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वाराणसी के रामनगर की रामलीला है विश्व प्रसिद्ध, जानिए क्या है खास - varanasi ram lila

यूपी के वाराणसी स्थित रामनगर में 1835 से रामलीला आयोजित की जा रही है. यह रामलीला अनंत चतुर्दशी से प्रारंभ होकर अश्विनी पूर्णिमा तक चलती है. बताया जाता है कि इस विश्वप्रसिद्ध रामलीला की शुरुआत महाराजा उदय नारायण सिंह ने कराई थी.

रामनगर की रामलीला
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Published : Sep 13, 2019, 11:32 AM IST

वाराणसी: धर्म की नगरी काशी में अंनत चतुर्दशी से सैकड़ों वर्ष पुरानी रामलीला का आगाज होगा. यह विश्वप्रसिद्ध रामलीला 5 कोस में की जाती है. जिसमें पांच पात्र राम, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, भरत और जानकी निभाते हैं. ये पांच पात्र 2 महीने तक आश्रम में रहकर रामलीला के बारे में अध्ययन करते हैं. जिले के रामनगर में होने वाली रामलीला की बात करें तो यह रामलीला सन् 1835 से आयोजित हो रही है, यह रामलीला अनंत चतुर्दशी से प्रारंभ होकर अश्विनी पूर्णिमा तक चलती है.

धर्म की नगरी काशी में वर्षों ने आयोजित हो रही है रामलीला.

पढ़ें: काशी का पिशाच मोचन कुंड: यहां पिंडदान करने से अकाल मृत्यु से मिलती है मुक्ति

रामलीला की शुरुआत महाराजा उदय नारायण सिंह ने कराई थी
रामनगर रामलीला की शुरुआत महाराजा उदय नारायण सिंह ने 1835 में कराई थी, तब से लेकर आज तक परंपराओं को उनके मूल रूप में कैसे निरंतरता दी जाती है. इसका जीवंत उदाहरण देखना हो तो आज से रामनगर की रामलीला में आइए रामनगर और राज्य परिवार दोनों करीब दो दशकों से अपने नियमों पर अटल हैं.

रामलीला के पात्र रामदास भगत ने दी जानकारी
रामलीला तो सैकड़ों वर्ष पुरानी है, लेकिन जब यह रामलीला होती है तो जैसे लगता है कि साक्षात प्रभु यहां विराजमान हैं. रामलीला प्रतिदिन शाम पांच बजे से शुरू होती है और रात्रि नौ बजे तक चलती है, ऐसा प्रतिदिन 30 दिनों तक चलता है. वहीं विशेष रामलीला राजगद्दी और भरत मिलाप के दिन रात्रि 11 बजे तक चलती है.

वाराणसी: धर्म की नगरी काशी में अंनत चतुर्दशी से सैकड़ों वर्ष पुरानी रामलीला का आगाज होगा. यह विश्वप्रसिद्ध रामलीला 5 कोस में की जाती है. जिसमें पांच पात्र राम, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, भरत और जानकी निभाते हैं. ये पांच पात्र 2 महीने तक आश्रम में रहकर रामलीला के बारे में अध्ययन करते हैं. जिले के रामनगर में होने वाली रामलीला की बात करें तो यह रामलीला सन् 1835 से आयोजित हो रही है, यह रामलीला अनंत चतुर्दशी से प्रारंभ होकर अश्विनी पूर्णिमा तक चलती है.

धर्म की नगरी काशी में वर्षों ने आयोजित हो रही है रामलीला.

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रामलीला की शुरुआत महाराजा उदय नारायण सिंह ने कराई थी
रामनगर रामलीला की शुरुआत महाराजा उदय नारायण सिंह ने 1835 में कराई थी, तब से लेकर आज तक परंपराओं को उनके मूल रूप में कैसे निरंतरता दी जाती है. इसका जीवंत उदाहरण देखना हो तो आज से रामनगर की रामलीला में आइए रामनगर और राज्य परिवार दोनों करीब दो दशकों से अपने नियमों पर अटल हैं.

रामलीला के पात्र रामदास भगत ने दी जानकारी
रामलीला तो सैकड़ों वर्ष पुरानी है, लेकिन जब यह रामलीला होती है तो जैसे लगता है कि साक्षात प्रभु यहां विराजमान हैं. रामलीला प्रतिदिन शाम पांच बजे से शुरू होती है और रात्रि नौ बजे तक चलती है, ऐसा प्रतिदिन 30 दिनों तक चलता है. वहीं विशेष रामलीला राजगद्दी और भरत मिलाप के दिन रात्रि 11 बजे तक चलती है.

Intro:स्पेशल रामलीला। उपडेट कॉपी धर्म की नगरी काशी में आज सैकड़ों वर्ष पुरानी रामलीला का आगाज होगा यह रामलीला बहुत ही मायने में खास है हम आपको बता दें कि रामलीला 5 कोस की दूरी में की जाती है जिसमें पांच पात्र राम लक्ष्मण शत्रुघ्न भरत और जानकी निभाते हैं यह या पांच पात्र 2 महीने तक आश्रम में रहकर रामलीला के बारे में अध्ययन करते हैं और उनको सिखाया जाता है। वैसे तो रामलीला के बारे में कोई लिखित प्रणाम नहीं मिलता लेकिन मान्यता यह है कि रामलीला लगभग 300 वर्ष पुरानी है अगर हम रामनगर में यह रामलीला कब से हो रहे इसकी बात करें तो यह रामलीला 1835 में रामनगर में हो रहा है। अनंत चतुर्दशी से प्रारंभ होक अश्विनी पूर्णिमा तक निरंतर 1 महीनों तक चलेगा।


Body:रामनगर रामलीला की शुरुआत महाराजा उदय नारायण सिंह ने 1835 में कराया तब से लेकर आज तक परंपराओं को उनके मूल रूप में कैसे निरंतरता दी जाती है इसका जीवंत उदाहरण देखना हो तो आज से रामनगर की रामलीला में आइए रामनगर और राज्य परिवार दोनों करीब 2 सभी ने अपने नियमों पर अटल हैं परंपराओं के आदर और पूरी निष्ठा से पालन का तीर्थ भी रामलीला लीला का विरोध स्वरूप देने वाली नदियों की खास बनाती अंदाज के साथ भी बहुत कुछ है जिसका सम्मोहन दुनिया भर से लोगों को यहां खींच लाता है महीने भर चलने वाले इस रामलीला में पूरे 1 महीने ऐसा लगता है कि आदमी सतयुग में आ गया है।


Conclusion:रामदास भगत ने बताया रामलीला तो बहुत पुरानी है सैकड़ों वर्ष पुरानी लेकिन जब यह रामलीला होती है तो जैसे लगता है साक्षात प्रभु यहां विराजमान है। रामलीला प्रतिदिन शाम 5:00 बजे शुरू होती है और 9:00 बजे तक खत्म हो जाती है ऐसा प्रतिदिन 30 दिनों तक चलता है। विशेष रामलीला राजगद्दी और भरत मिलाप देर रात 11:00 बजे तक होता है और राजगद्दी मैं तो बोर हो जाता है अगर हम बात करें तो यह पूरी रामलीला 5 कोस की दूरी में होता है। यहां पर अयोध्या अलग स्थान पर है जनकपुर अलग है चित्रकूट है बंपा पूरी है पंचवटी है लंका है हर एक स्थान 5 कोस की दूरी में अलग-अलग बनाया गया है। भगवान, राम, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, भरत,जानकी कि जो यह साथ रोते हैं इनकी उम्र 13 साल आयु से कम होती है और 2 महीना पहले से ही इन पात्रों को आश्रम में रखकर प्रतिदिन जिला के बारे में अध्ययन कराया जाता है। बाईट :-- रामदास भगत,रामलीला के पात्र राममोहन यादव लीला प्रेमी ने बताया यहां पर जितने भी स्थान हैं वहां पर अलग-अलग लीलाओं का मंचन किया जाता है यहां पर कोई स्टेज नहीं बनता हर अलग-अलग होते हैं वहां पर मंचन किया जाता है जितने 18 स्थानों का उल्लेख रामायण में वह सारे स्थान आपको यहां पर मिलेंगे और प्रतिवर्ष उस स्थान को उसी नाम से जाना जाता है। रामलीला देखने के लिए शहर के कोने-कोने से लोग आते हैं वही विदेशी पर्यटक भी इस अनोखी रामलीला की तरफ खींचे चले आते हैं लगभग 6हजार से 7 हकार लोगों का भी प्रतिदिन रामलीला में होता है। बाईट :-- राममोहन यादव लीला अशुतोष उपध्याय 8543930778
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