वाराणसी: दक्षिणी विधानसभा के रिटर्निंग ऑफिसर गिरीश कुमार द्विवेदी की तरफ से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. लोकल अथॉरिटी ने नोटिस पर 3 दिन के अंदर जवाब देने के लिए कहा है. जवाब न देने की स्थिति में आचार संहिता उल्लंघन के मामले में कार्रवाई की की बात भी कही है.
गौरतलब है कि बनारस में सातवें चरण के अंतर्गत 7 मार्च को मतदान होना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से सांसद हैं ऐसे में हर पार्टियां बनारस की सभी विधानसभा सीटों को जीतने के लिए पुरजोर कोशिशें कर रही हैं. 25 फरवरी को शहर दक्षिणी में कांग्रेस प्रत्याशी मुदिता कपूर के प्रचार के लिए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत वाराणसी आए थे. शहर दक्षिणी विधानसभा में मैदागिन क्षेत्र में जनसंपर्क के दौरान वे थोड़ा जोश में आ गए और होश खो बैठे. उन्होंने जनसभा में कह दिया कि "कब तक उधार का तिलक लगाएंगे" इसके बाद महानगर कार्यालय में उन्होंने कहा था कि "उत्तर प्रदेश में वह लोग राजनीति कर रहे हैं. जिनका यहां से सीधा जुड़ाव नहीं है"
यह भी पढ़े:7वें चरण के चुनाव में दागी प्रत्याशियों की भरमार, मैदान में 37% युवा उम्मीदवार
रावत के इस तरह के बयानों के खिलाफ बीजेपी चुनाव आयोग के दरवाजे पर पहुंच गई. बीजेपी ने कहा कि जनसभा और जनसंपर्क के दौरान रावत ने जिन शब्दों और भाषा का इस्तेमाल किया है वो गलत हैं. बीजेपी का कहना है कि इस तरह भाषा लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है.ये सीधे सीधे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है. बीजेपी विधि प्रकोष्ठ के संयोजक की तरफ से रिटर्निंग ऑफिसर से इसकी शिकायत की गई थी. रिटर्निंग ऑफिसर ने आरोपों को सही पाया. इसके बाद रावत को कारण बताओ नोटिस जारी कर 3 दिन के अंदर जवाब देने को कहा है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप