले वाराणसी रोलर स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश डोगरा ने ऋषि कपूर और रणधीर कपूर को शहर में धार्मिक अनुष्ठान कराने के साथ ही शहर भी घुमाया था. राजेश ने ऋषि कपूर संग उस वक्त की स्मृतियां कुछ तस्वीरों के साथ ईटीवी भारत संग साझा की थी.
बड़ी चाभी देखकर हंस पड़े थे ऋषि
राजेश ने बताया कि उनके गुरु अशोक द्विवेदी के यहां ऋषि कपूर और रणधीर कपूर पहुंचे थे. उन्होंने उनके घर पर पहुंचने के साथ ही घर के मुख्य द्वार पर लगे बड़े ताले जिसे भून्नासी कहा जाता है, उसकी चाबी को देखकर आश्चर्य जाहिर किया था. ऋषि कपूर ने इस बड़ी चाभी को देखकर पूछा था कि आखिर यह इतना बड़ा ताला और चाबी किस काम की, जब उन्हें बताया गया कि सुरक्षा के लिहाज से है इसे भुन्नासी कहते हैं तो उन्होंने हंसते हुए कहा था कि यह भी खूब है.
गाड़ी रोककर सुना बिरहा
काशी में शरद पूर्णिमा के दिन ऋषि कपूर को विशेष पूजा करनी थी. पूजा के अगले दिन ऋषि कपूर ने कहा था कि सिर्फ एक गाड़ी से वह और उनके भाई घूमेंगे ताकि कोई पहचान ना पाए. उन्होंने ऐसा किया भी था वह साधारण व्यक्ति बनकर एंबेस्डर से काशी विश्वनाथ मंदिर गए, जहां पंडित अशोक द्विवेदी ने उनको पूजन, पाठ, रुद्राभिषेक करवाया. इसके अलावा दूसरे दिन शाम को होटल ताज से वह कार के जरिए रविन्द्रपुरी इलाके से गुजर रहे थे तो सड़क पर ही बिरहा संगीत का कार्यक्रम चल रहा था. कार को धीमे करवा कर ऋषि जी ने पूछा कि यह क्या हो रहा है सड़क पर ऐसी भीड़ क्यों लगी है, तब राजेश ने बताया कि लोक संगीत बिरहा है तो उन्होंने कार रोक कर कुछ देर उसे सुना भी था. बिरहा सुनने के बाद उन्होंने इसे अपनी फिल्मों में शामिल करने की इच्छा भी जाहिर की थी.
लाशों को जलता देख खो गए थे ऋषि
अगले दिन अस्सी घाट से नाव पर सवार होकर ऋषि कपूर अपने बड़े भाई के साथ मणिकर्णिका होते हुए राजघाट तक पहुंचे. मणिकर्णिका घाट पर शवों को जलता हुआ देखकर वह मानो कहीं खो गए थे. ऋषि कपूर ने बनारस के स्वरूप को देखकर सत्य का ज्ञान होने की बात कही थी.
नहीं ली सुरक्षा, बोले शांति सिर्फ काशी में है
काशी की पुरानी इमारतों को गंगा की गोद से निहारते हुए ऋषि कपूर ने इसे अद्भुत बताया. सारनाथ में धमेख स्तूप को बहुत देर तक देखा और दर्शन पूजन भी किया. यहां तक कि जब पुलिस वालों को पता चला कि ऋषि कपूर और रणबीर कपूर बनारस में घूम रहे हैं तो उनको सुरक्षा मुहैया कराई गई, लेकिन उन्होंने लेने से इंकार कर दिया. एयरपोर्ट से वापस मुंबई जाते वक्त बस इतना ही कहा दुनिया में यदि सच में कहीं शांति है तो सिर्फ काशी में है.