वाराणसी : इस दीपावली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार लोगों से वोकल फ़ॉर लोकल होने की अपील कर रहे हैं. जिसका असर दिख भी रहा है. बाजारों में जहां भारत में बनी चीजों की खरीदारी करने वालों की भीड़ बढ़ी है, वहीं चाइनीज झालर और वहां के बने अन्य प्रोडक्ट का विरोध भी शुरू हो चुका है. इंडिया में बनी चीजों के समर्थन में लोग इस दीपावली दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इसका असर युवाओं पर कुछ इस कदर पड़ा है कि युवा नौकरी का टेंशन छोड़कर अब वोकल फॉर लोकल का सपोर्ट करने के लिए न सिर्फ सड़क किनारे भारतीय प्रोडक्ट का प्रचार प्रसार कर रहे हैं. बल्कि अपने करियर को सही रहा देने की प्लानिंग भी इसके बल पर ही किए बैठे हैं.
तलाशती रहीं नौकरी
दरसअल, गोरखपुर की रहने वाली चारु और मोनिका आपस में दोस्त हैं और गोरखपुर में ही दोनों ने अपनी शिक्षा-दीक्षा लेने के बाद कई जगहों पर नौकरी के लिए ट्राई किया. एमएससी कर चुकी चारु और एमकॉम के बाद बीएड कर चुकी मोनिका को यकीन था कि उन्हें पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी मिल जाएगी, लेकिन लगातार कोशिशों के बाद भी नौकरी नहीं मिली. मोनिका ने तो सरकारी नौकरियों के लिए कई परीक्षाएं भी दी, लेकिन सफल नहीं हो सकीं. जिसके बाद उसने दीपावली पर प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की तरफ से लोकल को सपोर्ट करने के लिए वह वोकल होने की बात पर ध्यान दे रही हैं.
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पीएम की अपील से प्रभावित
पीएम मोदी की अपील के बाद दोनों सहेलियों ने मिलकर गोरखपुर में तैयार होने वाले टेराकोटा प्रोडक्ट्स को यूपी के अलग-अलग शहरों में जाकर बेचने की प्लानिंग की. जिसकी शुरुआत उन्होंने वाराणसी से की. काशी आने के बाद सड़क किनारे जमीन पर त्रिपाल बिछाकर गोरखपुर का टेराकोटा लोगों के बीच ले जाने का प्लान बनाकर अपने करियर को संवारने की कोशिश शुरू की. पहले 2 दिन तो अच्छे नहीं थे लेकिन दिवाली नजदीक आने के साथ ही लोगों का रुझान इस तरह बढ़ता गया.
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'जब हम खुद हैं संपन्न तो क्यों देखें किसी का मुंह'
दोनों लड़कियों का कहना है कि जब हमारे देश में इतनी समृद्ध संपदा और कलाकारी है, तो हम दूसरे देशों पर निर्भर क्यों रहें. बस इसी सोच के साथ हमने नौकरी की जगह इस तरफ आने की प्लानिंग की, और सफल भी हो रहे हैं. इसके लिए गोरखपुर के टेराकोटा कलाकारों के साथ मिलकर हमने इसकी शुरुआत की. हमने एक संस्था बनाई है और उसके जरिए हम इसका प्रोडक्ट अलग-अलग शहरों में जाकर बेच रहे हैं. इससे हमें भी मुनाफा होगा और उन कलाकारों का जीवन भी सुधरेगा जो भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपरा के वाहक हैं. हम अपनी मिट्टी से जुड़कर भारत को आगे बढ़ाने की सोच रहे हैं. फिलहाल इन लड़कियों के जुनून को देखते ही बनता है सड़क किनारे पूरी तत्परता के साथ बिना किसी डर और बिना किसी झिझक के यह अपने देश की मिट्टी से अपने करियर को संवारने की कोशिश कर रही हैं.
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