वाराणसी: सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए जहां कम पैसे में इलाज की सुविधा उपलब्ध होती है. वहीं, इसके लिए पर्चा बनवाने में उन्हें कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, घंटों तक लाइन में भी लगना पड़ता है. लेकिन यह समस्या अब दूर होने जा रही है. क्योंकि, सरकार अब मरीजों के लिए नई शुरुआत कर रही है. केंद्र सरकार की ई अस्पताल योजना के तहत अब मरीजों को इस हाईटेक सुविधा का लाभ मिलने जा रहा है. जिसके तहत उन्हें पर्ची के लिए लाइन में नहीं लगना पड़ेगा, बल्कि अस्पताल में उपलब्ध डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए 1 मिनट के अंदर उनका पर्चा बनकर के तैयार हो जाएगा. इसके लिए वाराणसी के शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय (Shivprasad Gupta Divisional Hospital varanasi) में क्यूआर स्कैनर लगाया गया है. जहां पर ड्रीफकेस एप्लीकेशन (DRIEFCASE application) के जरिए मरीज स्कैन करके अपना नंबर लगा सकता है.
अस्पताल के आईटी हेड प्रभात गिरीने बताया कि इसके लिए सबसे पहले मरीज और उनके तीमारदार को ड्रीफकेस नाम के एप्लीकेशन को डाउनलोड करना पड़ेगा. उसके बाद अपने आधार नंबर से उस एप्लीकेशन पर एक अकाउंट बनाना होगा. इसके बाद हॉस्पिटल में उपलब्ध क्यूआर कोड को स्कैन करके अस्पताल के साथ अपने पंजीकरण की जानकारी को साझा करनी होगी. जिस पर अस्पताल की ओर से टोकन उपलब्ध कराया जाएगा. इसके बाद ओपीडी में नंबर आने पर वो डॉक्टर से इलाज करा सकेंगे. ये सारी प्रकिया महज एक मिनट की होती है.
आईटी हेड ने बताया कि इससे न सिर्फ आसानी से नंबर लग जाएगा, बल्कि एक एप्लिकेशन पर उनकी सारी मेडिकल समरी भी उपलब्ध होगी. आगामी दिनों में यहां की सुविधाओं को और बढ़ाया जाएगा. अस्पताल के पैथलैब को इससे जोड़ा जाएगा. जिससे जांच के परिणाम भी मरीज और तीमारदारों तक आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध हो जाए.
इस बारे में ड्रीफकेस कुश मनोचा के कोऑर्डिनेटर बताते हैं कि इसमें मरीज की सारी जानकारी ऑथेंटिक होगी. दूसरा जब वह पर्चा बनवाने जाएगा, तो कम से कम 10 मिनट लगता है, इससे वह बचेगा. इसके साथ ही पूरे भारत में जहां भी क्यूआर से नंबर लगाने की व्यवस्था होगी, वहां वह आसानी से जाकर के नंबर लगा सकते हैं. साथ ही उनकी पूरी मेडिकल समरी उपलब्ध होगी, जिससे डॉक्टर आसानी से उनका इलाज कर सकता है.
गौरतलब हो कि वाराणसी के मंडलीय अस्पताल में प्रतिदिन 1500 से 2000 मरीज इलाज के लिए आते हैं. लंबी कतारों की वजह से उन्हें पहले आकर के घंटों तक लाइन में लगानी पड़ती है. लेकिन यह स्कैनर अब उनके लिए लाइन में लगने की राह को और आसान बना रहा है.
यह भी पढ़ें: जाने कैसे मेडिकल सम्मेलन से सुधरेगी उत्तर भारत की स्वास्थ्य सुविधाएं, डॉक्टर क्यों मान रहे इसे क्रांति