वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ धाम को तैयार हुए लगभग डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है और हर दिन यहां पर श्रद्धालुओं की बढ़ रही संख्या विश्वनाथ धाम के इस बदले स्वरूप की सफलता की कहानी और नए कीर्तिमान स्थापित करती जा रही है. इन सबके बीच बढ़ रही भीड़ के कारण बहुत सी ऐसी चीजें भी हो रही हैं जिनका श्रद्धालुओं को काफी नुकसान पहुंच रहा है. खास तौर पर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को बाहरी पुजारी या फिर बाहरी लोगों की वजह से कई बार आर्थिक चोट भी पहुंचती है. इसे लेकर पिछले दिनों प्रधानमंत्री कार्यालय तक श्रद्धालुओं ने शिकायत पहुंचा दी थी. इतना ही नहीं हाल ही में शिवरात्रि के दिन भी एक महिला को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था. दर्शन करने के दौरान उसे पुजारियों और अंदर मौजूद स्टाफ की मनमानी के कारण काफी दिक्कतें हुई थी. इन सब के बाद अब विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने यहां मौजूद पुजारियों और अर्चकों और गर्भ गृह में तैनात होने वाले पंडितों का ड्रेस कोड लागू करने की तैयारी की है.
इस बारे में कमिश्नर कौशल राज शर्मा का कहना है कि बीते दिनों न्यास परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि विश्वनाथ मंदिर में कार्य करने वाले पुजारी- अर्चक और आरती में शामिल होने वाले अर्चकों का ड्रेस कोड निर्धारित किया जाएगा. यह ड्रेस कोड सफेद धोती और दुपट्टे के रूप में होगा जो सिल्क से निर्मित होगा सबसे बड़ी बात यह है कि ड्रेस कोड बगैर सिले हुए कपड़ों के साथ तैयार करवाया जा रहा है, क्योंकि नियम के मुताबिक गर्भ गृह में पूजा के दौरान बगैर सिले कपड़ों को ही पहना जाता है और इसी आधार पर सबसे पहले गर्भ गृह में रहने वाले अर्चकों को ड्रेस कोड की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी.
कमिश्नर कौशल राज शर्मा का कहना है कि यह व्यवस्था पहले भी लागू थी, लेकिन किन्ही कारणों से इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया था लेकिन अब पुनः इस व्यवस्था को लागू किया जा रहा है. पहले इस ड्रेस कोड व्यवस्था का खर्च और पुजारियों पर ही पड़ता था लेकिन अब मंदिर प्रशासन इस खर्च को वहन करेगा.
सभी पुजारियों और अर्चकों को शुरुआत में 2 जोड़ी धोती और दुपट्टा उपलब्ध करवाया जाएगा, जो सीजन के अनुसार पहनना होगा. कमिश्नर कौशल राज शर्मा का कहना है कि शुरुआत में गर्भगृह में रहने वाले पुजारियों के लिए यह व्यवस्था लागू होगी और बाद में इसे धीरे-धीरे अन्य पुजारियो और आरती में शामिल होने वाले पंडितों के लिए लागू किया जाएगा. इसका सबसे बड़ा फायदा बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए होगा. वह आसानी से यह पहचान कर सकेंगे कि मंदिर के पुजारी या अर्चक कौन है और बाहरी कौन हैं, उनके साथ ऐसी स्थिति में ठगी या अन्य तरह की घटनाएं भी नहीं होंगी.