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नए साल से गंगा में नहीं चलेगी डीजल से चलने वाली नाव, सीएनजी में परिवर्तित कराए जा रहे इंजन, यह है वजह - वाराणसी गंगा प्रदूषण

वाराणसी में नए साल से गंगा में डीजल इंजन वाली नाव (diesel engine boat cng conversion) नहीं चल पाएगी. नावों के इंजन को सीएनजी में कनवर्ट कराया जा रहा है. प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशासन ने यह फैसला लिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 10, 2023, 8:41 PM IST

नए साल से डीजल से चलने वाली नावों पर होगी कार्रवाई.

वाराणसी : बनारस में बढ़ती पर्यटकों की संख्या शहर की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत कर रही है. इसी के साथ प्रदूषण को नियंत्रित करने की चुनौती भी सामने आने लगी है. गंगा में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसी के तहत अब नए साल से गंगा में डीजल इंजन वाली नाव नहीं चल पाएंगी. इन्हें सीएनजी में कनवर्ट कराया जा रहा है. सर्वे रिपोर्ट के अलावा प्रशासन का भी ये मानना है डीजल वाली नाव से गंगा में प्रदूषण फैलता है. इससे जलीय जंतु भी परेशान होते हैं.

31 दिसंबर तक है मौका : बता दें कि लगभग 2 साल पहले गंगा नदी को स्वच्छ व निर्मल बनाए रखने के लिए एनजीटी के आदेश पर डीजल से चलने वाली नावों को हटाने की कार्रवाई शुरू हुई थी. सीएसआर फंड के जरिए इन नावों को पूरी तरह से सीएनजी में कनवर्ट करने का काम फ्री ऑफ कॉस्ट शुरू हुआ था, लेकिन अभी 100 से ज्यादा ऐसी नाव हैं, जिनके इंजन में बदलाव नहीं किया जा सका है. इसका कारण नाविकों का ढीला रवैया माना जा रहा है. अब 31 दिसंबर आखिरी मौका है. इसके बाद ये नाव नहीं चल पाएंगी.

सर्वे में सामने आई सच्चाई : दरअसल, वाराणसी में गंगा नदी को लेकर कई तरह के अध्ययन किए गए. पिछले दिनों हुए एक अध्ययन में पता चला कि गंगा नदी में चलने वाली डीजल इंजन वाली नाव के कारण न केवल प्रदूषण बढ़ा है, बल्कि घाटों के आसपास के एक्यूआई आंकड़ों में भी बढ़ोतरी देखी गई है. मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि बनारस गंगा नदी और आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण को लेकर सर्वे हुआ है. पहले भी नाविक समाज से डीजल वाले इंजन को सीएनजी, सोलर एनर्जी और ईवी में कनवर्ट कराने की अपील की गई थी. अब तक बहुत अच्छा रिस्पांस भी मिला है. घाट के 750 नाव सीएनजी इंजन में कनवर्ट हो चुके हैं. अभी तकरीबन 100 नाव हैं जिनसे प्रदूषण हो रहा है.

बीते कुछ सालों में घाटों पर बढ़े प्रदूषण : मंडलायुक्त ने यह भी बताया कि 31 दिसंबर तक बचे हुए डीजल इंजन वाले नाव का बदलाव भी मुफ्त में ही होगा, लेकिन 31 दिसंबर के बाद बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेदार रहने वाले किसी भी डीजल इंजन युक्त नाव को गंगा में नहीं चलने दिया जाएगा. इस अवधि के बाद कोई छूट भी नहीं मिलेगी. सभी नाविक गंभीरता से गाइड लाइन का पालन करें. वाराणसी में बीते कुछ सालों से दशाश्वमेघ घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, तुलसी घाट, अस्सी घाट, नमो घाट सहित कुछ प्रमुख घाटों पर प्रदूषण बढ़ा है. सर्वे में इसकी प्रमुख वजह गंगा नदी में डीजल से चलने वाली नावों को बताया गया है.

जनवरी से होगी कार्रवाई : कमिश्नर का कहना है कि नए साल पर किसी भी हाल में गंगा में डीजल से चलने वाली नावों का संचालन नहीं किया जाएगा. नावों के इंजन को परिवर्तित करने का काम एक प्राइवेट कंपनी के जरिए करवाया जा रहा है. लगभग 50 हजार रुपये से ऊपर की लागत से सीएनजी इंजन मंगवाकर लगवाया जा रहा है. 1 साल के मेंटेनेंस का काम भी कंपनी को ही करना है. ऐसे में जो नाविक सहयोग कर रहे हैं, उनकी नावों को तो पूरी तरह से कनवर्ट कर दिया गया है. बहुत से नाविक ऐसे हैं जो इन चीजों से पीछे भाग रहे हैं. 31 दिसंबर तक मौका है. इसके बाद ऐसे नाविकों पर एफआईआर भी दर्ज करवाई जाएगी.

यह भी पढ़ें : बनारस से अयोध्या के लिए शुरू होगी हेलीकाप्टर सेवा; अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस पहला घाट तैयार

नए साल से डीजल से चलने वाली नावों पर होगी कार्रवाई.

वाराणसी : बनारस में बढ़ती पर्यटकों की संख्या शहर की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत कर रही है. इसी के साथ प्रदूषण को नियंत्रित करने की चुनौती भी सामने आने लगी है. गंगा में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसी के तहत अब नए साल से गंगा में डीजल इंजन वाली नाव नहीं चल पाएंगी. इन्हें सीएनजी में कनवर्ट कराया जा रहा है. सर्वे रिपोर्ट के अलावा प्रशासन का भी ये मानना है डीजल वाली नाव से गंगा में प्रदूषण फैलता है. इससे जलीय जंतु भी परेशान होते हैं.

31 दिसंबर तक है मौका : बता दें कि लगभग 2 साल पहले गंगा नदी को स्वच्छ व निर्मल बनाए रखने के लिए एनजीटी के आदेश पर डीजल से चलने वाली नावों को हटाने की कार्रवाई शुरू हुई थी. सीएसआर फंड के जरिए इन नावों को पूरी तरह से सीएनजी में कनवर्ट करने का काम फ्री ऑफ कॉस्ट शुरू हुआ था, लेकिन अभी 100 से ज्यादा ऐसी नाव हैं, जिनके इंजन में बदलाव नहीं किया जा सका है. इसका कारण नाविकों का ढीला रवैया माना जा रहा है. अब 31 दिसंबर आखिरी मौका है. इसके बाद ये नाव नहीं चल पाएंगी.

सर्वे में सामने आई सच्चाई : दरअसल, वाराणसी में गंगा नदी को लेकर कई तरह के अध्ययन किए गए. पिछले दिनों हुए एक अध्ययन में पता चला कि गंगा नदी में चलने वाली डीजल इंजन वाली नाव के कारण न केवल प्रदूषण बढ़ा है, बल्कि घाटों के आसपास के एक्यूआई आंकड़ों में भी बढ़ोतरी देखी गई है. मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि बनारस गंगा नदी और आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण को लेकर सर्वे हुआ है. पहले भी नाविक समाज से डीजल वाले इंजन को सीएनजी, सोलर एनर्जी और ईवी में कनवर्ट कराने की अपील की गई थी. अब तक बहुत अच्छा रिस्पांस भी मिला है. घाट के 750 नाव सीएनजी इंजन में कनवर्ट हो चुके हैं. अभी तकरीबन 100 नाव हैं जिनसे प्रदूषण हो रहा है.

बीते कुछ सालों में घाटों पर बढ़े प्रदूषण : मंडलायुक्त ने यह भी बताया कि 31 दिसंबर तक बचे हुए डीजल इंजन वाले नाव का बदलाव भी मुफ्त में ही होगा, लेकिन 31 दिसंबर के बाद बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेदार रहने वाले किसी भी डीजल इंजन युक्त नाव को गंगा में नहीं चलने दिया जाएगा. इस अवधि के बाद कोई छूट भी नहीं मिलेगी. सभी नाविक गंभीरता से गाइड लाइन का पालन करें. वाराणसी में बीते कुछ सालों से दशाश्वमेघ घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, तुलसी घाट, अस्सी घाट, नमो घाट सहित कुछ प्रमुख घाटों पर प्रदूषण बढ़ा है. सर्वे में इसकी प्रमुख वजह गंगा नदी में डीजल से चलने वाली नावों को बताया गया है.

जनवरी से होगी कार्रवाई : कमिश्नर का कहना है कि नए साल पर किसी भी हाल में गंगा में डीजल से चलने वाली नावों का संचालन नहीं किया जाएगा. नावों के इंजन को परिवर्तित करने का काम एक प्राइवेट कंपनी के जरिए करवाया जा रहा है. लगभग 50 हजार रुपये से ऊपर की लागत से सीएनजी इंजन मंगवाकर लगवाया जा रहा है. 1 साल के मेंटेनेंस का काम भी कंपनी को ही करना है. ऐसे में जो नाविक सहयोग कर रहे हैं, उनकी नावों को तो पूरी तरह से कनवर्ट कर दिया गया है. बहुत से नाविक ऐसे हैं जो इन चीजों से पीछे भाग रहे हैं. 31 दिसंबर तक मौका है. इसके बाद ऐसे नाविकों पर एफआईआर भी दर्ज करवाई जाएगी.

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