वाराणसी: भगवान शिव की नगरी कहे जाने वाली काशी के घाट देर शाम हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा. महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर पंचकोशी यात्रा का आयोजन किया जाता है.
इस यात्रा में श्रद्धालु पैदल चलकर भगवान गोवर्धन नाथ की परिक्रमा करते हैं. यात्रा मणिकर्णिका कुंड से प्रारंभ होकर कन्दवा होते हुए पुनः मणिकर्णिका कुंड पर समाप्त होती है.
शिवरात्रि के एक दिन पहले लिया जाता है संकल्प
शिवरात्रि के एक दिन पहले महा शमशान पर संकल्प लेना शुरू किया जाता है. इस यात्रा में काशी के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग पैदल यात्रा करने के लिए पहुंचते हैं. काशी मणिकर्णिका कुंड संकल्प लेने के बाद पहला पड़ाव विनायक का होता है.
लगभग 42 किलोमीटर की यात्रा एक दिन में पूरा करके लोग अपने घरों के लिए रवाना होते हैं. काशी के कण-कण में शिव हैं और अलग-अलग इलाकों में पढ़ने वाले शिव मंदिर, जिसमें कर्मदेश्वर महादेव, श्री काशी विश्वनाथ महादेव, महामृत्युंजय, श्री केदारेश्वर महादेव शिव मंदिर पर पंचकोशी यात्रा करने वाले दस्त आरती मत्था टेकते हैं.
पूर्व संध्या पर की जाती है पंचकोशी यात्रा
बीएचयू छात्र शुभम तिवारी ने बताया के महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर यह काशी की पंचकोशी यात्रा कही जाती है. हर एक तीर्थ स्थल की एक परिक्रमा होती है. भगवान गोवर्धन नाथ की परिक्रमा की जाती है. काशी के सभी मंदिरी को समवेत रूप ले करके यह परिक्रमा की जाती है.
मान्यता है कि पांचों पांडवों ने भी इस यात्रा को की थी. इस यात्रा में पांच पड़ाव आते हैं. यात्रा मणिकर्णिका कुंड से प्रारंभ होकर कन्दवा होते हुए पुनः मणिकर्णिका कुंड पर समाप्त होती है.
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