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वाराणसी में बिजलीकर्मियों की हड़ताल का पांचवा दिन आज, एमडी ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन - Energy Corporation electricians strike in Varanasi

वाराणसी में ऊर्जा निगम में बिजलीकर्मियों की हड़ताल (Energy Corporation electricians strike in Varanasi) का शनिवार को पांचवा दिन है. एमडी ऑफिस के बाहर ढोल नगाड़े बजाकर बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को पूरा करने की बात कही.

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Published : Dec 3, 2022, 8:54 PM IST

वाराणसी: ऊर्जा निगम में बिजली कर्मचारी व अभियंताओं ने निगम के प्रबंध निदेशक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारियों द्वारा प्रबंधन के ऊपर उनकी मांग और समस्याओं को अनसुना करने का आरोप लगया है. पांच दिनों से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार किया जा रहा है. इसी क्रम में शनिवार को कर्मचारियों ने ढोल नगाड़ा बजाकर विरोध प्रदर्शन किया.

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (Electricity Employees Joint Struggle Committee) ने 27 अक्टूबर को लखनऊ में एक बैठक की थी, जहां उन्होंने निगम के उच्च अधिकारियों पर उनकी मांगों व समस्याओं को अनसुना करने का आरोप लगाया था. इस दौरान उन्होंने इसके लिए वृहद आंदोलन का निर्णय लिया, जिसकी शुरुआत उन्होंने वाराणसी में पत्रकारों से बातचीत करके की. अब कर्मचारी पांच दिनों से कार्य बहिष्कार कर रहे हैं.

बिजलीकर्मियों ने ढोल नगाड़े बजाकर विरोध प्रदर्शन किया
प्रदेशभर में 78 हजार तो वाराणसी के 38 सौ बिजली कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर है. पूर्वांचल विद्युत निगम (Purvanchal Vidyut Nigam) के भवन पर आंदोलन जारी है. ऐसे में एमरजेंसी सेवा छोड़कर कही भी फीडर खराब हो रहा है या फेज उड़ रहा है तो सुधार नहीं हो पा रहा है. इससे आम आदमी के साथ-साथ उद्योग जगत को भी परेशानी हो रही है. संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि बिजली कर्मचारी व अभियंता लगातार अपनी मांगों को लेकर के प्रबंध निदेशकों से मिलते रहे हैं, लेकिन किसी ने भी उनकी बातों को नहीं सुना है. जिसका परिणाम है कि, वह पूरे प्रदेश में इस तरीके से आंदोलन करने को बाध्य हो रहे हैं.

पढ़ें- वाराणसी एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग ने पकड़ा 28 लाख का गोल्ड


बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं की मुख्य मांगों में ऊर्जा निगमों के सुचारू संचालन हेतु चेयरमैन, प्रबंधन निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाए. सभी बिजली कर्मियों को पहले की तरह 09 वर्ष, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद 03 पदोन्नत पदों के समयबद्ध वेतनमान दिए जाए.

सभी बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए. ट्रांसफार्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए. 765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए. पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए.आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए. ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा हेतु पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट (Power Sector Employees Protection Act) लागू किया जाए. सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण कर यूपीएसईबी लि. का गठन किया जाए. केंद्र के सार्वजनिक उपक्रमों की तरह प्रदेश के ऊर्जा निगमों में भत्तों का पुनरीक्षण किया जाए, रियायती बिजली की सुविधा पूर्ववत जारी रखी जाए. बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए, अन्य प्रान्तों की तरह समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए. भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किये जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए.

पढ़ें- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वाराणसी दौरा, तमिल प्रभाव के मंदिरों का भ्रमण कर विद्यार्थियों संग करेंगी संवाद

वाराणसी: ऊर्जा निगम में बिजली कर्मचारी व अभियंताओं ने निगम के प्रबंध निदेशक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारियों द्वारा प्रबंधन के ऊपर उनकी मांग और समस्याओं को अनसुना करने का आरोप लगया है. पांच दिनों से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार किया जा रहा है. इसी क्रम में शनिवार को कर्मचारियों ने ढोल नगाड़ा बजाकर विरोध प्रदर्शन किया.

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (Electricity Employees Joint Struggle Committee) ने 27 अक्टूबर को लखनऊ में एक बैठक की थी, जहां उन्होंने निगम के उच्च अधिकारियों पर उनकी मांगों व समस्याओं को अनसुना करने का आरोप लगाया था. इस दौरान उन्होंने इसके लिए वृहद आंदोलन का निर्णय लिया, जिसकी शुरुआत उन्होंने वाराणसी में पत्रकारों से बातचीत करके की. अब कर्मचारी पांच दिनों से कार्य बहिष्कार कर रहे हैं.

बिजलीकर्मियों ने ढोल नगाड़े बजाकर विरोध प्रदर्शन किया
प्रदेशभर में 78 हजार तो वाराणसी के 38 सौ बिजली कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर है. पूर्वांचल विद्युत निगम (Purvanchal Vidyut Nigam) के भवन पर आंदोलन जारी है. ऐसे में एमरजेंसी सेवा छोड़कर कही भी फीडर खराब हो रहा है या फेज उड़ रहा है तो सुधार नहीं हो पा रहा है. इससे आम आदमी के साथ-साथ उद्योग जगत को भी परेशानी हो रही है. संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि बिजली कर्मचारी व अभियंता लगातार अपनी मांगों को लेकर के प्रबंध निदेशकों से मिलते रहे हैं, लेकिन किसी ने भी उनकी बातों को नहीं सुना है. जिसका परिणाम है कि, वह पूरे प्रदेश में इस तरीके से आंदोलन करने को बाध्य हो रहे हैं.

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बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं की मुख्य मांगों में ऊर्जा निगमों के सुचारू संचालन हेतु चेयरमैन, प्रबंधन निदेशकों व निदेशकों के पदों पर चयन निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाए. सभी बिजली कर्मियों को पहले की तरह 09 वर्ष, कुल 14 वर्ष एवं कुल 19 वर्ष की सेवा के बाद 03 पदोन्नत पदों के समयबद्ध वेतनमान दिए जाए.

सभी बिजली कर्मियों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान की जाए. ट्रांसफार्मर वर्कशॉप के निजीकरण के आदेश वापस लिए जाए. 765/400/220 केवी विद्युत उपकेन्द्रों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से चलाने का निर्णय रद्द किया जाए. पारेषण में जारी निजीकरण प्रक्रिया निरस्त की जाए.आगरा फ्रेंचाईजी व ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द किया जाए. ऊर्जा कर्मियों की सुरक्षा हेतु पावर सेक्टर इम्प्लॉइज प्रोटेक्शन एक्ट (Power Sector Employees Protection Act) लागू किया जाए. सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण कर यूपीएसईबी लि. का गठन किया जाए. केंद्र के सार्वजनिक उपक्रमों की तरह प्रदेश के ऊर्जा निगमों में भत्तों का पुनरीक्षण किया जाए, रियायती बिजली की सुविधा पूर्ववत जारी रखी जाए. बिजली कर्मियों को कई वर्षों से लम्बित बोनस का भुगतान किया जाए, अन्य प्रान्तों की तरह समस्त संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए. भ्रष्टाचार एवं फिजूलखर्ची रोकने हेतु लगभग 25 हजार करोड़ के मीटर खरीद के आदेश रद्द किये जाए व कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर की जाए.

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