वाराणसी: धर्म नगरी काशी की बदलती तस्वीर को निहारने के लिए देश-विदेश से लोग यहां पहुंच रहे हैं. काशी की सभ्यता संस्कृति और उत्पादों से लोगों को रूबरू कराया जा रहा है. काशी एक बार फिर अपने मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार है. इसके लिए काशी में 9 से 12 दिसंबर तक एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है. जिसमें भारत की प्रसिद्ध हस्तशिल्प कलाओं की प्रदर्शनी(famous handicrafts of india) लगेगी. साथ ही टूरिस्ट कॉन्क्लेव का भी आयोजन(Tourist Conclave in Varanasi) किया जाएगा.
केंद्र सरकार के सहयोग से काशी शंघाई देशों की सांस्कृतिक राजधानी बनाई गई है. इस कारण से काशी देश-विदेश के पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए भी महत्वपूर्ण हो गई है. इसके साथ ही केंद्र व राज्य सरकार कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कराकर काशी को विश्व पटल पर उभारने के की कोशिश में लगातार रहती है. इसी कोशिश के क्रम में कॉन्क्लेव का आयोजन कराया जा रहा है.
कॉन्क्लेव में रूस के 8 ब्लॉगर और ट्रैवल राइटर: चार दिवसीय ट्रैवेल राइटर, ब्लॉगर व हस्तशिल्प कॉन्क्लेव का आयोजन किया जाएगा. इसमें संघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के 200 से ज्यादा प्रतिनिधि, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर और हस्तशिल्प कलाकार शामिल होंगे. काशी के एससीओ की सांस्कृतिक व पर्यटक राजधानी घोषित होने के बाद इस बार आयोजित कार्यक्रम में रूस, कजाकिस्तान, उजेबकिस्तान व अन्य दल शामिल हो रहा है. जिसमें कॉन्क्लेव में रूस के 8 ब्लॉगर और ट्रेवल राइटर शामिल होंगे.
काशी के पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा: उपनिदेशक पर्यटन प्रीति श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यक्रम में आ रहे अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल राइटर्स, ब्लॉगर्स और हस्तशिल्प कलाकारों को काशी के पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा. सोनभद्र, मिर्जापुर के पर्यटन स्थल भी उनके भ्रमण स्थल की सूची में शामिल होंगे. वहां की भौगोलिक स्थिति और संस्कृति से उको रूबरू कराया जाएगा.
कार्यक्रम 9 से 12 दिसंबर तक चलेगा: उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम 9 से 12 दिसंबर तक चलेगा. इस कॉन्क्लेव में एससीओ सदस्य देशों से ट्रेवल राइटर और हस्तशिल्प कलाकार शामिल होंगे. इस दौरान ट्रेवल राइटर और ब्लॉगर अपने अनुभवों को साझा करेंगे. देशी और विदेशी हस्तशिल्प कलाकार अपनी परंपरागत शिल्प निर्माण तकनीकि का आदान-प्रदान करेंगे.
यह भी पढ़ें:स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में वाराणसी को देश में मिला तीसरा स्थान, जानिए यह कैसे संभव हुआ