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वाराणसी: भोले के भक्त हुए निराश, बिन कांवड़ ही पहुंच रहे हैं भोले के दरबार

यूपी के वाराणसी में सावन के मौके पर बाबा विश्वनाथ के दरबार में हर साल कांवड़ लेकर पहुंचने वाले भक्त इस बार निराश हैं. कोरोना के कारण कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया है. इसके बावजूद भक्त बिना कांवड़ के ही दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं.

कांवड़ के बिना ही विश्वनाथ मंदिर में दर्शन.
कांवड़ के बिना ही विश्वनाथ मंदिर में दर्शन.
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Published : Jul 27, 2020, 7:29 PM IST

वाराणसी: सावन के महीने में काशी धाम बोल बम के नारों से गुंजायमान रहता है. दूर-दूर से केसरिया रंग के कपड़ों में बाबा भोले की भक्ति में लीन रहने वाले कांवडिए जल लेकर बाबा का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोविड-19 ने कांवडियों को मायूस कर दिया है. हर साल कांवड़ यात्रा कर बाबा भोलेनाथ से मनचाही मुराद पाने की इच्छा रखने वाले कांवडिया इस बार कांवड़ यात्रा तो नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन भोलेनाथ की भक्ति से दूर रहना इनके लिए असंभव हो गया है. यही वजह है कि भगवान शंकर के भक्त केसरिया रंग के कपड़ों में बाबा भोलेनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं.

कांवड़ के बिना ही विश्वनाथ मंदिर में दर्शन.
संगमनगरी प्रयागराज के रहने वाले आलोक और उनके 4 साथी बीते 8 सालों से कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले यानी सावन की शुरुआत के साथ ही ये लोग प्रयागराज से काशी तक की पैदल यात्रा करने के लिए तैयारियों में जुटे रहते हैं. कांवड तैयार करना और उसे लेकर बोल बम के नारे लगाते हुए पैदल ही निकल जाना हर साल इनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था, लेकिन कोविड-19 ने ऐसा खेल खेला कि कांवड़ यात्रा ही बंद हो गई. कोरोना के कारण आलोक और उनके दोस्त इस साल कांवड़ यात्रा तो नहीं कर सके, लेकिन बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने जरूर पहुंचे. ऐसे ही जौनपुर के रहने वाले सतीश और उनके मित्र भी हैं. बीते कई सालों से कांवड़ यात्रा लेकर बाबा भोलेनाथ के मंदिर में पहुंचने वाले सतीश इस बार मायूस हैं. उनका कहना है कि बहुत श्रद्धा के साथ बाबा दरबार में पहुंचा. कांवड़ का संकल्प लिया था तो कांवड़ साथ में लेकर आया था और गंगा स्नान कर उसे गंगा में ही प्रवाहित कर दिया. भगवान को जो मंजूर है वही होगा. बस यही प्रार्थना है कि जल्द से जल्द इस महामारी से मुक्ति मिले और अगले साल हर्षोल्लास और खुशी के साथ फिर से कांवड़ यात्रा लेकर बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचें.

वाराणसी: सावन के महीने में काशी धाम बोल बम के नारों से गुंजायमान रहता है. दूर-दूर से केसरिया रंग के कपड़ों में बाबा भोले की भक्ति में लीन रहने वाले कांवडिए जल लेकर बाबा का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोविड-19 ने कांवडियों को मायूस कर दिया है. हर साल कांवड़ यात्रा कर बाबा भोलेनाथ से मनचाही मुराद पाने की इच्छा रखने वाले कांवडिया इस बार कांवड़ यात्रा तो नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन भोलेनाथ की भक्ति से दूर रहना इनके लिए असंभव हो गया है. यही वजह है कि भगवान शंकर के भक्त केसरिया रंग के कपड़ों में बाबा भोलेनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं.

कांवड़ के बिना ही विश्वनाथ मंदिर में दर्शन.
संगमनगरी प्रयागराज के रहने वाले आलोक और उनके 4 साथी बीते 8 सालों से कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले यानी सावन की शुरुआत के साथ ही ये लोग प्रयागराज से काशी तक की पैदल यात्रा करने के लिए तैयारियों में जुटे रहते हैं. कांवड तैयार करना और उसे लेकर बोल बम के नारे लगाते हुए पैदल ही निकल जाना हर साल इनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था, लेकिन कोविड-19 ने ऐसा खेल खेला कि कांवड़ यात्रा ही बंद हो गई. कोरोना के कारण आलोक और उनके दोस्त इस साल कांवड़ यात्रा तो नहीं कर सके, लेकिन बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने जरूर पहुंचे. ऐसे ही जौनपुर के रहने वाले सतीश और उनके मित्र भी हैं. बीते कई सालों से कांवड़ यात्रा लेकर बाबा भोलेनाथ के मंदिर में पहुंचने वाले सतीश इस बार मायूस हैं. उनका कहना है कि बहुत श्रद्धा के साथ बाबा दरबार में पहुंचा. कांवड़ का संकल्प लिया था तो कांवड़ साथ में लेकर आया था और गंगा स्नान कर उसे गंगा में ही प्रवाहित कर दिया. भगवान को जो मंजूर है वही होगा. बस यही प्रार्थना है कि जल्द से जल्द इस महामारी से मुक्ति मिले और अगले साल हर्षोल्लास और खुशी के साथ फिर से कांवड़ यात्रा लेकर बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचें.
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