वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में अपनी परंपराओं को बचाने के लिए वीडियो के माध्यम से रामलीला की अनुभूति कराने की कोशिश की जाएगी. घाट वाक के टि्वटर हैंडल पर हर रोज दो मिनट का वीडियो प्रसारित करने का शुभारंभ स्टांप एवं न्याय पंजीयन शुल्क मंत्री रविंद्र जायसवाल ने किया. इसके साथ ही घर-घर रामलीला पुस्तक और मुखौटे का भी लोकार्पण किया गया. मुखौटे के साथ 12 पन्नों का मैनुअल रामलीला दिया जाएगा, जिससे लोग घरों पर रामलीला कर सकें.
प्राचीन रामलीला के स्वरूप की प्रकृति को देश दुनिया के हर कोने से पहुंचाने की तैयारी है. कोरोना काल में रामलीला के मंचन पर संशय है. तो जब घर घर रामलीला होगी तो उस का आनंद भी अलग होगा. इसीलिए रामलीला में प्रयोग किए जाने वाले मुखौटे को तैयार किया गया है. रामलीला के सेट में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता, हनुमान, सुग्रीव, अंगद, रावण, विभीषण, मेघनाथ, कुंभकरण, सूपर्णखा, जामवंत के पात्रों का मुखौटा होगा. इसकी पूरी जानकारी काशी घाट वर्क फेसबुक पेज और घाटवाक के टि्वटर हैंडल पर उपलब्ध है.
राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान संकटमोचन के प्रार्थना में लिखा है कि, जहां कहीं प्रभु राम के जस गायन होता है वहीं भगवान हनुमान अपने मस्तक को अंजलि बनाकर सिर झुका कर राम कथा का श्रवण करते हैं. प्रभु राम के नाम को सुनकर उनकी आंखों में श्रद्धा के अश्रु परिपूर्ण हो जाते हैं. यह प्रयास बहुत ही सार्थक है पहले लीला मोहल्ले-मोहल्ले में होती थी, लेकिन अब घर-घर होगी. इस प्रयास से कठपुतली के प्रचार-प्रसार को भी बल मिलेगा.
इस अनोखी रामलीला का परिकल्पना करने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ख्याति प्राप्त न्यूरोलॉजिस्ट प्रोफेसर विजय नाथ मिश्र ने कहा कि प्रत्येक दिन दो मिनट 18 सेकंड का वीडियो अपलोड किया जाएगा. इसे सोशल मीडिया पर रामलीला का प्रचार प्रसार तो होगा ही साथ ही साथ वीडियो में कठपुतली का मंचन होगा. इससे कठपुतली और मुखौटा निर्माताओं को कुछ दिनों के लिए रोजगार मिला जाएगा. हम लोग रामलीला की भरपाई तो नहीं कर सकते, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से भगवान का मानसिक रूप से स्मरण किया जा सकता है. वीडियो हर रोज शाम पांच बजे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जाएगा.