वाराणसी: काशी धर्म और अध्यात्म की नगरी है. उसकी पहचान यहां की सभ्यता संस्कृति और पौराणिक नदियों से है. लेकिन समय के साथ कुछ पौराणिक नदियां अपने अस्तित्व के संकट से जूझने लगीं. हालांकि विलुप्त हो रही नदियों को संरक्षित रखने के लिए सरकार की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं. इसके तहत सरकार ने विलुप्त हो रही वरुणा नदी के संरक्षण के लिए तमाम कवायद करनी शुरू की है, जिसके तहत इन दिनों जहां एक ओर वरुणा कॉरिडोर बना के नदी को एक खूबसूरत आकार दिया जा रहा हैं, वहीं दूसरी ओर एनजीटी की सख्ती के बाद वरुणा नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है. विभाग के अधिकारियों का मानना है कि आने वाले कुछ महीनों में वरुणा का पानी काशी वासियों के लिए नहाने व आचमन के लायक हो जाएगा.
बहुरेंगे वरुणा के दिन, होगी आचमन लायक - वरुणा नदी के अस्तित्व पर संकट
वाराणसी में वरुणा नदी के संरक्षण काम किया जा रहा है. वरुणा नदी का उद्भव तीन जनपदों की सरहद से हुआ है. एनजीटी की सख्ती के बाद वरुणा नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है. विभाग के अधिकारियों का मानना है कि आने वाले कुछ महीनों में वरुणा का पानी काशी वासियों के लिए नहाने और आचमन के लायक हो जाएगा.
वाराणसी: काशी धर्म और अध्यात्म की नगरी है. उसकी पहचान यहां की सभ्यता संस्कृति और पौराणिक नदियों से है. लेकिन समय के साथ कुछ पौराणिक नदियां अपने अस्तित्व के संकट से जूझने लगीं. हालांकि विलुप्त हो रही नदियों को संरक्षित रखने के लिए सरकार की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं. इसके तहत सरकार ने विलुप्त हो रही वरुणा नदी के संरक्षण के लिए तमाम कवायद करनी शुरू की है, जिसके तहत इन दिनों जहां एक ओर वरुणा कॉरिडोर बना के नदी को एक खूबसूरत आकार दिया जा रहा हैं, वहीं दूसरी ओर एनजीटी की सख्ती के बाद वरुणा नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है. विभाग के अधिकारियों का मानना है कि आने वाले कुछ महीनों में वरुणा का पानी काशी वासियों के लिए नहाने व आचमन के लायक हो जाएगा.