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दीपावली का पर्व आज, शाम 5:28 के बाद शुभ मुहूर्त में करें पूजन, बरसेगी माता लक्ष्मी की कृपा

देशभर में आज दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त सोमवार शाम 5:28 के बाद है. इस समय विधि विधान से पूजा (Diwali pujan shubh muhurt) करने पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और उनकी कृपा आप पर बनी रहेगी.

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Published : Oct 24, 2022, 9:53 AM IST

Updated : Oct 24, 2022, 10:17 AM IST

वाराणसी: दीपावली के पावन पर्व (Diwali Puja 2022) की देशभर में धूम मची है. काशी से अयोध्या तक दीपावली का पर्व पूरे धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. आज शाम को भगवान श्री गणेश और मां लक्ष्मी पूजन के साथ लोग अपनी दीपावली को जागृत करने की कामना करेंगे. इसलिए जरूरी है कि आज पूजन पाठ को लेकर क्या होगा शुभ मुहूर्त (Diwali pujan shubh muhurt 2022) और कैसे करें पूजन जानिए.

ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत आज शाम 5 बजकर 28 मिनट से होगी. अमावस्या तिथि 25 अक्टूबर यानी मंगलवार की शाम 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. पूजा के लिए प्रदोष काल और स्थिर लग्न विशेष लाभकारी होता है. प्रदोष काल आज शाम 5 बजकर 23 मिनट से रात 7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. स्थिर लग्न शाम 6 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 32 मिनट तक है. महानिशीथ काल रात 11 बजकर 20 मिनट से 12 बजकर 11 मिनट तक है. सिंह लग्न अर्द्धरात्रि 1 बजकर 4 मिनट से अर्द्धरात्रि के पश्चात् 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. मान्यता के अनुसार प्रातः काल के समय उदयातिथि के रूप में अमावस्या तिथि हो और सूर्यास्त के पश्चात् एक घंटे से अधिक समय तक अमावस्या तिथि के रहने पर संपूर्ण रात्रि दीपावली संबंधित सभी अनुष्ठान सम्पन्न होंगे हैं.


पढ़ें- गोरखपुर में CM योगी वनटांगिया समुदाय के साथ मनाएंगे दिवाली, 80 करोड़ की देंगे सौगात

दीपावली पूजन का विधान: लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त सायंकाल से प्रारम्भ हो जाता है. लकड़ी की नई चौकी पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछा कर उस पर मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति रखनी चाहिए. लक्ष्मीजी, श्री गणेश जी के दाहिनी ओर होनी चाहिये. मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेशजी की मूर्तियों के सामने चावल के दानों के ऊपर कलश में जल भरकर अक्षत, पुष्प, दूर्वा, सुपारी, रत्न और चांदी का सिक्का आदि रखने चाहिए. कलश पर सिन्दूर या रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए. कलश के ऊपर चावल से भरा हुआ पात्र रखकर उसके ऊपर जलदार नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कर रखना चाहिए. लाल वस्त्र से लपेटे हुए नारियल के ऊपर रक्षासूत्र या कलावा 5, 7, 9 या 11 बार लपेटकर रखना चाहिए. उसके बाद चंदन, चावल, धूप, गुड़, गुण, ऋतुफल आदि अर्पित करने के पश्चात् अखण्ड दीप प्रज्वलित करके पूजन करें. दीपावली पूजन की शुरुआत घर के प्रमुख (मुखिया) को करनी चाहिए. परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ बैठकर पूजा में भाग लेना चाहिए. मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी का षोडशोपचार श्रृंगार पूजन करके उनकी स्तुति करनी चाहिए. रात्रि में मां लक्ष्मी जी से संबंधित श्रीलक्ष्मी स्तुति, श्रीसूक्त श्रीलक्ष्मी सहस्रनाम, श्रीकनकधारा स्तोत्र एवं श्रीलक्ष्मी चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए. शुद्ध देशी घी से अखंड ज्योति प्रज्वलित रखनी चाहिए. रात्रि में जागरण भी करना चाहिए.

इस रात्रि में मां लक्ष्मीजी के मंत्र का जप कमलगट्टे या स्फटिक की माला से करना विशेष लाभकारी रहता है. मंत्र ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः, ॐ श्रीं नमः' मंत्र की माला का जप 1, 5, 7, 9, 11 या 21 माला की संख्या में होना चाहिए. जब तक मंत्र का जप हो, शुद्ध देशी घी का दीपक और गुगल या गुलाब का धूप जलते रहना चाहिए. दीपावली पूजन अपने पारिवारिक रीति-रिवाज और धार्मिक परमपरा के अनुसार ही संपन्न करना चाहिए. जिससे जीवन में सुख समृद्धि खुशहाली का सुयोग बना रहेगा. दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव मनाने की परमपरा है.

पढ़ें- 51 हजार दीपों से जगमग हुआ नैमिषारण्य तीर्थ

वाराणसी: दीपावली के पावन पर्व (Diwali Puja 2022) की देशभर में धूम मची है. काशी से अयोध्या तक दीपावली का पर्व पूरे धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. आज शाम को भगवान श्री गणेश और मां लक्ष्मी पूजन के साथ लोग अपनी दीपावली को जागृत करने की कामना करेंगे. इसलिए जरूरी है कि आज पूजन पाठ को लेकर क्या होगा शुभ मुहूर्त (Diwali pujan shubh muhurt 2022) और कैसे करें पूजन जानिए.

ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत आज शाम 5 बजकर 28 मिनट से होगी. अमावस्या तिथि 25 अक्टूबर यानी मंगलवार की शाम 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. पूजा के लिए प्रदोष काल और स्थिर लग्न विशेष लाभकारी होता है. प्रदोष काल आज शाम 5 बजकर 23 मिनट से रात 7 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. स्थिर लग्न शाम 6 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 32 मिनट तक है. महानिशीथ काल रात 11 बजकर 20 मिनट से 12 बजकर 11 मिनट तक है. सिंह लग्न अर्द्धरात्रि 1 बजकर 4 मिनट से अर्द्धरात्रि के पश्चात् 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. मान्यता के अनुसार प्रातः काल के समय उदयातिथि के रूप में अमावस्या तिथि हो और सूर्यास्त के पश्चात् एक घंटे से अधिक समय तक अमावस्या तिथि के रहने पर संपूर्ण रात्रि दीपावली संबंधित सभी अनुष्ठान सम्पन्न होंगे हैं.


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दीपावली पूजन का विधान: लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त सायंकाल से प्रारम्भ हो जाता है. लकड़ी की नई चौकी पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछा कर उस पर मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति रखनी चाहिए. लक्ष्मीजी, श्री गणेश जी के दाहिनी ओर होनी चाहिये. मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेशजी की मूर्तियों के सामने चावल के दानों के ऊपर कलश में जल भरकर अक्षत, पुष्प, दूर्वा, सुपारी, रत्न और चांदी का सिक्का आदि रखने चाहिए. कलश पर सिन्दूर या रोली से स्वास्तिक बनाना चाहिए. कलश के ऊपर चावल से भरा हुआ पात्र रखकर उसके ऊपर जलदार नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कर रखना चाहिए. लाल वस्त्र से लपेटे हुए नारियल के ऊपर रक्षासूत्र या कलावा 5, 7, 9 या 11 बार लपेटकर रखना चाहिए. उसके बाद चंदन, चावल, धूप, गुड़, गुण, ऋतुफल आदि अर्पित करने के पश्चात् अखण्ड दीप प्रज्वलित करके पूजन करें. दीपावली पूजन की शुरुआत घर के प्रमुख (मुखिया) को करनी चाहिए. परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ बैठकर पूजा में भाग लेना चाहिए. मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी का षोडशोपचार श्रृंगार पूजन करके उनकी स्तुति करनी चाहिए. रात्रि में मां लक्ष्मी जी से संबंधित श्रीलक्ष्मी स्तुति, श्रीसूक्त श्रीलक्ष्मी सहस्रनाम, श्रीकनकधारा स्तोत्र एवं श्रीलक्ष्मी चालीसा आदि का पाठ करना चाहिए. शुद्ध देशी घी से अखंड ज्योति प्रज्वलित रखनी चाहिए. रात्रि में जागरण भी करना चाहिए.

इस रात्रि में मां लक्ष्मीजी के मंत्र का जप कमलगट्टे या स्फटिक की माला से करना विशेष लाभकारी रहता है. मंत्र ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः, ॐ श्रीं नमः' मंत्र की माला का जप 1, 5, 7, 9, 11 या 21 माला की संख्या में होना चाहिए. जब तक मंत्र का जप हो, शुद्ध देशी घी का दीपक और गुगल या गुलाब का धूप जलते रहना चाहिए. दीपावली पूजन अपने पारिवारिक रीति-रिवाज और धार्मिक परमपरा के अनुसार ही संपन्न करना चाहिए. जिससे जीवन में सुख समृद्धि खुशहाली का सुयोग बना रहेगा. दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव मनाने की परमपरा है.

पढ़ें- 51 हजार दीपों से जगमग हुआ नैमिषारण्य तीर्थ

Last Updated : Oct 24, 2022, 10:17 AM IST
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