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बनारस के इस गांव में मिला 9वीं सदी का शहर... - बभनियाव गांव में की जा रही है खुदाई

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले से 17 किलोमीटर की दूरी पर बसे बभनियाव गांव में एक के बाद एक पुरातने दस्तावेज सामने आ रहे हैं. खुदाई में प्राप्त हुई मूर्तियां, बर्तन लगभग 3500 साल पुराने होने की पुष्टि करते हैं. खुदाई के दौरान भट्टी के साथ दीवारें भी मिली हैं, जो लगभग 8 वीं से 9 वीं सदी की बताई जा रही हैं.

9वीं शताब्दी का शहर
9वीं शताब्दी का शहर
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Published : Mar 5, 2020, 3:13 PM IST

वाराणसी: शहर बनारस जिसके 5000 साल से भी पुराने होने की बात कही जाती है. पुराणों से लेकर अन्य दस्तावेजों में भी इस शहर को वर्तमान में रूप से भी पुराना जीवंत शहर माना जाता है. यही वजह है कि यहां कई हजार साल पुराने शहर होने के प्रमाण भी जमीन की गहराइयों में दफन हैं. इनको अब बाहर निकालने का काम शुरू हो चुका है.

जानकारी देते संवाददाता.

इसकी शुरुआत वैसे तो सारनाथ से हुई, लेकिन अब शहर से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर बसे बभनियाव गांव में एक के बाद एक पुरातन स्थल सामने आ रहे हैं. जमीन के अंदर से पुरातन जीवन के साक्ष्य मिलने के बाद बहुत सी चीजें स्पष्ट होने लगी.

3500 साल पुरानी मिली मूर्तियां
बभनियाव गांव में चल रही खुदाई के अवशेषों की प्राचीनता को इतिहास व पुरातत्वविद अब सारनाथ स्थित बौद्ध स्थल से भी पुराना मानने लगे हैं. यहां से प्राप्त हुई मूर्तियां, बर्तन लगभग 3500 साल पुराने काल में रह रहे लोगों के प्रमाण मिलने के बाद चीजें स्पष्ट हो रही हैं. बभनियाव गांव में हाल ही में जब खुदाई शुरू हुई तो शिल्पग्राम होने की पूरी संभावना जताई जा रही थी. इसको आगे बढ़ाते हुए खुदाई का काम शुरू किया गया.

केंद्र सरकार से ली गई खुदाई की परमिशन

बीएचयू पुरातन इतिहास विभाग की टीम ने लगातार मिल रही चीजों को दृष्टिगत रखते हुए केंद्र सरकार को लेटर लिखकर खुदाई की परमिशन मांगी. पुरातत्व विभाग और पुरातन इतिहास विभाग की टीम ने यहां पर परमिशन मिलने के बाद खुदाई का काम शुरू भी कर दिया. खुदाई का काम शुरू होने के बाद एक के बाद एक दो स्थलों से कुछ ऐसी चीजें मिली है, जो बहुत कुछ साफ कर रहे हैं. जमीन के अंदर एक उपासना स्थल और शहर के होने के प्रमाण सामने आए हैं. उपासना स्थल में एक मुखी गुप्तकालीन शिवलिंग जिसमें शिव की जटा स्पष्ट दिख रही हैं. खुदाई के दौरान भट्टी के साथ दीवारें भी मिली है, जो लगभग 8 वीं से 9 वीं सदी की बताई जा रही हैं. लगभग 1500 साल पुरानी, इसके अतिरिक्त दूसरे स्थान पर मिली एक दीवार लगभग 2200 साल पुरानी बताई जा रही है.

खुदाई में पाया गया एक मुखी शिवलिंग
जानकारों का कहना है कि आर्केलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि नीचे और खुदाई करने पर ऐसे स्थानों की प्राचीनता और बढ़ती है. खुदाई का काम अभी जारी है और यह जारी रहेगा, क्योंकि जहां एक मुखी शिवलिंग मिला है वहां पूरा गर्भगृह मिलने की उम्मीद है. उनका कहना है कि नीचे कई शिवलिंग होने की भी उम्मीद है.

यदि खुदाई के दौरान चीजें स्पष्ट रूप से मिलती गईं तो यह कहना गलत नहीं होगा कि यह स्थान सारनाथ से भी पुराना हो सकता है. सारनाथ में मिले अवशेष छठी शताब्दी ईसा पूर्व यानी लगभग 2600 वर्ष पुराने हैं. यहां पर जो चीजें मिली हैं, उनके 3500 साल पुराने होने के प्रमाण अब तक मिले हैं. यहां पर एक ब्रह्मी लिपि में लिखा शिलालेख भी मिला है, जो पाषाण काल का है.

सूर्य मंदिर का मिला अवशेष

इसके अतिरिक्त यहां पर मिली गंगाधर शिव पार्वती की मूर्ति, महिषासुरमर्दिनि की मूर्ति, बाल कार्तिकेय संग पार्वती की मूर्ति, आभामंडल युक्त हनुमान की मूर्ति ऐसी मूर्तियां है जो दुर्लभ है. ऐसी मूर्तियों को प्राप्त करने के लिए खजुराहो में भी खुदाई की गई थी. माना जा रहा है कि पड़ोस के गांव महावन में सूर्य मंदिर के अवशेष भी मिले हैं, जिसे लेकर अभी लगातार खुदाई जारी है.

इसे भी पढ़ें:- वाराणसी: महिला दिवस पर बीएचयू में पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन

वाराणसी: शहर बनारस जिसके 5000 साल से भी पुराने होने की बात कही जाती है. पुराणों से लेकर अन्य दस्तावेजों में भी इस शहर को वर्तमान में रूप से भी पुराना जीवंत शहर माना जाता है. यही वजह है कि यहां कई हजार साल पुराने शहर होने के प्रमाण भी जमीन की गहराइयों में दफन हैं. इनको अब बाहर निकालने का काम शुरू हो चुका है.

जानकारी देते संवाददाता.

इसकी शुरुआत वैसे तो सारनाथ से हुई, लेकिन अब शहर से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर बसे बभनियाव गांव में एक के बाद एक पुरातन स्थल सामने आ रहे हैं. जमीन के अंदर से पुरातन जीवन के साक्ष्य मिलने के बाद बहुत सी चीजें स्पष्ट होने लगी.

3500 साल पुरानी मिली मूर्तियां
बभनियाव गांव में चल रही खुदाई के अवशेषों की प्राचीनता को इतिहास व पुरातत्वविद अब सारनाथ स्थित बौद्ध स्थल से भी पुराना मानने लगे हैं. यहां से प्राप्त हुई मूर्तियां, बर्तन लगभग 3500 साल पुराने काल में रह रहे लोगों के प्रमाण मिलने के बाद चीजें स्पष्ट हो रही हैं. बभनियाव गांव में हाल ही में जब खुदाई शुरू हुई तो शिल्पग्राम होने की पूरी संभावना जताई जा रही थी. इसको आगे बढ़ाते हुए खुदाई का काम शुरू किया गया.

केंद्र सरकार से ली गई खुदाई की परमिशन

बीएचयू पुरातन इतिहास विभाग की टीम ने लगातार मिल रही चीजों को दृष्टिगत रखते हुए केंद्र सरकार को लेटर लिखकर खुदाई की परमिशन मांगी. पुरातत्व विभाग और पुरातन इतिहास विभाग की टीम ने यहां पर परमिशन मिलने के बाद खुदाई का काम शुरू भी कर दिया. खुदाई का काम शुरू होने के बाद एक के बाद एक दो स्थलों से कुछ ऐसी चीजें मिली है, जो बहुत कुछ साफ कर रहे हैं. जमीन के अंदर एक उपासना स्थल और शहर के होने के प्रमाण सामने आए हैं. उपासना स्थल में एक मुखी गुप्तकालीन शिवलिंग जिसमें शिव की जटा स्पष्ट दिख रही हैं. खुदाई के दौरान भट्टी के साथ दीवारें भी मिली है, जो लगभग 8 वीं से 9 वीं सदी की बताई जा रही हैं. लगभग 1500 साल पुरानी, इसके अतिरिक्त दूसरे स्थान पर मिली एक दीवार लगभग 2200 साल पुरानी बताई जा रही है.

खुदाई में पाया गया एक मुखी शिवलिंग
जानकारों का कहना है कि आर्केलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि नीचे और खुदाई करने पर ऐसे स्थानों की प्राचीनता और बढ़ती है. खुदाई का काम अभी जारी है और यह जारी रहेगा, क्योंकि जहां एक मुखी शिवलिंग मिला है वहां पूरा गर्भगृह मिलने की उम्मीद है. उनका कहना है कि नीचे कई शिवलिंग होने की भी उम्मीद है.

यदि खुदाई के दौरान चीजें स्पष्ट रूप से मिलती गईं तो यह कहना गलत नहीं होगा कि यह स्थान सारनाथ से भी पुराना हो सकता है. सारनाथ में मिले अवशेष छठी शताब्दी ईसा पूर्व यानी लगभग 2600 वर्ष पुराने हैं. यहां पर जो चीजें मिली हैं, उनके 3500 साल पुराने होने के प्रमाण अब तक मिले हैं. यहां पर एक ब्रह्मी लिपि में लिखा शिलालेख भी मिला है, जो पाषाण काल का है.

सूर्य मंदिर का मिला अवशेष

इसके अतिरिक्त यहां पर मिली गंगाधर शिव पार्वती की मूर्ति, महिषासुरमर्दिनि की मूर्ति, बाल कार्तिकेय संग पार्वती की मूर्ति, आभामंडल युक्त हनुमान की मूर्ति ऐसी मूर्तियां है जो दुर्लभ है. ऐसी मूर्तियों को प्राप्त करने के लिए खजुराहो में भी खुदाई की गई थी. माना जा रहा है कि पड़ोस के गांव महावन में सूर्य मंदिर के अवशेष भी मिले हैं, जिसे लेकर अभी लगातार खुदाई जारी है.

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